विधानसभा अध्यक्ष महंत ने सोंठी में जैतखंभ एवं गुरु घासीदास के कार्यक्रम में दी शुभकामनाएं एवं बताया महत्व

सक्ती – ग्राम पंचायत सोठी में गुरु घासीदास जयंती के मुख्य अतिथि अध्यक्षता सरपंच चंचला दीपक डेंसिल पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष नरेश गेवाडीन नगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष त्रिलोक चंद जायसवाल गिरधर जायसवाल पिंटू ठाकुर सभी अतिथियों के द्वारा जैतखंभ एवं गुरु घासीदास बाबा जी के तैल चित्र की पूजा अर्चना श्रीफल तोड़कर आरती उतार कर पंथी नृत्य कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत के द्वारा सक्ती विधानसभा क्षेत्र वासियों को बाबा गुरु घासीदास जी के जन्मदिन पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गुरु घासीदास बाबा जी संदेश देते हुए कहा कि गुरु घासीदास बाबा जी का एक ही सपना था मन के मनके एक समान बाबाजी का जन्म ऐसे समय पर हुआ जब समाज में छुआछूत , ऊंच – नीच , झूठ – कपट का बोलबाला था !
गुरु घासीदास बाबा जी ने ऐसे समय में समाज को एकता ,भाईचारे समरसता का संदेश दिया ! गुरु घासीदास बाबा जी का जन्म 18 दिसंबर सन 1756 में छत्तीसगढ़ राज्य के बलौदाबाजार जिला , कसडोल विकासखंड में स्थित गिरौदपुरी गांव में हुआ था !
गुरु घासीदास बाबा जी सत्यनाम के प्रति अटूट आस्था रखते थे बाबा जी बचपन में कई चमत्कार दिखाए गुरु घासीदास बाबा जी ने समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी ! उन्होंने ना सिर्फ सत्य की आराधना की , बल्कि समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग मानवता की सेवा के कार्य में किया ! इसी प्रभाव के चलते लाखों लोग गुरु घासीदास बाबा जी के अनुयाई हो गए ! फिर छत्तीसगढ़ राज्य में सतनाम पंथ की स्थापना हुई !
गुरु घासीदास बाबा जी जातिवाद को मानव समाज का सबसे बड़ा कोढ़ मानते थे ! उनका मानना था कि यह समाज अशिक्षित रहने के कारण समाज के व्यक्तियों को सैकड़ों सालों तक गुलामी को अपने कंधों पर ढोना पड़ा ! जब तक जाति व्यवस्था रूपी कोढ़ को खत्म नहीं किया जाएगा , तब तक देश में राष्ट्रीय एकता के सूरज का उदय नहीं होगा !
यह तभी संभव हो सकता है जब देश में जाति विहीन समाज की स्थापना हो बचपन से बाबा गुरु घासीदास छत्तीसगढ़ के दलित , शोषित , पीड़ि़त समझे जाने वाले लोगों शिक्षित करने के लिए लगे थे ताकि समाज के हर व्यक्ति का जीव मानव – मानव में छुआछूत , ऊंच-नीच का भेदभाव व्याप्त ना हो उनकी अज्ञानता को दूर करने के लिए गुरु घासीदास बाबा जी का अवतरण हुआ था !
गुरु घासीदास बाबा जी द्वारा मनके मनके एक समान का नारा देते हुए मानव धर्म का प्रचार कर शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए हमेशा
गुरु घासीदास बाबा धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास किया गया और बाबा गुरु घासीदास धर्म के प्रति लीन होकर अपनी पत्नी और पांच बच्चों को छोड़कर वैराग्य धारण कर उडी़सा के जगन्नाथपुरी की ओर चल पड़े ! वहां से छतीसगढ़ के सारंगढ़ होते हुए गिरौदपुरी के औरा-धौरा पेड़ के नीचे धुनी रमाया जहां उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई !
“सत्य से धारणी खड़ी , सत्य से खड़ा आकाश है सतनाम का संदेश देते हुए बाबा ने सन 1850 में समाधि ले लिया बाबा के समाधि लेने के बाद सतनाम धर्म के अनुयाई अपने गांव तथा निवास स्थल में जैतखाम पर श्वेत ध्वजा प्रतिवर्ष गुरु घासीदास बाबाजी के जन्मदिन 18 दिसंबर को जैतखंभ पर ध्वज चढ़ाकर बाबा जी की पूजा अर्चना करते हैं गुरु घासीदास बाबा जी के जन्मदिन पर चरणदास महंत ने कहा कि बाबा गुरु घासीदास जी के जयंती पर आप सभी दृढ़ संकल्प लेते हुए बाबाजी के बताए हुए सत्य के मार्ग पर चल कर अपने घर -परिवार के साथ , प्रदेश व देश की उन्नति एवम् प्रगति कर सकते हैं ! गुरु घासीदास बाबा जी का सपना मनके मनके एक समान जाति धर्म एक समान को आप सभी सार्थक कर सकते हैं !
पूजा अर्चना कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत विधायक प्रतिनिधि गुलजार सिंह ठाकुर पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष नरेश गेवाडीन नगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष त्रिलोक चंद जायसवाल गीता देवांगन प्रेम शंकर गबेल सरपंच चंचला दीपक डेन्सील जनपद सदस्य अशोक यादव भुरु अग्रवाल कमल किशोर साहू धनीराम महंत छोटू दास महंत आयोजन समिति अध्यक्ष छत्रीलाल डेंसिल उपाध्यक्ष भरत लाल सचिव राजाराम राजेश राम अवतार डेंसिल जग्गू डेंसिल रथराम पटेल सुरेश यादव नरेंद्र नाथ छविलाल हीरालाल मिट्ठू राम महेंद्र नाथ चंदन राम कालू राम पप्पू शांडिल्य बाबूलाल सुधाराम प्रेमलाल छोटू पतंग खेदू राम सुधराम रामजी महावीर कृष्ण गोपाल रंजीत जान बाबू फिरतु मुकेश जोईधाराम लाभो सुरेश फीरत सुदामा अजय अनिल लाला मीरी विजय सूरज कुशवाह दीपक सत्यजीत अक्षय राकेश लेहरु अशोक संतोष अरुण गोविंदा गोविंदा सुमन देव साहिल कुंजल महेश सुनील डेंसिल राजेश लहरें अजय डेंसिल विनोद सहित जनप्रतिनिधि ग्राम के महिला पुरुष बड़ी संख्या में उपस्थित थे !