दो वक्त की रोटी के लिए पांच साल की मासूम अपनी जान जोखम में डालने को मजबूर

जोखिम भरा खेल दिखाया
सक्ती – जैजैपुर/करौवाडीह रोजाना यह परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों सहित सड़कों पर निकल पढ़ता है और कहीं भी जगह देख कर अपना जोखिम भरा खेल शुरू कर देते हैं। एक रस्से पर पांच साल की यह मासूम अलग-अलग तरह के करतब दिखाती है कभी डंडा लेकर रस्से पर चलती है तो कभी पहिये के सहारे रस्से का खतरे वाला रास्ता पूरा करती है। और लोगों की भीड़ उसके हैरत अंगेज स्टंट को देखकर दांतों तले ऊँगली दबा लेते हैं। करतब दिखाने के बाद लोगो से यह मासूम अपने और अपने परिवार के लिए पैसे भी इकठ्ठा करती है. यह खेल एक या दो दिन का नहीं बल्कि प्रति दिन का है, क्योंकि पापी पेट का सवाल है इसलिय यह मासूम अपनी जान को रोजाना जोखिम में डालती है। ये बच्ची बचपन को दरकिनार कर पेट की आग बुझाने के लिए करतब दिखा रही है। जान जोखम में डालकर रस्सी पर चलना इनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया है, चंद रुपयों की खातिर जीवन को खतरे में डालकर मौत की राह पर चलता ये बचपन बताता है। कि जिन्दगी कितनी सस्ती है। अपने और अपने परिवार के लिए दो वक़्त की रोटी जुटाने के लिए पांच साल की एक मासूम बच्ची रोजाना रस्सी पर चल कर अपनी जान जोखिम में डाल कर लोगों को तमाशा दिखाती है पर कोई भी यह जानने की कोशिश नहीं करता की आखिरकार यह बच्ची ऐसा क्यों कर रही है। वहीं प्रदेश में गठित बाल श्रम विभाग की नजर भी इस और नहीं जाती। सरकारों की नीतियां भी इन्हीं सड़कों पर दम तोडती देखी जाती हैं। केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए विभिन्न योजनाएं बनाती हैं और करोड़ो खर्च करती हैं, लेकिन क्या इन योजनाओ का हक़ उन्हें मिल रहा है जिन्हें मिलना चाहिए था ये तस्वीर उन योजनाओ पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है।