सक्ती के नेताओं को प्रदेश स्तर पर मिले बड़े ओहदो के बावजूद नेता गण नहीं दिलवा पाए शहर को बड़ी सुविधाये, सिर्फ चिट्ठियों तक एवं मांगों तक ही सिमट कर रह गये नेताओं के प्रयास

सक्ती – सक्ती शहर को वर्तमान में देखा जाए तो बड़े विकास कार्यों की बजाय आम नागरिकों के लिए सुविधाओं की ज्यादा आवश्यकता महसूस होती है, अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से सक्ती शहर जहां व्यापार एवं अपने कार्यों के लिए जाना जाता था, किंतु आज कहीं ना कहीं शहर की पहचान खो गई है, छत्तीसगढ़ राज्य गठन के लगभग 20 वर्षों बाद सक्ती को राजस्व जिले का दर्जा मिला, किंतु जिला बनने के बाद भी जिले का मुख्यालय शक्ति आज सुविधाओं से कहीं न कहीं वंचित है, सक्ती के रेलवे स्टेशन में जहां यात्री ट्रेनों के स्टॉपेज की मांग वर्षो से यात्री कर रहे हैं, किंतु आज तक क्षेत्र के राजनैतिक दलों के नेताओ के उदासीन रवैय्ये के कारण ट्रेनों का स्टॉपेज नही हुआ तथा सक्ती रेलवे स्टेशन में आज भी रेल यात्री विभिन्न समस्याओं का सामना कर कर रहे हैं, प्रदेश एवं देश में सरकारे किसी भी राजनैतिक दलों की हो, किंतु ऐसा लगता है की सक्ती शहर वासियों को इसका कोई लाभ नहीं मिला, शहर में अनेको ऐसे बड़े तालाब दशकों से स्थापित है,किंतु इन तालाबों में अधिकांश तालाबों की स्थिति बड़ी ही दयनीय एवं पीड़ा दायक है, इन तालाबों पर जहां करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं, किंतु आज तक इन तालाबों में शहर के नागरिकों को न ही नौकायान की सुविधा उपलब्ध हो पाई है, और ना ही इन तालाबों को व्यवस्थित करने की दिशा में पहल हुई, सिर्फ तालाबों को खुदाई कर पैसे निकाल लिए गए सक्ती शहर में साल 2006 मैं तत्कालीन अध्यक्ष श्रीमती अहिल्या साहू के समय प्रशासन के द्वारा गौरव पथ निर्माण के लिए भारी तोड़फोड़ की गई, उसके बाद साल 2012 मैं तत्कालीन IAS एसडीएम कार्तिकेय गोयल के समय शहर के सभी प्रमुख मार्गो में भारी तोड़फोड़ की गई, एवं साल 2022 में तत्कालीन IAS कलेक्टर सुश्री नूपुर राशि पन्ना के समय पूरे बुधवारी बाजार के अस्तित्व को ही मिटा दिया गया एवं सैकड़ो घरों एवं दुकानों को नेस्ता नाबूत करवा दिया गया, स्थानीय प्रशासन द्वारा बड़े अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाकर हजारों परिवारों एवं छोटे- बड़े दुकानदारों को प्रभावित किया गया, किंतु आज तक ऐसे लोगों की व्यवस्थापन की कोई कार्रवाई नहीं हो पाई, तथा राजनैतिक पार्टिया सिर्फ झूठे आश्वासन देती रही, किंतु प्रभावित लोगों को मरहम तक नहीं लगाया गया, सक्ती शहर में विगत वर्षों से प्रारंभ हुई करीब 90 करोड़ रुपये की बड़ी जल आवर्धन योजना आज पर्यंत तक अधूरी पड़ी हुई है, तथा यह योजना कब पूरी होगी एवं इसका लाभ शहर की जनता को किस तरह से मिलेगा इसे लेकर चर्चाएं जारी हैं, किंतु इन चर्चाओं का जवाब देने वाला कोई जिम्मेदार न नेता नजर आता है ना कोई अधिकारी नजर आता है, सक्ती शहर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेडियम में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह को भी प्रशासन ने जेठा स्थानांतरित कर दिया, जिससे शहर के इस वार्षिक राष्ट्रीय कार्यक्रम भी से भी लोग वंचित हो गए हैं, जन चर्चा यह भी है कि आने वाले दिनों में सक्ती शहर में वर्तमान में संचालित ब्लॉक एवं कुछ जिले स्तर के सरकारी दफ्तर भी शहर के बाहर स्थानांतरित हो जाएंगे, जिससे शहर का थोड़ा बहुत चलने वाला छोटा- बड़ा व्यापार भी प्रभावित हो जाएगा तथा लोगों को आने वाले समय में कहीं ना कहीं रोजगार की भी एक बड़ी समस्या उत्पन्न होगी, सक्ती शहर में शासन द्वारा विगत वर्षों सरकारी गर्ल्स कॉलेज खोला गया, किंतु आज भी यह कॉलेज आभावो में संचालित है, जिससे यहां पढ़ने वाली छात्राओं को महाविद्यालय स्तर की मिलने वाले सुविधाये नहीं मिल पा रही है, सक्ती शहर के सरकारी अस्पतालों में प्राथमिक उपचार के अलावा बड़ी उच्च चिकित्सा सुविधाये आज भी नहीं मिल पा रही है, तथा लोगों को इलाज करवाने के लिए मजबूरन निजी अस्पतालों की ओर जाना पड़ता है, ऐसी अनेकों छोटी- बड़ी समस्याएं हैं, जिनके लिए शहर की जनता तरस रही है, किंतु आम नागरिकों को ऐसी सुविधा उपलब्ध करवाने वाला कोई नहीं है, प्रदेश में सरकारे बदलती है, तथा राजनैतिक दलों के लोग अपनी स्वार्थ पूर्ति एवं अपनी जेबे भरने के लिए बड़े-बड़े वायदे कर चुनाव जीत जाते हैं, किंतु चुनाव जीतने के बाद ईमानदारी के साथ काम करने की बजाय कहीं ना कहीं वे अपने पूरे कार्यकाल में ही अपने वायदों को पूरा नहीं कर पाते
