सक्ती

कलेक्ट्रेट  कार्यालय से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सकरेली बाराद्वार के शासकीय हाईस्कूल के गंदे शौचालय से संक्रमण फैलने की संभावना

सक्ती – एक तरफ तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता को लेकर पूरे देश में अभियान चला रहे हैं, तो वहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश में भी स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सभी सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं के लिए बेहतर शौचालय का निर्माण करने के लिए लाखों रुपए प्रति वर्ष खर्च किए जा रहे हैं, एवं शौचायलयों के निर्माण के बाद रखरखाव के लिए भी राशि दी जा रही है, किंतु सक्ती विकासखंड में सरकारी स्कूलों के शौचायलयों की बदतर स्थिति को देखकर इस बात का अंदाज लगाया जा सकता है, कि या तो स्कूलों में कार्य करने वाले शिक्षकीय परिवार इस बात को लेकर उदासीन है तथा गंभीर नहीं है, क्योंकि सक्ती विकासखंड के ग्राम पंचायत सकरेली बाराद्वार के शासकीय हाईस्कूल में शौचालय की स्थिति को देखकर इस बात का सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है कि आज सकरेली बाराद्वार जो की जेठा कलेक्ट्रेट कार्यालय से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, तथा प्रतिदिन कलेक्टर साहब सहित जिले के बड़े अधिकारी वहां से गुजरते हैं, उसके बाद यह स्थिति है तो जिले के तथा शक्ति विकासखंड के अन्य सरकारी स्कूलों के शौचायलयों की क्या स्थिति होगी
एवं वर्तमान में बारिश का मौसम है,तथा इस मौसम में जहां संक्रमण फैलते देर नहीं लगती एवं संक्रामक बीमारियों के फैलने की भी संभावनाओ से इनकार नहीं किया जा सकता है, किंतु इसके बावजूद शासकीय हाई स्कूल तकरेली बाराद्वार में शौचालय की स्थिति बड़ी ही बदतर हैं, तथा स्कूलों में शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार शौचायलयों की साफ-सफाई के लिए कर्मचारी भी रखे जाते हैं,किंतु कर्मचारियों की नियुक्ति के बाद यह स्थिति समझ से परे हैं तथा प्रशासन एवं शिक्षा विभाग को चाहिए कि तत्काल स्कूलों में शौचालयों की ऐसी बदतर स्थिति पर संज्ञान ले एवं जिम्मेदार लोगों की लापरवाही पर तत्काल कार्रवाई भी करें
ज्ञात हो की सक्ती जिले के अधिकांशतः सरकारी स्कूलों में आज यही स्थिति है, तथा स्कूलों में शिक्षा अधिकारी समय पर आते हैं, और चले जाते हैं, किंतु स्कूलों में जहां व्यवस्था को बेहतर बनाने में जिस ईमानदारी के साथ अपना योगदान देना चाहिए, वैसा कुछ नजर नहीं आता, आज मानसून का समय चल रहा है,लेकिन सरकारी स्कूलों में जिस प्राथमिकता से वृक्षारोपण का कार्य होना चाहिए वैसा कुछ भी नहीं है, तथा शासन प्रतिवर्ष वृक्षारोपण करने की बात कहता है किंतु यदि ईमानदारी के साथ प्रत्येक सरकारी स्कूलों में वृक्षारोपण के कार्य को गंभीरता के साथ किया जाए तो जिस गांव में वह विद्यालय है वहां कम से कम आबो हवा एवं वातावरण स्वच्छ रहेगा तथा स्कूल के बच्चों को भी प्रतिदिन स्कूल आने पर उन वृक्षो में पानी देने की आदत एवं उसे संरक्षण देने की आदत डलवानी चाहिए जिससे बच्चों में भी वृक्षारोपण को लेकर एक जागरूकता आए, किंतु शासन सिर्फ कागजो में वृक्षारोपण का कार्य करता है, एवं बड़े-बड़े अधिकारी फोटो खिंचवाने के लिए वृक्षारोपण कर अपने कार्यों की इतिश्री कर लेते हैं, किंतु वृक्षों को संरक्षण देने की दिशा में कोई भी गंभीरता पूर्वक योजना नहीं बन रही है