जांजगीर चांपा

श्रीमद् भागवत कथा को साधने के साथ-साथ स्वामी विवेकानंद के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए कहा

चांपा में चल रहे कथा के पांचवे दिन आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए विवेकानंद युवा दिवस के बारे में भी वर्णन किया

चांपा‌ । श्रीमद् भागवत महापुराण की कथाओं में वर्णित भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं आश्चर्य एवं विचित्रताओ से पूर्ण है , जिसे श्रवण कर विद्वान भी चकित हो जाते हैं । किंतु यह केवल कथा ही नहीं यह तो मनुष्यों एवं वर्तमान समाज के लिए एक बड़ी प्रेरणा है । श्री कृष्ण द्वारा कालिया नाग का मर्दन करना यमुना के कालिदाह के जल को प्रदूषण मुक्त करना है अर्थात जल को सुरक्षित रखना है क्योंकि जल है तभी तो कल है । दूसरी ओर 7 कोस के विशाल गोवर्धन पर्वत को धारण कर ब्रज वासियों से पर्वतराज की पूजा करवाना प्रकृति और धरती की हरियाली की रक्षा करने का संदेश ही तो है , क्योंकि जब तक धरती में हरियाली रहेगी तभी तक ही मनुष्य और उसकी भावी पीढ़ी तथा अन्य जीव जीवन जी सकते हैं l धरती में जब तक गौ माता , गंगा मैया , गायत्री और गौरी अर्थात कन्या सुरक्षित हैं तब तक ही जीवन की कल्पना की जा सकती है , यह उद्गार चांपा नगर में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हुए छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य राजेंद्र महाराज ने प्रकट किया । आचार्य द्वारा पूतना वध , बालकृष्ण की वैष्णवी माया , माखन चोरी लीला , यमला अर्जुन उद्धार , चीर हरण, एवं अन्य प्रसंगो का विस्तार से वर्णन किया गया, पूतना प्रसंग के बाद आचार्य ने बताया कि परिवार और समाज में बेटी और बेटे में भेद नहीं करना चाहिए दोनों के लिए ही समान भावनाएं रखते हुए शिक्षा दीक्षा एवं दिव्य संस्कार देने हेतु पूरा प्रयास करना ही चाहिए , क्योंकि बेटियां रहेंगी तभी तो किसी पिता को बहू मिल सकेगी और वंश विस्तार की कल्पना की जा सकती है , सभी मां चाहती है कि मेरा बेटा राम जैसा ही बने और सभी बेटियां चाहती हैं कि मेरे पिता और हम जैसे बने ।
आचार्य द्वारा व्यासपीठ से स्वामी विवेकानंद युवा दिवस के अवसर पर युवाओं को प्रेरित किया गया कि स्वामी जी का जीवन चरित्र ही युवाओं के लिए एक प्रेरणा है , क्योंकि उन्होंने कहा था कि भारत युवाओं का देश है और युवा ही भावी पीढ़ी का निर्माण और राष्ट्र की धूरी है , उन्होंने प्रेरणा प्रदान किया कि उठो जागो और तब तक चलते रहो जब तक तुम्हें मंजिल की प्राप्ति ना हो जाए । गोवर्धन लीला का वर्णन करते हुए आचार्य द्वारा जन्मदिन के पावन अवसर पर अपने हाथों से वृक्षारोपण कर धरती की हरियाली और प्रकृति की सुरक्षा में भी अपना योगदान देने हेतु आग्रह किया गया ।
इस अवसर पर कथा श्रवण करने हेतु रामचंद्र , राजेंद्र सिंह ठाकुर , कमल लाल देवांगन , नरेंद्र कश्यप , खेमकरण श्रीमती कविता देवांगन , श्रीमती मीरा देवांगन राजलक्ष्मी लक्ष्मीकांत सर्राफ , रामनारायण संतोषी साहू , गुलशन राठौर , गिरजा बाई साहू पीतांबर सरस्वती साहू , श्याम श्रीमती मीना साहू , श्रीमती संतोषी साहू सहित अनेक श्रोता उपस्थित थे । भागवत कथा के आयोजक जगराम श्रीमती पंच कुंवर एवं मनोज कुमार श्रीमती पन्ना साहू द्वारा अधिक से अधिक संख्या में कथा श्रवण करने का आग्रह किया गया है ।