सक्ती शहर के पुराने नगर पालिका कार्यालय में बिसाहू दास महंत सियान सदन की स्थापना लगभग 3 वर्ष पूर्व की गई थी तथा इसका लोकार्पण भी हो चुका है, किंतु आज तक यह सियान सदन आम जनता के उपयोग से बाहर है, सक्ती शहर में आज भी एक व्यवस्थित चौपाटी एवं ऐसा उद्यान नहीं है जहां लोग बैठकर अपना समय व्यतीत कर सकें, शहर में दो उद्यान दशकों पूर्व स्थापित किए गए थे, किंतु आज दोनों उद्यान बदतर स्थिति में है, स्थानीय प्रशासन को इससे कोई लेना-देना नहीं है, जिसमें प्रमुख रूप से डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी पुष्प वाटिका वार्ड क्रमांक- 02 अखराभाटा में एवं एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय उद्यान शहर के सबसे व्यस्ततम इलाके सरकारी अस्पताल परिसर के अंदर स्थित है सक्ती में सन-1918 में नगर पालिका की स्थापना के बाद से ही यहां की पहचान रहे रौताही मेले का भी अस्तित्व समाप्त होते जा रहा है,स्थानीय प्रशासन इतना अधिक उदासीन हो चला है कि प्रशासन रौताही मेले का आयोजन तक नहीं कर पाता तथा इस मेले का आयोजन निजी हाथों में चला गया है, जो कि स्वयं मेला भरवाते हैं एवं लोगों से पैसा वसूलते हैं, शहर में दशकों से आयोजित होने वाले विजयदशमी दशहरे का भी आयोजन स्थानीय प्रशासन नहीं कर पा रहा है, विगत वर्षों में कुछ सालों तक तो निजी संस्थाओं ने इस आयोजन को किया, किंतु क्या नगर पालिका प्रशासन सक्षम नहीं है, जो की दशहरे महोत्सव का आयोजन तक नहीं कर पा रहा है सक्ती शहर के कंचनपुर में तत्कालीन IAS एसडीएम रैना जमील द्वारा विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने की सोच से उच्च स्तरीय लाइब्रेरी बनाई गई थी, किंतु उक्त लाइब्रेरी की स्थिति यह है कि यहां के विद्यार्थियों को ही इसका संधारण करना पड़ रहा है, प्रशासन ने यहां पूरी उदासीनता बरती हुई है,वही सक्ती शहर में मोबाइल नेटवर्क की बात करें तो आज इतने अधिक मोबाइल यूजर हो गए हैं, किंतु शहर में मोबाइल कंपनियों के टावर की संख्या कम होने तथा ओवरलोड हो जाने के कारण नेटवर्क की समस्या आए दिन बनी रहती है, जिससे नेट की कनेक्टिविटी भी काफी कमजोर है, तथा बीएसएनएल की सर्विस तो दशकों से चली आ रही कहावत भीतर से नहीं लगता- बाहर से नहीं लगता की तर्ज पर नजर आती है, जिसमें बीएसएनएल उपभोक्ताओं को घर के अंदर कमरों में तो नेट भी अच्छे से काम नहीं करता, वही सक्ती शहर की बात करें तो यहां के छोटे-छोटे सब्जी व्यापारी दशकों से व्यवस्थित सब्जी डेली मार्केट की मांग कर रहे हैं,किंतु आज तक स्थानीय प्रशासन ने एक स्थाई सब्जी मार्केट की स्थापना नहीं की, जिसके चलते वर्तमान में बुधवारी बाजार में प्रमुख सड़क के दोनों तरफ सब्जी वाले बैठकर तपती दुपहरी एवं बारिश में ही अपना रोजगार चला रहे हैं, तथा शहर वासी भी खुले आसमान के नीचे बारिश में छाता लेकर तो वही तपती दुपहरी में अपना धूप से बचाव करते हुए डेली मार्केट में सब्जी खरीदने हैं, जबकि इस सब्जी बाजार में प्रतिदिन बड़े अधिकारी से लेकर नेता तथा आम जनता भी सब्जी खरीदने आते है,किंतु उसके बावजूद किसी को भी सब्जी व्यापारियों के प्रति कोई सद्भावना नजर नहीं आती सक्ती शहर के यात्री बस स्टैंड को टेलीफोन एक्सचेंज के पास स्थापित कर दिया गया है, किंतु दुर्भाग्य है कि प्रशासन द्वारा शहर के विभिन्न स्थानों से बस स्टैंड जाने के लिए ऑटो एवं अन्य सुविधा प्रारंभ करने की बात कही गई थी, जो कि आज तक चालू नहीं हो पाई है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र से बस पकड़ने के लिए शहर आने वाले लोगों को पैदल ही मारे- मारे बस स्टैंड की पैदल यात्रा करनी पड़ती है, तथा कभी- कभार कुछ ऑटो मिल जाते हैं, तो वह इतने पैसे मांगते हैं कि आम नागरिकों को इसका आर्थिक नुकसान होता है