पखवाड़े भर बीत जाने के बाद भी प्रदेश का जेल प्रशासन उप जेल सक्ती के अधीक्षक पर मेहरबान


सक्ती। पखवाड़े भर बीत जाने के बाद भी प्रदेश का जेल प्रशासन उपजेल सक्ती के अधीक्षक सतीश भार्गव पर मेहरबान नजर आ रहा है।
ज्ञात हो कि 27 मई 2022 सुबह 11 बजे उपजेल अधीक्षक सतीश भार्गव की बड़ी लापरवाही सामने आई थी, जिसमें उपजेल के 1 कैदी और तीन बंदियों को जेल से निकाल वन विभाग के डिपो लकड़ी लाने भेज दिया गया था, उक्त घटना पत्रकारों के कैमरा में कैद हुई और अगले दिन समाचार पत्रों की हेड लाइन भी बनी। तत्काल जिला कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला द्वारा जांच आदेश दिए गए वहीं एसडीएम सक्ती ने अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया। मीडिया के माध्यम से केंद्रीय जेल अधीक्षक श्री तिग्गा को भी घटना के वीडियो और फ़ोटो व्हाट्सएप के माध्यम से भेजे गए। केंद्रीय जेल प्रशासन ने भी मामले की अपने स्तर से जांच की। वहीं सूत्रों की मानें तो पूरे प्रकरण में उपजेल अधीक्षक की घोर लापरवाही बताई जा रही है। साथ ही यह बात भी पता चली कि चार में से एक सजायाफ्ता मुजरिम है वहीं बाकी तीन अभी विचाराधीन बंदी हैं साथ ही चारों कैदी और बंदी बड़ी धाराओं में बंद हैं वही एक कैदी को दो अलग अलग मामले में हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा भी हुई है। जानकारों की मानें तो जेल प्रबंधन में मदद के लिए सजायाफ्ता कैदी को जिसकी सजा 2 वर्ष से कम बची हो अधीक्षक द्वारा स्वयं के जिम्मेदारी में कार्य कराया जा सकता है और जरूरत पड़ने पर पर्याप्त सुरक्षा के साथ बाहर भी भेजा जा सकता है। लेकिन जो एक सजायाफ्ता कैदी था जो लकड़ी लेने गया था उसकी सजा 2 वर्ष से काफी अधिक बची हुई है, वहीं एक बात और सामने आई कि दो सजायाफ्ता का जेल रजिस्टर में नाम दर्ज एक ही कैदी को बाहर भेजा गया और उसके साथ जो और तीन बंदी बाहर निकले वह भी 302 यानी हत्या के आरोप में जेल में हैं और उनका मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है। साथ ही चारों कैदी, बंदियों के साथ एक प्रधान आरक्षक एक आरक्षक और एक ओमनी वेन का चालक था। जानकारों का मानना है कि इस तरह की लापरवाही बरतने के कारण ही 2008 में दंतेवाड़ा जेल ब्रेक हुआ था जिसमें सैकडों की संख्या में बंदी और कैदी फरार हो गए थे। दंतेवाड़ा के जेलर द्वारा भी लापरवाही बरतने की बात सामने आई थी और बंदियों को जंगल ले जाकर लकड़ी कटवाने के मामले की पुष्टि होने पर ही जेलर को नौकरी से पृथक किया गया था। कमोबेश सक्ती उपजेल का मामला भी ऐसा ही प्रतीत होता है कि उपजेल अधीक्षक की मनमानी और लापरवाही से बड़ी घटना घट सकती थी। लेकिन स्थानीय पत्रकारों की सजगता से मामला पता चला।
यहां विडंबना यह है कि सभी जांच पूरी हो चुकी है, बावजूद इसके 15 दिनों बाद भी उपजेल अधीक्षक पर जेल प्रशासन और जिला प्रशासन द्वारा जिम्मेदारी तय नहीं की गई है, साथ ही उपजेल अधीक्षक के साथ संलिप्त जेल कर्मचारियों पर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं किया जाना कई सवालों को जन्म देता है। विधिक जानकर भी मान रहें हैं कि उपजेल अधीक्षक सतीश भार्गव प्रथम दृष्टया दोषी हैं, और ऐसी परिस्थिति में तत्काल प्रभाव से निलंबन की कार्रवाई बनती हैं बाकी आगे की कार्रवाई जांच में तय होगी मगर अब तक जेल प्रशासन और जिला प्रशासन इस पूरे मामले में चुप्पी साधे बैठा है। जेल में सीसीटीवी कैमरा भी लगा हुआ है, फुटेज वहां से भी प्रशासन द्वारा अपने कब्जे में ले लिया गया है।
संजय पिल्लई आईपीएस, पुलिस महानिदेशक जेल
मामले की पूरी जानकारी तत्काल मिल चुकी थी, वहीं जेल विभाग द्वारा भी जांच दल गठित कर केंद्रीय जेल अधीक्षक की अध्यक्षता में कराई जा चुकी है, साथ ही जांच रिपोर्ट भी तैयार है, जल्द ही उपजेल सक्ती मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई दोषी है तो बिल्कुल भी उसे नहीं बख्शा जाएगा। जेल मैनुएल के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।