सक्ती

35 साल से पार्टी के प्रति वफादार रहे पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्याम सुंदर अग्रवाल ने मारी पार्टी को ठोकर

सक्ती – आज सक्ती नगर में नगर पालिका चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियों में टिकट बंटवारे को लेकर आपसी खिंचतान बनी हुई है इस संदर्भ में 28 तारीख को नामांकन फॉर्म अंतिम जमा करने के बाद नेताओं में इस्तीफा का दौर शुरू हो गया है इसी कड़ी में सक्ती नगर के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष एवं कांग्रेस के वफादार कर्मठ जुझारू नेता विगत 35 सालों से डॉक्टर चरण दास महंत पूर्व मंत्री वर्तमान प्रतिपक्ष नेता विधायक सक्ती के बहुत करीबी जाने वाले श्री श्याम सुंदर अग्रवाल ने आज अपनी पार्टी कार्यालय में दोपहर 1:00 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने पार्टी पद के समस्त पदो से सक्ती जिला के जिला अध्यक्ष त्रिलोकचंद जायसवाल जी को अपना इस्तीफा सौंप दिया जिससे नगर की राजनीति में बहुत तेजी से सर गर्मियां बढ़ गई उनके चुनाव न लड़ने की अटकलें पर विराम लग गया देर शाम तक नगर के चौक चौराहा पान ठेले होटल इत्यादि जगहों में यह चर्चा का विषय बन गया
सक्ती की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्याम सुंदर अग्रवाल ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उनके इस निर्णय ने न केवल स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा या श्याम सुंदर अग्रवाल के लिए एक नई राजनीतिक पारी की शुरुआतA

राजनीतिक सफर और समर्पण –
श्याम सुंदर अग्रवाल का कांग्रेस से जुड़ाव कोई नया नहीं था। उन्होंने 1990 से ही कांग्रेस पार्टी में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई और विभिन्न पदों पर रहते हुए संगठन को मजबूत करने में अहम योगदान दिया। पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण का प्रमाण यह है कि उन्होंने विभिन्न चुनावी अभियानों में न केवल कांग्रेस का नेतृत्व किया, बल्कि कार्यकर्ताओं के बीच एक प्रेरणास्रोत के रूप में भी कार्य किया।
इस्तीफे का कारण: असंतोष या नई रणनीति –
अपने पत्र में उन्होंने स्पष्ट रूप से कांग्रेस पार्टी की नीतियों और हाल के घटनाक्रमों पर नाराजगी जताई है। 2014 के बाद से पार्टी की गिरती स्थिति, कार्यकर्ताओं की अनदेखी, और निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी जैसे मुद्दे उनके इस्तीफे के प्रमुख कारण बने। उन्होंने कहा कि पार्टी में ईमानदार कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है और बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। 2019 के विधानसभा चुनावों में टिकट न मिलने के बाद भी वे पार्टी के प्रति वफादार बने रहे, लेकिन अब 2025 के चुनावों के मद्देनजर उन्होंने खुद को इस राजनीति से अलग करने का निर्णय लिया है। उनका यह कदम यह संकेत देता है कि वे अपने राजनीतिक करियर में एक नया रास्ता तलाश रहे हैं।
आगे की राह: क्या होगा अगला कदम –
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि श्याम सुंदर अग्रवाल का कांग्रेस से जाना पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकता है, खासकर उस समय जब छत्तीसगढ़ में आगामी चुनावों की तैयारी हो रही है। अब सवाल यह उठता है कि क्या वे किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होंगे या एक स्वतंत्र राजनीतिक सफर की शुरुआत करेंगे? हालांकि, उनके इस्तीफे से यह स्पष्ट हो गया है कि वे अपने सिद्धांतों और विचारधारा से समझौता करने को तैयार नहीं हैं। यदि वे किसी अन्य पार्टी में शामिल होते हैं, तो यह छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
संगठनात्मक विफलताओं की ओर भी इशारा –
श्याम सुंदर अग्रवाल का कांग्रेस से इस्तीफा निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है। उनका यह निर्णय सिर्फ व्यक्तिगत नहीं बल्कि संगठनात्मक विफलताओं की ओर भी इशारा करता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे आगे क्या कदम उठाते हैं और सक्ती की राजनीति में उनका भविष्य क्या मोड़ लेता है। इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस पार्टी को भी आत्ममंथन करने की जरूरत है कि आखिर क्यों उनके जैसे समर्पित नेता संगठन छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। अगर पार्टी समय रहते इन चुनौतियों से नहीं निपटती, तो आगामी चुनावों में इसका असर साफ नजर आ सकता है।