अन्न दान का पर्व छेर-छेरा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

सक्ती । अंचल में अन्न दान का महा पर्व छेर-छेरा 6 जनवरी शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, सुबह से ही बच्चों की टोली एवं युवाओं की टोली छेर-छेरा मांगने घर-घर पहुंचे वहीं सभी ने बच्चों कि दोषियों को छेरछेरा पर्व पर धान, चावल, नगद रुपए सहित अन्य कई प्रकार के उपहार देकर बच्चों को प्रोत्साहित किया वही बच्चों ने मिलकर एक स्वर में “छेर-छेरा कोठी के धान ला हेरते हेरा” का नारा लगाया। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं पर्वों में महत्वपूर्ण सामाजिक समरसता समृद्धि और दानशीलता के पर्व छेर-छेरा पर्व मनाया जाता है। फसल तैयार होने के बाद प्रति वर्ष पौष माह के पूर्णिमा के दिन छेर-छेरा त्यौहार मनाया जाता है विशेषकर ग्रामीण अंचलों में छेर-छेरा पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें ग्रामीण जन अपने घरों के सामने टोकरी में धान लेकर बैठे रहते हैं और छेरछेरा मांगने पहुंचे बच्चों और युवाओं को छेर-छेरा का दान दिया जाता है और इस दिन छोटे बड़े सभी किसान अपने घरों में छेर-छेरा बांटते हैं इसलिए बच्चों में खासा उत्साह बना रहता है त्यौहार के दिन छत्तीसगढ़ राज्य शासन ने छुट्टी घोषित कर दी है सुबह से ही आज लोग घर घर पहुंच कर छेर-छेरा का पर्व मनाए, वहीं छेर-छेरा के दिन घरों में लोग विशेष प्रकार के व्यंजन भी बनाते हैं इसके लिए तैयारियां 1 दिन पूर्व ही कर ली जाती है, घरों में आज नमकीन तथा मीठे विविध प्रकार के छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाए गए सभी ने स्वादिष्ट व्यंजनों का लुफ्त उठा कर आपस में भाईचारे, समृद्धि और दानशीलता सामाजिक समरसता के साथ हर्षोल्लास के साथ छेर-छेरा पर्व मनाया।