श्रावन के अंतिम सोमवार को तुर्रीधाम महादेव की पावन धरा में 35 धर्मान्तरित परिवारों की प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने किया सनातन धर्म में घरवापसी


तुर्री – जोबा आनंद शीला आश्रम, जिला सक्ती (छत्तीसगढ़) में धर्म सेना मातृशक्ति, सक्ती के तत्वावधान में “शिव शक्ति रूद्र महाभिषेक” एवं 35 धर्मांतरित परिवारों घर वापसी कार्यक्रम का भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ। इस पावन अवसर पर रूद्र महाभिषेक के उपरांत प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने पूजनीय संतो के सानिध्य में 35 धर्मांतरित परिवारों के पैर धोकर सहसम्मान उनकी सनातन धर्म में घर वापसी किया । आयोजन का शुभारंभ तुर्रीधाम स्थित शिव मंदिर दर्शन एवं पूजन के साथ हुआ, जिसमें प्रमुख अतिथियों ने सपरिवार भाग लिया। इसके उपरांत मंदिर समिति व स्थानीय कार्यकर्ताओं से बैठक कर आश्रम विकास और सामाजिक सहयोग पर चर्चा हुई। जोरा धाम मुख्य कार्यक्रम में आश्रम परिसर में स्वागत-सम्मान समारोह एवं मंचीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से आए धर्माचार्य, बड़ी संख्या में मातृ शक्ति, पूजनीय संत गण, सामाजिक कार्यकर्ता एवं सनातन धर्म के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया। रूद्र महाभिषेक विद्वान आचार्यों द्वारा वैदिक मंत्रों के साथ भगवान शिव का विशेष रुद्राभिषेक किया गया। समस्त अतिथियों व श्रद्धालुओं ने आह्लादित होकर इस दिव्य अनुष्ठान में सहभागिता की। इस अवसर पर घर वापसी अभियान प्रमुख श्री प्रबल प्रताप सिंह जूदेव जी ने कहा : “सनातन को नष्ट करने में आतुर धर्मान्तरण के एजेंट दुर्ग में जनजाति बेटियों का धर्म परिवर्तन करके उन्हें मानव तस्करी के जाल में फसाते रंगे हाथ पकड़े गए, इसका एनआईए/ सीबीआई जाँच हो ताकि इन पर कठोर कारवाई हो । आज का घरवापसी कार्यक्रम उन शैतानी शक्तियों के विरुद्ध आंदोलन का एलान है “
प्रबल ने कहा
“आज 35 परिवारों की घर वापसी के साथ उनकी आत्माओं का पुनरुद्धार हुआ है। यह राष्ट्र को पुनर्जीवित करने का आधार हैँ ।”आज का आयोजन यह दर्शाता है कि जब समाज मिलकर एकजुट होता है तो धर्मांतरण जैसे संकटों का समाधान स्वतः निकल आता है। जो 35 परिवार आज पुनः सनातन की गोद में लौटे हैं, वह धर्म की विजय है, और हमारे अभियान का सार भी।”कार्यक्रम में राष्ट्रीय कथा वाचिका दीदी प्रज्ञा भारती, झोबा आश्रम के संरक्षक स्वामी दिव्यानंद जी (ओम बाबा), स्वामी कौशलेन्द्र कृष्ण महाराज, अंजू जयनारायण गबेल (सनातन सेविका), आयुष शर्मा, परमहंस अग्रज जी, कपिल शास्त्री, आचार्य राकेश जी, राजा सक्ति धर्मेंद्र सिंह सहित अनेक धर्माचार्य एवं सहयोगीगण मौजूद रहे।