सक्ती

हेमलता के विरुद्ध दर्ज एफआईआर की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सक्ती – तात्कालिक अनुभव अनुविभागीय अधिकारी इंद्रजीत बर्मन के प्रतिवेदन के आधार पर हेमलता के विरुद्ध दर्ज एफआईआर की कार्यवाही को  सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थगित कर दिया गया है पूरा मामला यह है कि बंसल अपार्टमेंट की शिकायत पर तात्कालिक अनुविभागीय अधिकारी बर्मन के निर्देशानुसार तात्कालिक तहसीलदार शिवकुमार दंड सी द्वारा बंसल अपार्टमेंट का सी मकान एवं मौका जांच किया गया था जांच में यह पाया गया कि बंसल अपार्टमेंट 15  डिसमिल पर निर्मित है किंतु रजिस्ट्री पेपर 12 डेसिमल के शेष हैं  तीन डेसिमल के संबंध में कोई दस्तावेज या नामांतरण पंजीकरण कार्यालय में उपलब्ध नहीं है इस प्रकार हेमलता द्वारा तीन डेसिमल की कुटरचना कर तीन डिसमिल भूमि को अपने नाम से राजस्व अभिलेख में दर्ज कराया है इसी को आधार बनाते हुए तात्कालिक अनुभाग्य अधिकारी बर्मन के प्रतिवेदन के आधार पर कलेक्टर के आदेश पर तात्कालिक तहसीलदार शिव कुमार डनसेना द्वारा हेमलता के विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज कराई गई है मौके पर हेमलता द्वारा प्रस्तुत न तो दस्तावेजों का अवलोकन किया गया ना कोई सफाई का मौका दिया गया बर्मन द्वारा हेमलता के विरुद्ध एफ.आई.आर दर्ज करने के उद्देश्य से नामांतरण पंजी को गायब करवा दिया गया , जबकि नामांतरण पंजी कार्यालय में उपलब्ध थी और तीन डिसमिल भूमि का विधिवत नामांतरण उक्त पंजी में दर्द था इस प्रकार एस.डी.ओ. एवं तहसीलदार ने मिलकर विधि विरुद्ध हेमलता के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई इस संबंध में विधि विरुद्ध एफआईआर को निरस्त किए जाने बाबत हेमलता द्वारा सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगे और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिटीशन स्वीकार करते हुए उक्त एफआईआर पर की जा रही कार्यवाही के संबंध में स्टे आर्डर जारी किया गया पूर्व में भी इंद्रजीत बर्मन द्वारा हेमलता के पति जगदीश बंसल के विरुद्ध ऐसे ही विधि विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई थी जिसे भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त करते हुए अपने आदेश में लिखा था की जगदीश बंसल के विरुद्ध एफआईआर नहीं बनती है जिसके आधार पर बाद में जगदीश बंसल द्वारा बर्मन एवं तहसीलदार के विरुद्ध एक करोड रुपए के मानहानि सहित फौजदारी प्रकरण दयाल कर रहे हैं जो अभी लंबित है यहां यह लिखना भी लाजिम होगा कि बर्मन एवं तहसीलदार द्वारा बंसल के कार्यालय को भी विधि विरुद्ध तरीकों से तोड़े जाने केकरा राजस्व मंडल ने बंसल के पक्ष में आदेश पारित करते हुए तहसीलदार से मुआवजा राशि प्राप्त करने का अधिकार बताया है जिसके फल स्वरुप बंसल द्वारा तहसीलदार शिवकुमार डनसेना के विरुद्ध क्षतिपूर्ति का वध प्रस्तुत किया गया है जो उच्च न्यायालय में लंबित है बंसल से मांगी गई ₹500000 की राशि नहीं मिलने पर तात्कालिक अनुविभागीय अधिकारी बर्मन द्वारा बंसल के विरुद्ध आने को विधि कार्यवाही की गई जो एक भी प्रमाणित नहीं हो पाई