सक्ती

सक्ती से हज करने गए हाजियों की वापसी पर हुआ जोरदार स्वागत

सक्ती। इस्लाम के पांच फर्ज कामों में एक हज होता है, हर हैसियतमंद मुसलमान पर जिंदगी में एक बार हज करना फर्ज है, सऊदी अरब के मक्का में हर साल दुनियाभर के लाखों मुसलमान हज के लिए इकठ्ठा होते हैं।
हज तीर्थयात्रा में मुस्लिम मक्का, मदीना और उसके नजदीकी पवित्र स्थलों अराफात, मीना और मुजदलिफा जाते हैं और हज की सारी प्रक्रिया पूरी निष्ठा से अंजाम देते हैं।
इस वर्ष भी नगर से हाजी शेख जलील उनकी अहलिया हज्जन बदरुन्निसा और हाजी शेख सफी जायसी हज के बैतुल्लाह 24 जून को गए थे, जो 2 अगस्त को मुंबई पहुंचे और 4 अगस्त को नगर आगमन हुआ। हाजियों के नगर आगमन पर मुस्लिम जमात द्वारा भव्य स्वागत किया गया। बता दें कि हर धनवान मदीना और मक्का नहीं जा सकता, वहाँ वही जाता है जिस के उपर अल्लाह की रहमत होती है, और हमारे पैगम्बर ए इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लाहो अलैही वसल्लम ने बताया कि जो इंसान हज कर लेता है तो वो हर तरह के पाप और गुनाह से पवित्र होकर वापस आता है, जैसे कि अभी माँ के पेट से जन्म लिया नवजात शिशु हो। इस मौके पर हाजी तैय्यब गुरुजी, वाहिद गुरुजी, महबूब भाई, नबी गुरुजी, असलम खान, शम्सतमरेज पप्पू, बंटी भाई, इब्राहिम खान, वाय पी अहमद, नूर अहमद, ग़ालिब खान, मो. महबूब, मो उमर खान, सरीफ बक्स, बैदर खान जशपुर वाले, मो सैफ खान कादरी, मो बासित खान, मो हाकिम खान, शेख नूर जायसी, शेख मिन्हाजुद्दीन, मजीद खान, ताहेर कमर सहित मुस्लिम जमात द्वारा तमाम हाजियों को दिल की अथाह गहराईयों से मुबारक बाद और बधाई दी गई एवं अल्लाह सभी के हज कुबूल करे की दुआ की गई।