सक्ती

मालखरौदा ब्लाक के आधा दर्जन सार्वजनिक शौचालय में जड़ा हुआ है ताला

सक्ती‌‌ ‌। नवीन जिला सक्ती के मालखरौदा जनपद पंचायत क्षेत्र में ग्रामीणों व आम नागरिकों के लिए बनाये गए सार्वजनिक शौचालय सिर्फ शो पीस बन कर रंगाई पोताई से चमकते नजर आ रहे है ,मालखरौदा जनपद पंचायत क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन नाकामयाब रहा, जहाँ अधिकांश ग्राम पंचायतों के सामुदायिक शौचालय में ग्राम पंचायतों द्वारा टाला लटकाया गया है पंचायत सरपंच व सचिवों का कहाँ कहना है कि महिला स्व सहायता समूहों द्वारा देख रेख करने व शौचालयों की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं हो रहे है जिनके कारण शौचालय में ताला लगाना उचित समझा जा रहा है ताकि असमाजिकतत्वों द्वारा शौचालय को कोई हानि ना पहुँचाया जा सके अब ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों को खुले में शौच मुक्त को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जो पहल सुविधाहिन ग्रामीणों के लिए किया गया है उसका करेंगे क्या ? स्वच्छ भारत मिशन के तहत सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराने का पहल किया गया है जो लाखों की लागत से बनवाए गया है उसका पंचायत आखिर करेगी क्या?
नवीन जिला सक्ती के मालखरौदा ब्लाक में मौजूद आधे दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों के सार्वजनिक शौचालयों में टाला लटका हुआ है शासन के निर्देश पर शौचालय के संचालन का जिम्मा पिछले साल जुलाई के महीने मे पंचायती राज विभाग ने ग्रामीण आजीविका मिशन एन आर एल एम को सौंपा जाना था और यह कहा गया था कि संचालन का काम समूह की महिलाएं करेगी। लेकिन इसके बावजूद भी आज मालखरौदा जनपद से महज चार किलोमीटर दूर बड़े सीपत,अमेराडीह, भुतहा, छोटे रबेली,रनपोटा, सहित ग्राम पंचायतों के सार्वजनिक शौचालय में तालें लटके हुए है।
ऐसे में हर महीने जो लांखों रुपए का खर्च राज्य सरकार को दिखाया जाता है, वो आखिरकार कहाँ जा रहा है? ओडीफ़ हो चुके ग्राम पंचायतों में लाखों रुपए खर्च कर सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है जो आम नागरिकों के लिए कौड़ी का काम नहीं रहा है,अभी भी पंचायतों में धड़ाधड़ नए सार्वजनिक शौचालय बनाने की मांग ग्राम पंचायतों द्वारा लगा तार किया जा रहा है ताकि केंद्र सरकार की योजनाओं को किसी भी तरह आहरण कर चुना लगाया जा सके। राज्य सरकार को बेबूनियादी खर्च बता कर मिली भगत कर केन्द्र सरकार को अंधेरे में रख धड़ल्ले से राशि डकारी जा रही है।
अधिकांश जगहों पर सालभर पहले बन चुके शौचालय एक कौड़ी काम नहीं आ रहे हैं।अधिकतर जिले में स्थिती ऐसा है कि ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण पूरा हो जाने के बाद भी उपयोग तक नहीं शुरु हो पाया है।

ग्राम पंचायतों द्वारा सार्वजनिक शौचालयों का संचालन करने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा क्योंकि सरपंच-सचिव खुद ये तर्क दे रहे है कि गांव में पहले से ही सभी घरों में शौचालय बन चुके हैं गांवों में शहरों की तरह बाहरी व्यक्तियों का भी आना भी नहीं होता जिससे कि इस्तेमाल होता। जिसके चलते संचालन कैसे करेंगे। ऐसे में पंचायतों ने निर्माण होने के बाद उन्हें लावारिश की तरह अपने हाल में छोड़ दिया गया है। ऐसे में शासन के लाखों-करोड़ों रुपए की योजनाओं का मज़ाक बन के रखा गया लेकिन फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा। बता दें, एक शौचालय बनाने में तीन से पांच लाख तक खर्च सार्वजनिक शौचालय के लिए राशि निर्माण पंचायत की आबादी के अनुसार जारी हो रही है। जिसमें तीन लाख रुपए से लेकर पांच लाख रुपए तक एक सार्वजनिक शौचालय के लिए राशि दी जा रही है। अधिकांश जगहों पर पंचायत ही निर्माण एजेंसी है। ऐसे में पंचायत निर्माण तो करा रही है पर उपयोग कराने में कोई ध्यान नहीं दे रही। जिससे कई जगहों में उपयोग शुरु होने से पहले ही जर्जर होने की स्थिति में पहुंच गए हैं। पंचायत के सरपंच-सचिवों के द्वारा निर्माण में जमकर वारा-न्यारा किया गया है और जैसे पाए हैं वैसे निर्माण कार्य करवा दिया गया है। बन तो गया है लेकिन इसका संचालन नहीं हो रहा है इसके सुचारु रूप से संचालन के लिए प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है।