फर्जी इकरारनामा के आरोपी बालकिशन शर्मा पहुँचा जेल की सलाखों में

एडीजे बिलासपुर ने की जमानत याचिका खारिज
सक्ती – पत्रकार अशोक कुमार अग्रवाल के फर्जी हस्ताक्षर कर मकान हड़पने के आरोपी बिलासपुर ताला पारा ,मगर पारा निवासी बालकिशन शर्मा पिता स्वर्गीय केशरमल शर्मा उर्फ वीरा की जमानत याचिका कल 12 जुलाई को बिलासपुर के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश 6 माननीय अशोक कुमार लाल ने खारिज कर दिया है इसके पूर्व भी मुख्य न्याययिक दंडाधिकारी के न्यायालय ने भी उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी ।
ज्ञातव्य है कि सक्ती जिला के पत्रकार अशोक कुमार अग्रवाल की पत्नी सरिता देवी अग्रवाल एवं पुत्र मनीष कुमार अग्रवाल के संयुक्त नाम पर ताला पारा ,मगर पारा ,L I C बिल्डिंग के पीछे मकान नंबर A -1 सत्या निवास,बिलासपुर के नाम पर शासकीय अभिलेखों में दर्ज है ,वर्ष 2004 में आरोपी बालकिशन शर्मा की पत्नी सावित्री शर्मा ,प्रधान पाठिका ,शासकीय स्कूल मंगला चौक ,बिलासपुर (वर्तमान में पदस्थ) को 01 मई 2004 को 11माह के लिखित अनुबंध पर किराए पर दिया था ,लेकिन समय सीमा व्यतीत होने के बाद आरोपी पति बालकिशन शर्मा एवं उसकी शिक्षिका पत्नी ने मिलकर मकान खाली नहीं किया एवं मकान मालकिन से दुर्व्यवहार करते हुए देख लेने की धमकी दी ।मकान को हड़पने की नीयत से उन्होंने दिनांक 30 मार्च 2007 की देर रात 11.41 मिनट पर उपपंजीयक बिलासपुर के कार्यालय से फ़्रेंकिंग मशीन के जरिये 50 रुपए कीमत का स्टाम्प (दस्तावेज ) निकाल कर रात्रि में 19 मिनट के अंदर ही उक्त दस्तावेज में कूटरचित कर अशोक कुमार अग्रवाल के जॉली हस्ताक्षर कर फर्जी कूटरचित विक्रय का इकरारनामा तैयार कर लिया जिसमे उन्होंने अपने परिचित दो गवाहों के साथ साथ नोटरी ऑफिसर ,सिविल बिलासपुर की सील लगाकर कूटरचित रूप से तैयार करके प्रकरण चल रहे जिला न्यायालय बिलासपुर में स्वतः पेश किया था ,जिसकी जानकारी लगने पर अशोक कुमार अग्रवाल ने बिलासपुर सम्भाग के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक दीपांशु काबरा एवं तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख से व्यतिगत रूप से लिखित शिकायत करते हुए इस फर्जी दस्तावेज के बारे मे विस्तृत जानकारी देकर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का आग्रह किया ,जिस पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर थाना सिविल लाइंस ,बिलासपुर में अशोक कुमार अग्रवाल की लिखित शिकायत पर बालकिशन शर्मा के ऊपर अपराध क्रमांक 0068 दिनांक 19 जनवरी 2018 को भा द स की धारा 420 एवं 467 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज कर मामले को विवेचना में लिया गया ,आरोपी बालकिशन शर्मा के द्वारा कूटरचित दस्तावेज में उसके दोनों गवाहों एवं नोटरी अधिकारी एवं हस्त लिपि विशेषज्ञ की रिपोर्ट एवं बयान के आधार पर उक्त फर्जी इकरारनामा की पुष्टि हो गई थी । जिसकी भनक लगते ही आरोपी उस समय गिरफ्तारी के डर से फरार हो गया था बाद में उसने उक्त आपराधिक प्रकरण को माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उक्त FIR को खारिज करने का आवेदन प्रस्तुत किया था ,माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर की डबल बेंच ने 12 जून 2023 को आरोपी द्वारा प्रस्तुत याचिका को खारिज करते हुए प्रकरण का निराकरण कर दिया ,जिसकी जानकारी अशोक कुमार अग्रवाल को अपने अधिवक्ता के माध्यम से मिलने पर उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मिलकर आरोपी की शीघ्र गिरफ्तारी करने का लिखित अनुरोध किया जिस पर आरोपी बालकिशन शर्मा को सिविल लाइंस पुलिस बिलासपुर ने 05 जुलाई 2023 को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था जहाँ न्यायालय के आदेश पर केंद्रीय जेल बिलासपुर में दाखिल कर दिया गया है ।
ज्ञातव्य है अपर जिला सत्र न्यायाधीश बिलासपुर के न्यायलय द्वारा भी 13 नवंबर 2014 को पारित आदेश में आरोपी बालकिशन शर्मा एवम सावित्री शर्मा को उक्त मकान को 2 माह के अंदर खाली कर मकान मालिक को सौपने का आदेश जारी कर दिया गया था ,उसके सम्बंध में भी अपील प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है ।