सक्ती

छात्रावास अधीक्षक की मनमानी डांट-फटकार लगाकर बच्चों से कराई जा रही बाथरूम की सफाई, जंग लगे बर्तनों में चटनी खाकर दिन गुजार रहे बच्चे

सक्ती – अनुसूचित जाति बालक छात्रावास में अधीक्षक की मनमानी से परेशान होकर छात्रों ने कलेक्टर से शिकायत करते हुए तत्काल स्थानांतरण की मांग की है। मीनू अनुरूप बच्चों को भोजन नहीं दिए जाने, जंग लगे बर्तनों में पानी पीने व सब्जी की जगह आलू की चटनी परोसे जाने के अलावा डांट फटकार लगाकर बाथरूम की सफाई कराए जाने से परेशान होकर छात्रों ने अधीक्षक के विरूद्ध कलेक्टर से गुहार लगाई है।
प्रदेश में संचालित अनुसूचित जाति- जनजाति छात्रावासों के विद्यार्थियों को बेहतर सुविधाएं देने की दिशा में शासन प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद कुछ छात्रावास अधीक्षक इसे नेस्तानाबूद करने में जुटे हुए हैं। मामला अनुसूचित जाति बालक छात्रावास पिरदा विकासखंड मालखरौदा का है, जहां अधीक्षक एवं सफाई कर्मी की मनमानी और अभद्रतापूर्ण व्यवहार से छात्र काफी परेशान हैं।
छात्रों ने सक्ती कलेक्टर श्री तोपनो को प्रेषित ज्ञापन में बताया है कि मालखरौदा ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पिरदा छात्रावास के अधीक्षक एवं सफाई कर्मी का तत्काल यहां से स्थानांतरण किया जाए, छात्रावास के छात्रों ने कहा है कि छात्रावास अधीक्षक बच्चों के प्रति अन्याय करते हुये ठीक से भोजन नही देते है, आलू की चटनी में खाने को बोलते है एवं शासन द्वारा छात्रावास में प्रतिदिन का भोजन एवं नाश्ते का जो मीनू बनाया गया है, उस मीनू के अनुसार कभी भी नियमित रूप से सामग्री नहीं दी जाती हमारे द्वारा कुछ बोलने पर हमसे अभद्रतापुर्वक व्यवहार कर मार-पीट कर छात्रावास से निकालने की धमकी देता है, यहां तक कि बहुत बच्चों को छात्रावास से निकाल भी दिया है, हम सबको चमका कर सब तरफ की साफ-सफाई करवाते है एवं बाथरूम को भी साफ करवाते है एवं छात्रावास अधीक्षक द्वारा सफाई कर्मी को एक बार भी सफाई करने के लिए नहीं कहा जाता है। दैनिक कर्मी (रसोईया) हैं उनसे भी वाथरूम एवं अन्य साफ-सफाई भी करवाता है, हम सभी बच्चे पुराने थाली एवं गिलास जिनमें जंग (मुर्चा) लगा हुआ है उसी में खाना खिलाया जा रहा है एवं नये थाली एवं ग्लास को अपने ही कक्ष में रखा है एवं सभी पुराने बिस्तर जिसमें बहुत गंदा बदबू आ रही है (नारियल की बुछ की गद्दे) उसी में सो रहे है जिससे आये दिन खुजली से बीमार हो रहे हैं नये नये बिस्तर को हम बच्चों को नहीं दिया जा रहा है।