सक्ती

सक्ती के श्री राधाकृष्ण सत्य सनातन धर्म समिति एवं महिला मंडल द्वारा 19, 20 एवम 21 सितंबर को होगा ऋषि पंचमी उद्यापन कार्यक्रम

सक्ती के श्री राधाकृष्ण सत्य सनातन धर्म समिति एवं महिला मंडल द्वारा 19, 20 एवम 21 सितंबर को होगा ऋषि पंचमी उद्यापन कार्यक्रम kshititech

सक्ती ‌। सक्ती शहर में के श्री राधाकृष्ण मंदिर में आगामी 19,20 एवम 21 सितंबर को श्री राधाकृष्ण सत्य सनातन धर्म समिति एवं महिला मंडल द्वारा संयुक्त रूप से ऋषि पंचमी उद्यापन का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया है,तथा कार्यक्रम को लेकर जहां व्यापक रूप से तैयारी की जा रही हैं, तो वहीं उपरोक्त कार्यक्रम के संबंध में श्री राधाकृष्ण सत्य सनातन धर्म समिति सक्ती के प्रमुख विनोद अग्रवाल ने बताया कि ऋषि पंचमी उद्यापन में शामिल सभी उद्यापनकर्ताओं के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रम के संबंध में आवश्यक जानकारियां दी जा रही है तथा
प्रथम दिवस दिनांक 19 सितम्बर 2023 दिन- मंगलवार को शाम 3 बजे श्री गणेश जी की स्थापना ,जन्मोउत्सव की कथा ,भक्तजनों, माताओं, बहनों द्वारा श्री गणेश जी का पूजन, दूर्वा से अभिषेक किया जावेगा,जो भक्तगण, माताएं, बहनें पूजन व अभिषेक करना चाहती हैं, वे अपने साथ माला, पुष्प, 108 दूर्वा ,फल, व 5 नग बूंदी के लड्डू साथ मे लावेंगे,बाकी पूजन सामग्री की व्यवस्था समिति करेंगी,द्वितीय दिवस – दिनांक 20 सितम्बर 2023 दिन- बुधवार को उद्यापन में शामिल होने वालों अपने घर से तैयार होकर सुबह 8 बजे श्री राधाकृष्ण मंदिर पहुंचेंगे, तथा यहां सभी भक्तजनों के लिए फल ,चाय, दूध की व्यवस्था समिति द्वारा की गई है
आयोजन समिति के विनोद अग्रवाल ने बताया कि उद्यापन कर्ताओ को 108 बार चिट-चिटा का दातुन करके पहुंचना है,108 लोटा या लुटिया जल में स्नान करना है,( थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर) स्नान कर पूजा स्थल पहुंचना है, पूजन वास्ते 1 नारियल, फूल, फूलमाला, बेलपत्र, दुर्वा एवं कुछ नोट या सिक्का पूजन में चढ़ाने के लिये अपनी इच्छानुसार लेकर आना होंगा, पूजन चौकी में शुद्धिकरण एवं पूजा इत्यादि के उपयोग के लिए जल रखने हेतु एक लोटा अथवा जल पात्र उद्यापन कर्ता को स्वयं लाना है, जिसे बाद में उन्हें वापस कर दिया जाएगा,एवम पूजन की अन्य सामग्री – चौकी, कलश हेतु लोटा, सप्त ऋषियों की फोटो, रोली, चावल, नाल, फल, प्रसाद, दिया, माचिस, घी, बाती, हवन सामग्री,कपड़ा,आसान, दातुन, लुटिया, गोमुखी, माला, खड़ाऊ, आदि सभी सामान समिति द्वारा प्रदान किया जावेगा,व्रत धारियों के लिए सुबह का जलपान व दोपहर में फलाहार( फाफर पुड़ी, सिंगारा हलवा, साबुन दाना की खिचड़ी या बड़ा, खीर या मीठे भांत ,मखना की सब्जी, दही) शाम 4 बजे से शिवपुराण की कथा होंगी , कथा समाप्ति के बाद घर वापसी के समय उपवास करने वाले ओर पूजन में बैठे भक्तजनों के लिये फल, चाय, दूध आदि की व्यवस्था समिति द्वारा की गई हैं
