भागवत की कथा भूतकाल की स्मृति,वर्तमान का शोध है और भारत भूमि के लिए उज्जवल भविष्य का संकेत – आचार्य राजेंद्र जी महाराज


सक्ती । भागवत सत्य सनातन और भारत की दिव्य संस्कृति के प्रति हमारी आस्था और धर्म पालन का संदेश प्रदान करने वाला शाश्वत ग्रंथ है । सनातन वैदिक और पौराणिक काल की अद्भुत प्रेरणा है जिससे हम अपने जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करते हैं । भागवत की कथा भूत की स्मृति है , वर्तमान का शोध है, और भारत भूमि के लिए उज्जवल भविष्य का संकेत है । सनातन और हमारी संस्कृति पर पहले भी आघात हुआ और आज भी सनातन धर्म पर आघात होते दिखता है । सनातन ना कभी पहले मिटा था ना आज किसी के दुख साहस करने पर मिट सकता है , क्योंकि एक खंभे से भी भगवान अलौकिक रूप धारण करके अपने भक्त के लिए नरसिंहनाथ बनाकर प्रकट हो जाते हैं । अपने प्रिय भक्तों की रक्षा और शरणागति भी प्रदान करते हैं , यह उद्गार नगर के मित्तल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् गया भागवत के तीसरे दिन व्यास पीठ से छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवत आचार्य राजेंद्र महाराज ने प्रकट किया ।
आचार्य ने बताया कि हिरण्यकश्यप भगवान श्री विष्णु को अपना शत्रु मानकर धरती से भगवान विष्णु की शक्ति सनातन को ही नष्ट कर देना चाहता था , किंतु अहंकार हमेशा अहंकारी को तीन चीजों का नुकसान करवाता है, ऐसे अहंकारी का यश कीर्ति , उसका ऐश्वर्य , और भविष्य का भी नाशक होता है । अहंकार की दीवार गिरने पर ही परमात्मा की प्राप्ति होती है ।
आचार्य द्वारा देवहूति कर्दम जी के प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया गया कि गृहस्थ जीवन में सत्संग से ही घर मंदिर बनता है, और गृहस्थ में केंद्र में भगवान को और परिधि में संसार को रखने से भगवत कृपा बनी रहती है । गृहस्थ की बागडोर अर्थात मनुष्य का गृहस्थ भी एक ऐसा वाहन है , जिसमें पति और पत्नी रूपी दो पहिए लगे रहते हैं , मनुष्य की पांच कर्मेंद्रियां और उसकी पांच ज्ञानेंद्रिय इस गृहस्थ रूपी वहां के 10 घोड़े हैं , जिनके रास को भगवान बांके बिहारी को सौंप देने से गृहस्थ रूपी गाड़ी सीधे मार्ग पर सुखपूर्वक चलने लगती है , सत्संग मनुष्य अपने गृहस्ट में ही पूरे परिवार के साथ मिलकर कर सकता है , भक्ति के मार्ग में परिवार कभी बाधा नहीं होती बल्कि सहायक ही होती है । आचार्य द्वारा सती प्रसंग के बारे में बताया की जीवन में आशा ही दुख का कारण बन जाता है , आशा की पूर्ति नहीं होने पर व्यक्ति निराश होते हैं और स्वयं के लिए भी गलत निर्णय कर लेते हैं भगवान शिव की पत्नी सती के मन में बड़ी आशा और उम्मीद थी कि मेरे मायके में मेरा बड़ा सम्मान होगा और पति का त्याग कर मायके चली गई जहां अपने पति भगवान शिव का अपमान देखकर क्रोध करते अग्नि कुंड में समा गई
मित्तल परिवार द्वारा अपने पूर्वजों की सद्गति के लिए आयोजित श्रीमद् गया भागवत कथा महोत्सव में प्रतिदिन आचार्य देव कृष्ण और प्रसिद्ध संगीतआचार्य संतोष द्वारा सरस भजन का आनंद एवं जीवंत झांकियां का दर्शन लाभ सैकड़ो स्रोतों को प्राप्त हो रहा है । तीसरे दिन की कथा में गणेशाराम अग्रवाल , रमेश चंद अग्रवाल, महेश कुमार अग्रवाल , श्याम सुंदर अग्रवाल , खगेश कुमार पटेल , चौधरी भूतेश्वर , अमर कुमार अग्रवाल , शैलेंद्र कुमार यादव , श्रीमती मोनिका श्रीकांत अग्रवाल , नवल किशोर देवांगन , बजरंग कुमार अग्रवाल , संतोष कुमार अग्रवाल , जय भगवान अग्रवाल , आशीष कुमार , गोपाल अग्रवाल , दिनेश कुमार साहू , भगत राम साहू , संवाददाता रामनारायण गौतम , एवं सैकड़ो कथा श्रोता उपस्थित थे । श्रीमद् गया भागवत के आयोजन श्रीमती मीरा महेंद्र मित्तल एवं पूरे परिवार द्वारा अधिक से अधिक संख्या में कथा अमृत रसपान करने हेतु कपिल की गई है ।