लोगों के स्वास्थ्य सुधारने वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सक्ती खुद कोमा में

सक्ती नगर में अंग्रेजी हुकूमत काल में बने पुतरी मय्या अस्पताल की हालत चिंताजनक
80 बिस्तर अस्पताल में सिर्फ 25 बिस्तर ही उपलब्ध, डॉक्टर विशेषज्ञ सहित नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी
सक्ती । जिला बनने के बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जो जल्द ही जिला चिकित्सालय बनने जा रहा है परंतु इसकी हालत काफी खराब है, सीएचसी अब सिर्फ रिफर सेंटर बन कर राह गया है।
ज्ञात हो कि 1938 में पुतरी मय्या अस्पताल के रूप में आज का सक्ती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रारंभ हुआ था, महाराजा रामानुज सरन सिंह देव बहादुर तात्कालिक सरगुजा स्टेट द्वारा इस अस्पताल का शुभारंभ किया गया था, लगभग 84 साल पहले जिस अस्पताल की नींव रखी गई थी वह अस्पताल छत्तीसगढ़ राज्य बनने से पहले तक काफी नाम कमा चुका था, एक समय था जब सक्ती के इस अस्पताल में छोटे बड़े सभी तरह के ऑपरेशन हुआ करते थे, वहीं डभरा, मालखरौदा, बाराद्वार, जैजैपुर सहित खरसियां, फगुरम, नगरदा, जर्वे तक के लोग अपना इलाज कराने सक्ती आते थे। 30 बिस्तर वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की अब दिशा और दशा सुधरने के बजाय काफी दयनीय होती जा रही है। छत्तीसगढ़ प्रदेश बनने के बाद लगातार राजनेताओं द्वारा भी उक्त अस्पताल उपेक्षा का शिकार होता रहा है। बता दें कि 22 साल हो गए छत्तीसगढ़ राज्य को अस्तित्व में आए और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत भी इन्ही 22 सालों से खराब होनी शुरू हुई।
यह भी बतातें चलें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना अंतर्गत अस्पताल परिसर में 50 बिस्तर मातृ एवं शिशु अस्पताल का भव्य तीन मंजिला भवन का निर्माण शासन द्वारा 7 करोड़ में बनवाया गया है, उक्त भवन में इलाज के लिए सारी सुविधाएं थीं मगर इलाज करने के लिए डॉक्टर एवं स्टाफ नहीं हैं। वर्तमान में उक्त अस्पलात में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के 30 बिस्तर को भी मर्ज कर दिया गया है जिससे अब यह अस्पताल 80 बिस्तर हो गया मगर आज भी यहां चिकित्सकों के अभाव में मात्र 25 बिस्तर ही लगे हुए हैं। उक्त अस्पताल में सिर्फ 5 चिकित्सा अधिकारी के साथ 2 वार्ड बॉय, 1 वार्ड आया, 2 ड्रेसर, 1 रेडियो ग्राफर, 5 लैब टेक्नीशियन और 16 नर्सिंग स्टाफ हैं, वहीं यहां एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक भी नहीं हैं। गत दिनों एक डिलीवरी केस आ जाने से नगर के ही निजी अस्पताल की मदद से ऑपरेशन कराया गया था। वहीं इतने बड़े मातृ एवं शिशु अस्पताल में एक भी प्रसूति हेतु महिला चिकित्सक नहीं होना भी स्थानीय लोगों के लिए बहुत परेसानी वाला होता है। लोग तो यहां तक कहने लगे कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से सक्ती में 3 बार भाजपा और 2 बार कांग्रेस के विधायक रहें हैं, और 15 साल प्रदेश में भाजपा की सरकार और 7 साल से अधिक कांग्रेस सत्ता में रही लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत बेहतर होने के बजाए और भी दयनीय होती जा रही है। नगर का यह अस्पताल पूरी तरह से कोमा में चला गया है, वहीं उक्त अस्पताल में गंदगी का आलम भी देखने लायक है।
जिला अलग होने के बाद हमारी पोस्टिंग तो कर दी गई है लेकिन अभी कार्यालय सेटअप नहीं आया है, वहीं लगातार स्टॉप के लिए पूर्व के अधिकारियों ने उच्च स्तरीय लिखा पढ़ी की है, अब जिला बन गया है जल्द ही व्यवस्थाएं सुधारी जाएंगी और बेहतर से बेहरत ढंग से लोगों का इलाज किया जाएगा, कुछ दिक्कतें तो आती हैं लेकिन सक्ती कलेक्टर के कुशल मार्गदर्शन में उन समस्याओं को भी सुलझाने का प्रयास किया जाता है। सूरज राठौर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सक्ती