आयोजन समिति के प्रमुख विनोद अग्रवाल ने बताया कि उद्यापनकर्ता अपना गढ़जोड़ा साथ लेकर आवें। यदि कोई उद्यापनकर्ता किसी कारणवश गढ़जोडा से उपस्थित नहीं हो सकते तो वह अपना गठबंधन साथ लावें,समस्त पूजन सामग्री समिति द्वारा उपलब्ध कराई जावेगी किंतु उसके उपरांत भी कोई उद्यापनकर्ता स्वेच्छा से गुरुजी अथवा ब्राम्हणों के लिए फल, प्रसाद , अन्य कोई सामग्री दान करना चाहता है तो स्वयं लाना चाहते है तो लाकर दे सकते है,समस्त उद्यापनकर्ताओ को पितरों के निमित्त एक साल(365दिन का) 401/- का लिफाफा पूजा चौकी पर चढ़ाना है,सभी उद्यापनकर्ता कोशिश करे की पीले रंग की साड़ी पहनकर ही पूजा स्थल में समिल्लित होवें (कोरा या पहना हुआ आपकी इच्छा पर निर्भर है),सभी उद्यापनकर्ताओं को सुबह 8 बजे पूजा स्थल श्री राधाकृष्ण मंदिर पहुंचना हैं । (समय का विशेष ध्यान रखें),तृतीय दिवस दिनांक 21 सितम्बर 2023 दिन- गुरुवार को सुबह 9 बजे गुरुजी द्वारा घर परिवार से संबंधित धर्म शास्त्र से जुड़ी ज्ञान की बाते, पूजा, व्रत,त्योंहार आदि जीवन शैली की बातें ओर धर्म शास्त्र चर्चा ,प्रवचन किया जावेगा,दोपहर 12 बजे के बाद ब्राह्मण भोज ,ब्राह्मण तिलक दान अपनी इच्छा अनुसार आपको देना है,उसके बाद भंडारा प्रारंभ होगा ,सभी पूजा में शामिल भक्तों को एवम परिवार वालों के भंडारे वास्ते सात कूपन दिये जावेंगे,जिन उद्यापनकर्ताओं ने अभी तक रसीदें नही मंगवाई है वे सभी रसीदें मंगवा लेवें। ताकि उचित व्यवस्था की जा सके व्यवस्था में कोई परेशानी ना हो, जिन माताओं-बहनों का ऋषि पंचमी उद्यापन ग्रुप में नंबर नही जुड़ा है,वे महिला मंडल की बहनों से संपर्क कर अपना नंबर जुड़वाएं, एवं उपरोक्त कार्यक्रम से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए कार्यक्रम की आयोजक- श्री राधाकृष्ण सत्य सनातन धर्म समिति, सकती एवं समस्त महिला मंडल की बहनें सकती से जानकारी प्राप्त की जा सकती है,जानकारी हेतु संपर्क -विनोद बंसल 7000292626 है
क्या है ऋषि पंचमी का महत्व
धार्मिक मान्यतानुसार ऋषि पंचमी का अवसर मुख्य रूप से सप्तर्षि के रूप में प्रसिद्ध सात महान ऋषियों को समर्पित है। ऋषि पंचमी के दिन पूरे विधि-विधान के साथ ऋषियों के पूजन के बाद कथापाठ और व्रत रखा जाता है,ऋषि पंचमी का पवित्र दिन महान भारतीय ऋषियों की स्मृति में मनाया जाता है। सप्तर्षि से जुड़े हुए सात ऋषियों के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने पृथ्वी से बुराई को खत्म करने के लिए स्वयं के जीवन का त्याग किया और मानव जाति के सुधार के लिए काम किया। हिंदू मान्यताओं और शास्त्रों में, यह उल्लेख किया गया है कि ये संत अपने भक्तों को अपने ज्ञान और बुद्धि से शिक्षित करते हैं ताकि हर कोई दान, मानवता और ज्ञान के मार्ग का पालन कर सके
ऋषि पंचमी का महत्व और पूजा विधि
