सक्ती

हम किसी पौधे या वृक्ष किस शाखा पर राखी बांध कर एक नई चेतना के साथ रक्षाबंधन मनावे – भागवताचार्य राजेंद्र जी महाराज

हम किसी पौधे या वृक्ष किस शाखा पर राखी बांध कर एक नई चेतना के साथ रक्षाबंधन मनावे - भागवताचार्य राजेंद्र जी महाराज kshititech

सक्ती ‌। भागवत प्रवाह आध्यात्मिक सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ द्वारा रक्षाबंधन के पावन पर्व पर, प्रकृति को भी अपना परिवार मानते हुए पौधों को भी राखी बांधना सुनिश्चित किया गया है । इस संबंध में भागवत प्रवाह के संस्थापक राजेंद्र महाराज ने आग्रह किया है, कि रक्षाबंधन के पवित्र दिन जिस तरह बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर इस पवित्र परंपरा को निभाती हैं उसी प्रकार प्रकृति के प्रति भी हम सब की और समाज की जिम्मेदारी है कि हम किसी पौधे या वृक्ष किस शाखा पर राखी बांध कर एक नई चेतना के साथ रक्षाबंधन मनावे ।
आचार्य राजेंद्र ने बताया कि यह परंपरा पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति चेतना जगाने का सरल माध्यम होगा, जब हम एक पौधे को राखी बंधेंगे तो हम उसकी सुरक्षा और देखभाल का भी संकल्प लेंगे । हमारे इस सकारात्मक भाव से हरियाली को बढ़ावा तो मिलेगा ही और प्रकृति के प्रति भावनात्मक जुड़ाव भी होगा । प्रकृति भी हमारे परिवार का एक हिस्सा है, इसकी भी रक्षा उतनी ही आवश्यक है जितना हमारे परिवार के अपने प्रिय जनों की करते हैं।
रक्षाबंधन पवित्र पर्व की शुरुआत भगवान श्री नारायण के वामन अवतार प्रसंग से जुड़ी हुई है, जब भगवान वामन राजा बलि की रक्षा करने हेतु पातालपुरी चले गए , तब माता लक्ष्मी – भगवान श्री नारायण का खोज करते हुए पातालपुरी चली गई और वहां ब्राह्मणी बनाकर राजा बलि से निवेदन कर अपना भाई बना लिया । राजा बलि के हाथ में श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि को लक्ष्मी जी ने कलावा बांध दिया था, तब राजा बलि ने प्रसन्न होकर कहा था मेरी बहन मैं तुम्हें कौन सा उपहार दे दूं — तू आज मुंह मांगा उपहार मांग ले , तब लक्ष्मी जी ने कहा था भैया मुझे अपना पहरेदार दे दो जो आपके भवन के द्वार पर खड़ा है । तब राजा बलि ने जाना कि – साक्षात् नारायण ही पहरेदार बनाकर मेरी रक्षा कर रहे हैं । लक्ष्मी जी को भाई का पवित्र प्रेम और नारायण अर्थात पति उपहार में प्राप्त हुए, तब से पौराणिक काल से ही रक्षाबंधन पर्व की परंपरा हमारे देश में चली आ रही है , यह केवल एक प्रतीकात्मक क्रिया नहीं है ।
भागवत प्रवाह आध्यात्मिक सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ द्वारा रक्षाबंधन की मंगल कामना की गई है ।