सक्ती

हत्या के आरोपी को मानव वध के लिए 10 वर्ष के कारावास की सजा

सक्ती । घटना का विवरण इस प्रकार है कि प्रार्थी साधुराम चंद्रा द्वारा थाना मालखरौदा में 26.9.2021 को रिपोर्ट किया गया कि वह अपने परिवार सहित ग्राम आमनदुला में निवास करता है उसके पुत्र दिल हरण की मृत्यु हो गई है उसके बच्चे दूसरे मोहल्ले में रहते है उसका नाती आरोपी अजीत कुमार चंद्रा आए दिन पैसों की मांग कर गाली गलौज तथा लड़ाई झगड़ा करते रहता है !
26.9. 2021 को सुबह करीब 10:30 बजे जब उसकी पत्नी बुधियारिंन बाई एवं नातिन रीना चंद्रा घर पर थे रीना पढ़ाई कर रही थी तब आरोपी घर आकर उससे 1000 रु मांगने लगा रुपए नहीं है कहने पर कहीं से उधारी मांग कर दो कहा तब प्रार्थी किससे मांगूंगा बोला तब आरोपी गाली गलौज करते हुए बाड़ी तरफ गया और बाड़ी से एक लकड़ी का डंडा लेकर आया तथा प्रार्थी को मारा जिससे प्रार्थी जमीन पर गिर गया प्रार्थी की पत्नी वहीं पास में ही कुर्सी पर बैठी थी आरोपी ने उसके साथ डंडे से मारपीट किया जिससे उसे अंदरूनी चोट आई थी !
वह बेहोश हो गई थी तब नातिन रीना चंद्रा द्वारा बीच-बचाव किया गया तो आरोपी रीना के साथ भी मारपीट किया और वहां से भाग गया उसके बाद एंबुलेंस 108 बुलाकर प्रार्थी की पत्नी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मालखरौदा ले गए जहां डॉक्टर द्वारा जांच पश्चात उसे मृत घोषित कर दिया गया।
प्रार्थी के उक्त सूचना के आधार पर दिनांक 26.9. 2021 को थाना मालखरौदा में धारा 302 भादवी. के अंतर्गत प्रथम सूचना पत्र पंजीबद्ध किया गया। संपूर्ण विवेचना एवं जांच के बाद मामला न्यायालय में पेश किया गया शासन की ओर से अपने गवाहों को न्यायालय में पेश किया गया आरोपी द्वारा भी बचाव के रूप में अपना बयान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
द्वितीय अपर सत्र न्यायालय के न्यायाधीश डॉक्टर ममता भोजवानी के द्वारा दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात यह पाया कि आरोपी, बुधियारीन बाई का पोता है उसका आसय अपने दादी को जान से मारने की नहीं रही है आरोपी की दादी वृद्ध महिला थी जिसे चोट कारीत हुई और उससे उत्पन्न शॉक के कारण उसकी मृत्यु हुई यद्यपि उसका आसय अपनी दादी की मृत्यु करना नहीं था ।
इसलिए आरोपी का यह कृत्य धारा 302 भादवी. के अंतर्गत हत्या करने की श्रेणी में नहीं आ कर धारा 304 भाग 2 के अंतर्गत अपराधिक मानव वध जो हत्या की श्रेणी में नहीं आता है मानकर आरोपी को धारा 304 भाग 2 भादवी. के अपराध के लिए 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 2000रु. के अर्थदंड से एवं आरोपी को धारा 323 (दो बार) भादवी. के अपराध के लिए 6 माह के कारावास एवं 500_500 रु. के अर्थदंड से दंडित किया गया है। छ.ग.शासन की की ओर से ऋषिकेश चौबे शासकीय अधिवक्ता/ अपर लोक अभियोजक ने पैरवी किया ।