मान्यता है कि इस दिन व्रत रखना काफी ज्यादा फलदायी होता है,इस व्रत को भक्ति और श्रद्धा के साथ किया जाता है, इस दिन ऋषियों का पूर्ण विधि-विधान से पूजन के बाद कथा सुनने का विशेष महत्व बताया गया है,मान्यता है कि यह व्रत लोगों के पापों का नाश करता है और अच्छे फल देता है। यह व्रत और ऋषियों के प्रति श्रद्धा, कृतज्ञता, समर्पण और सम्मान की भावना को दर्शाता है,ऋषि पंचमी के दिन महिलाएं सरोवर या नदी विशेषकर गंगा में स्नान करती हैं। ऐसी मान्यता है कि रजस्वला के समय होने वाली तकलीफ तथा अन्य दोष के निवारण के लिए महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत करती हैं और स्नान करती हैं। आज के दिन महिलाएं सप्तऋषियों की पूजा करती हैं और दोष निवारण के लिए कामना करती हैं,पहले यह व्रत सभी वर्णों के पुरुषों के लिए बताया गया था लेकिन समय के साथ-साथ अब यह व्रत अधिकतर महिलाएँ करती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है,ऋषि पंचमी की पूजा में महिलाएं सप्त ऋषियों की मूर्ति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं। इसमें प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की पूजा भी की जाती है। उसके बाद ऋषि पंचमी की कथा सुनती हैं। ऋषि पंचमी के व्रत में महिलाएं फलाहार करती हैं और अन्य व्रत के नियमों का पालन करती हैं। दिन के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराती हैं और स्वयं पारण कर व्रत को पूर्ण करती हैं। इस व्रत में दिन में एक बार भोजन करना चाहिए,ऋषि पंचमी की पूजा के लिए सप्तऋषियों की प्रतिमाओं की स्थापना कर उन्हें पंचामृत स्नान दें, जिसके बाद उनपर चंदन का लेप लगाएँ और फूलों एवं सुगंधित पदार्थों, दीप, धूप आदि अर्पण करें इसके साथ ही श्वेत वस्त्रों, यज्ञोपवीतों और नैवेद्य से पूजा और मंत्र का जाप करें।
ऋषि पंचमी व्रत की कथा
काफी समय पहले विदर्भ नामक एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहते थे, उनके परिवार में एक पुत्र व पुत्री थी। ब्राह्मण पुत्री का विवाह अच्छे ब्राह्मण कुल में कर देता है लेकिन काल के प्रभाव स्वरूप कन्या का पति अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है। जिसके बाद विधवा अपने घर लौट जाती है,एक दिन आधी रात में विधवा के शरीर में कीड़े पैदा होने लगते हैं। ऐसी हालत देखकर उसके पिता एक ऋषि के पास ले जाते हैं। ऋषि कहते हैं कि कन्या पूर्व जन्म में ब्राह्मणी थी और इसनें एक बार रजस्वला होने पर भी घर के बर्तन छू लिए और काम करने लगी। बस इसी पाप की वजह से इसके शरीर में कीड़े पड़ गए,दरसल शास्त्रों में रजस्वला स्त्री का कार्य निषेध बताया गया है लेकिन इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया और इसका दंड भोगना पड़ रहा है। तब ऋषि कहते हैं कि अगर वह कन्या ऋषि पंचमी का व्रत करें और पूरे श्रद्धा भाव के साथ पूजा और क्षमा प्रार्थना करे और उसे अपने पापों से मुक्ति मिल जाएगी,इस प्रकार कन्या द्वारा ऋषि पंचमी का व्रत करने से उसे पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।