सक्ती

नवीन जिला सक्ती के द्वितीय स्थापना दिवस पर प्रशासन ने की उपेक्षा – चितरंजय सिंह पटेल

सक्ती‌।  नवीन जिला सक्ती के द्वितीय स्थापना दिवस पर शासन प्रशासन की उपेक्षा से साफ नजर आया कि २ साल पूर्व जिला स्थापना पर शासन – प्रशासन के नुमाइंदों के चेहरे पर नजर आई खुशी चंद साल में ही गायब नजर आ रही है। खासकर, अब तक शासन प्रशासन के जवाबदार लोग जिलेवासियों को जिला मुख्यालय का निश्चित ठीहा तक नहीं बता पा रहे है ऐसे में जिला स्थापना दिवस को लेकर प्रशासन के साथ जन प्रतिनिधियों की बेरुखी हम सबके लिए अच्छा संकेत नहीं है।
विशेषकर तब, जब मीडिया के साथियों ने दो दिन पूर्व ही शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के सामने जिला प्रभारी मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े को जिला स्थापना दिवस की याद दिलाते हुए विशेष आयोजन को लेकर स्मरण कराते हुए बात रखी तब उन्होंने शासनप्रशासन के स्थानीय ओहदेदारों की ओर इशारा कर एक प्रकार से जवाबदेही तय कर दी थी फिर भी जिला प्रशासन अथवा जनप्रतिनिधियों के द्वारा किसी भी प्रकार का सुध न लेना हम सबके लिए विचारणीय विषय है कि जिला स्थापना के दरम्यान पखवाड़े भर पहले से अनवरत प्रयासरत सर्वथा उत्साहित शासन प्रशासन को क्या हुआ है कि स्थापना दिवस पर कुछ भी नहीं हुआ और सब कुछ खत्म नजर आ रहा है…अगर शासन – प्रशासन अथवा जन प्रतिनिधियों ने कुछ अंतर्निहित निजी कारणों से उपेक्षा बरती है तो भी हम सभी सक्ती नगर के मूल निवासियों को जागना होगा क्योंकि अब तक जिला मुख्यालय, राष्ट्रीय पर्व और अब स्थापना दिवस सब कुछ में हम सबकी उपेक्षा नाकाबिल ए बर्दास्त है…खासकर अब, जबकि सरकार बदल चुकी है तब नई सरकार के नुमाइंदे भी अगर इसी तरह से नए जिले के सर्वांगीण विकास के लिए लापरवाह नजर आ रहें हैं तो आइए हम सब अंचलवासी अपने अनवरत उपेक्षा के कारणों को जानें और अपने सक्ती के मान सम्मान के लिए कुछ करें …यह हमारा हक है और दायित्व भी… इसलिए अपने दायित्व निर्वहन में चूक गए तो भावी पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी …क्योंकि हमारी भारतीय संस्कृति में यह स्पष्ट है कि इतिहास गुनाह करने वाले गुनहगारों के साथ ही उस गुनाह को देखते हुए तटस्थ भाव से मौन रहने वाले भीष्म पितामह जैसे को भी महाभारत का बड़ा गुनाहगार मानता है… इसलिए जागें…सोचें, और अपने लिए न सही, अपने नौनिहालों के भविष्य संवारने के लिए कुछ करें…