सांस्कृतिक विकास मंच के द्वारा तुलसीदास जयंती कार्यक्रम का शुभारंभ

सक्ती – सांस्कृतिक विकास मंच जिला सक्ती के द्वारा आयोजित तुलसीदास जयंती समारोह के मुख्य अतिथि आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने तुलसी जयंती कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान श्री राम , भारत माता एवं तुलसीदास जी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित पूजा अर्चना तथा हनुमान चालीसा पाठ के साथ किया गया , सांस्कृतिक विकास मंच द्वारा आयोजित तुलसीदास जयंती समारोह के अभ्यागत वर्ग में बसंत लाल जी दुबे , संगीतज्ञ एवं सेवानिवृत्ति प्रधान पाठक , लक्ष्मी नारायण अग्रवाल वरिष्ठ अधिवक्ता सक्ती , सांस्कृतिक विकास मंच के अध्यक्ष एल आर जायसवाल मंच पर उपस्थित थे। पंडित रामाधार पांडे द्वारा वेद मंत्रोच्चार के साथ पूजा एवं अतिथियों का तिलक व श्रीफल से सम्मान कराया गया श्री कृष्ण संगीत विद्यालय के छात्राओं ,ममता दिव्या ,अक्छरा , पुष्पा , दीनदयाल चौहान , नरेश कुमार कसेर एवं संगीत गुरु दिनेश कुमार साहू द्वारा मधुर संगीत एवं भजन प्रस्तुत किए गए। अलग-अलग स्थान से आए कवियों द्वारा तुलसीदास जी की रचना पर काव्य पाठ प्रस्तुत किया गया, जिसमें रघुनाथ जयसवाल ,जी, एल चौहान , नरेंद्र कुमार वैष्णव , कुमारी सुचिता साहू , भगत राम साहू।, मनीष भारद्वाज ,जयंती खमारी , एल आर जायसवाल पीतांबर पटेल, आदि कवियों की विशिष्ट प्रस्तुति दी गई तुलसीदास जयंती समारोह में अधिवक्ता लक्ष्मी नारायण अग्रवाल , सांस्कृतिक विकास मंच के अध्यक्ष लार जायसवाल एवं पंडित बसंत लाल जी दुबे द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जी की दिव्या कृति रामचरितमानस पर बख्यान किया गया। मुख्य अतिथि की आसंदी से अंत में समारोह को संबोधित करते हुए भागवत प्रवाह आध्यात्मिक सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष एवं संस्थापक भागवत आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज जन्म से ही विशिष्ट थे वह अपने माता के गर्भ में 12 महीने रहे , बाल्य काल में ही राम बोला इनका नाम रहा। रत्ना नाम की सुंदर कन्या से इनका विवाह हो जाने पर अपने गृहस्थ से इनका बड़ा लगाव और पत्नी से दिव्य प्रेम था। एक दिन अपनी पत्नी के मायके चले जाने पर तुलसीदास जी स्वयं ससुराल चले गए , कहते हैं घनघोर बारिश हो रही थी और नदी में बाढ़ भी था एक बहते हुए मुर्दे को लकड़ी समझ कर सहारा ले लिया और अंधेरी रात में लटके हुए सर्प को ही रस्सी समझ कर अपनी पत्नी के पास चले गए। धर्मपत्नी रत्ना ने पति तुलसीदास जी से जो बात कही वह हृदय परिवर्तन करने वाली थी , आप इस हाड़ मांस के शरीर से इतना प्रेम करते हैं की रात को एकाएक मुझसे मिलने आ गए , अगर आपका ऐसा ही प्रेम भगवान श्री राम से होता तो दिव्य ज्ञान के साथ उनसे प्रेम हो जाता और भवसागर से पर भी हो जाते आचार्य राजेंद्र ने कहा कि यह तुलसीदास जी महाराज की कम से राम तक की यात्रा थी। उनके जीवन में वैराग्य हो गया और वह ज्ञान अर्जित करने प्रयाग काशी आदि स्थानों पर वेद अध्ययन के साथ रामचरितमानस जैसे अद्भुत ग्रंथ की रचना कर दी।
रामचरितमानस मनुष्य जीवन के लिए मर्यादा पालन करते रहने की प्रेरणा प्रदान करती है, किस ग्रंथ से व्यक्ति व्यक्ति का जीवन अनुप्रीत होना ही चाहिए हम सब केवल राम को ही न जाने बल्कि उनके मानने की भी आवश्यकता है वही राजेंद्र महाराज द्वारा आए हुए सभी कवियों एवं उपस्थित भक्त जनों को तुलसी की माला पहनकर सम्मान किया गया इस अवसर पर प्रेमचंद श्रीवास्तव , गणेश राम साहू , भगवती साहू , रामकुमार साहू , राधेश्याम राठौर ,पूर्णानंद गाबेल ,शिव चरण परिब्रजक , हरि सिंह सिदार , एवं अनेक गामान्य नागरिक उपस्थित थे कार्यक्रम का संचालन हरीश कुमार दुबे एवं भगत राम साहू द्वारा किया गया तथा आभार सांस्कृतिक विकास मंच के अध्यक्ष लार जायसवाल द्वारा किया गया।