नहीं उग पाया सूरज, क्या चरण का विजय रथ रोक लेंगे महल, मनहरण व ख़िलावन

सक्ती – राजनीति में कब कौन मित्र होगा,कब शत्रु? कहा नहीं जा सकता। 5 साल पहले महंत ने महल को मना लिया था,विजय रथ के सारथी भी मनहरण थे इस बार पैलेस साथ नहीं तो मनहरण बगावत का तेवर दिखा चुके हैं । सक्ती के रण में महंत की लड़ाई केवल ख़िलावन से ही नहीं उनको कार्यकर्ताओं का विरोध भी झेलना होगा।
कयास था कि सक्ती में सूरज उगेगा पर स्टार सन की लांचिंग नहीं हो पाई,पुराने साथियो ने साथ छोड़ दिया है। ऐसे में चरण का विजय पथ कंटकों भरा हो सकता है। महल,मनहरण के तेवर विरोध में हैं उधर बीजेपी ने अपने सत्ताकाल 2013-18 के संसदीय सचिव डॉक्टर ख़िलावन साहू को 2018 में ड्राप कर दिया था।इस बार टिकट मिली है।साहू राठौर बाहुल्य होने के कारण वे कड़ी चुनोती देंगे।
टिकट तय होते ही दिल्ली दरबार से रायपुर तक बगावती सुर उठने लगे हैं। कांग्रेस में पामगढ़ व जांजगीर चाम्पा सीट के अलावा हाइप्रोफाइल सक्ती सीट में चिंगारी सुलगी है तो बीजेपी के अकलतरा प्रत्याशी को टिकट फाइनल होते ही कार्यकर्ताओ का विरोध झेलना पड़ा है। नामांकन अभी 30 अक्टूबर तक भरे जाएंगे। नाम दाखिले व वापसी के बाद ही क्लीयर होगा कि बगावत की बात बम है या टिकली पटाखा।
ब्राह्मणों की अनदेखी के आरोपों के बीच दिनेश ने दिखाई ताकत
वैसे तो कांग्रेस ने बीजेपी पर हमेशा धर्म जाति व सम्प्रदाय के नाम पर राजनीति का आरोप मढ़ा है,लेकिन टिकट की बात पर यहाँ भी जाति कार्ड खेलने लगते हैं । प्रदेश में 14 ब्राह्मणों को चुनाव मैदान में उतारने वाले कांग्रेस पर जांजगीर-सक्ती में ब्राह्मणों की उपेक्षा का आरोप है।जांजगीर चाम्पा से दिनेश शर्मा के अलावा इंजीनियर रवि पाण्डेय पीसीसी जॉइंट सेकेट्री व गोसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास ने टिकट मांगा था तीनो ब्राह्मण कैंडिडेट थे। बहरहाल रवि पांडेय फेसबुक पोस्ट कर फिलहाल शांत है पर दिनेश शर्मा ने रायपुर दिल्ली से वापसी के बाद काफिले के साथ ताकत दिखाई। पहले विद्याचरण फिर जोगी,डॉ महंत और अब सीएम बघेल के खेमे में जाने के बाद भी टिकट नहीं ला पाए । लिहाजा अपने शुभचिंतकों खासकर ब्राह्मणों के नाम पर मीटिंगे कर रहे हैं देखते हैं किस करवट बैठते हैं।
पिछली बार कसडोल इस बार जांजगीर मांगा, पर मिला रायपुर साउथ,सन्त का हो रहा विरोध
2018 में कसडोल की टिकट पाते पाते रह गए महंत रामसुंदर और उनके समर्थकों को ओवर कॉन्फिडेंस हो गया था कि इस बार जांजगीर चाम्पा की टिकट पक्की है। कांग्रेस आला कमान ने उनको बड़े फाइट के लिए साउथ रायपुर भेज दिया। बृजमोहन के अपराजेय गढ़ में बेमन बाबा जी असमंजस में हैं । कार्यकर्ता उनके पास नहीं,बृजमोहन से अच्छे ताल्लुकात भी हैं। सिर मुंडाते ही ओले पड़े की तरह उनको वहां कांग्रेस का भारी विरोध झेलना पड़ रहा है। एजाज ढेबर यहां से दावेदार थे । कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मुखालफत के बीच बाबाजी की राह कठिन हो गईं है।
4 साल में व्यास ले आये टिकट दरी बिछाते-उठाते रह गए नेता-कार्यकर्ता
राममंदिर कारसेवा कर चुके कट्टर जनसंघी व भाजपा पार्षद नपा उपाध्यक्ष जिला पंचायत सदस्य रहे व्यास कश्यप ने टिकट न मिलने पर 2018 चुनाव के ठीक पहले बसपा में आकर चुनाव लड़ा 33 हजार के करीब उन्होंने वोट भी बटोरा। इनके लड़ने से कांग्रेस जबरदस्त नुकसान में रही। ये कांग्रेस आये और मंडी अध्यक्ष बना दिये गए। यही नहीं कांग्रेस की टिकट मांगने वाले वरिष्ठ,युवा सभी को किनारे लगाते हुए सीएम बघेल की फर्स्ट चॉइस बनकर कांग्रेस टिकट ले आये। अब ये रूठों को कैसे मना पाएंगें,कार्यकर्ता कहाँ से लाएंगे ये बडी दिक्कत होगी।
पामगढ़ में गोरेलाल समर्थक बिगड़े,चर्चा में रहा विरोध
पामगढ़ में कांग्रेस ने 2013 की पराजित प्रत्याशी शेषराज हरबंस को टिकट दी है। गोरेलाल वर्मन यहां पिछली बार लड़े थे । उनके समर्थकों ने आलाकमान के सामने जमकर विरोध किया है। ऐसे में शेषराज का रास्ता कठिन हो चला है। पूर्व मप्र पीसीसी के अध्यक्ष व सांसद स्व परसराम भारद्वाज के परिवार से रोमा भारद्वाज, रविशेखर भरद्वाज ने टिकट मांगी थी। इनका रुख क्या होगा ये देखने योग्य है?
कांग्रेस के लिये अकलतरा जैजैपुर आसान नहीं
अकलतरा में कांग्रेस के चुन्नीलाल साहू, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अजित साहु, जैजैपुर में टेकराम दावेदार थे इनका रुख भी देखने योग्य होगा।
चंद्रपुर में नोबेल का यू टर्न
डॉ महंत के गुड बुक में रहे नोबेल वर्मा का आंदोलन चर्चा में रह है चिटफण्ड में रकम वापसी के अभियान में उन्होंने कांग्रेस भाजपा दोनो को जमकर लपेटा था। विधायक रामकुमार यादव से ताल्लुकात भी तल्ख रहे। माना जा रहा था कि वे चुनाव लड़ेंगे। पिछली बार उनकी धर्मपत्नी सुमन मैदान पर थीं । नोबेल वर्मा की आखिर कांग्रेस से पेकिंग हो गयी । उन्होंने कांग्रेस प्रवेश कर लिया।