सक्ती

मनरेगा में जमकर चल रहा है 5 प्रतिशत दस्तूरी का खेल

जनपद सक्ती भ्रष्टाचार के नाम पर लगातार सुर्खियों में

सक्ती – जनपद पंचायत सक्ती हमेशा से ही सुर्खियों में ही रहता है, ये सुर्खियां अच्छे कामों की नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के नाम पर चलता है। मनरेगा में लगातार भ्रष्टाचार को लेकर भी सक्ती सुर्खियां बटोर रहा है।

ज्ञात हो कि मनरेगा में विगत कुछ दिनों से श्रीमती आकांक्षा सिन्हा जो कि कार्यक्रम अधिकारी हैं द्वारा पंचायतों में काम के बदले पैसे का झोल काफी बड़े पैमाने पर कर रहीं है। सूत्र बताते हैं कि ग्राम पंचायतों में मनरेगा के काम पंचायतों को करना होता है लेकिन पीओ मैडम के कुछ आशीर्वाद प्राप्त ठेकेदार लगातार काम कर रहें हैं। साथ ही यह जानकारी भी मिली है कि रगजा, नंदौर कला, नन्दौर खुर्द रेड़ा सहित एक दर्जन से भी अधिक गांव में मनरेगा के भुगतान के नाम पर पीओ मैडम द्वारा 5 प्रतिशत राशि अपनी दस्तूरी ले ली गई है। यहां बता दें कि कुछ माह पूर्व गहरिन मुड़ा पंचायत से 25 हजार रुपये मनरेगा के पीओ द्वारा लिया गया था जिसकी शिकायत सरपंच ने जनपद के तत्कालीन सीईओ डीएस यादव के समक्ष की थी। सूत्र बताते हैं कि मैडम ने कबुल किया था कि उनके द्वारा 25 हजार रुपए लिए गए हैं, और यह भी कहा गया कि उक्त रकम को जल्द ही संबंधित सरपंच को वापस कर दूंगी। मगर ना तो रकम वापसी हुई और ना ही कोई कार्रवाई हुई। वहीं मैडम की ज्वाइनिंग के दो माह के अंदर ही मैडम के सर्विस बुक में तत्कालीन सीईओ जीपी साहू द्वारा सेवा योग्य नहीं हैं लिखा गया था, उक्त मामले के समय पीओ मैडम को सिर्फ दो माह ही हुए थे नौकरी में आए हुए, वही मैडम भी वेटिंग क्लियर कर ही नौकरी में आई थीं, अब लगातार सरपंचों से एडवांस दस्तूरी ले कर उन्हें पेमेंट में वेटिंग करा रहीं हैं। मैडम की दस्तूरी के बाद भी सरपंच सहित मनरेगा के तथाकथित ठेकेदार अपने जायज पैसे के लिए भटक रहें हैं। लगातार इस संबंध में मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी की शिकायत भी हो रही है।

वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2 करोड़ 85 लाख 65 हजार रुपए लंबित बताए जा रहें हैं। साथ ही वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1 करोड़ 94 लाख रुपए मनरेगा में हुए कार्यों में उपयोग लिए गए सामग्रियों के लंबित हैं, यह पुष्ट करता है कि यह भ्रष्टाचार को लगातार बढ़ावा देने और अपनी दस्तूरी की रकम बढ़ाने लंबित करवाकर रखा गया है। यह भी बता दें कि वित्तीय वर्ष 2020-21 का भी लाखों की राशि भुगतान के नाम पर लंबित है। इस संबंध में जानकारों का कहना है कि जनपद में सिर्फ दस्तूरी देने वालों की सुनवाई है बाकी सरपंचों पर मनरेगा अधिकारी की लापरवाही के साथ दस्तूरी नहीं मिलने का गुस्सा भी झलकता दिख रहा है। लेकिन उनपर कार्रवाई नहीं होना भी कई सवालों को जन्म देता है।