आगे बढ़ते सक्ती में कई वर्ष से दशहरा ना मनाना , जनता के चेहरे में छाई उदासी

दशहरा का कार्यक्रम ना होना आमजन के समझ से परे
सक्ती । सक्ती रियासत का दशहरा इन दिनों राजनीति की भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है, यह दशहरा किसी जमाने मे सक्ती रियासत की शान हुआ करता था। जो आज केवल राजनीति का अखाड़ा बनकर रह गया हैं और अपनी परंपरागत पहचान खोता जा रहा है। आस-पास के क्षेत्रों मे दशहरा और रावण दहन की तैयारियां बड़े ही जोर-शोर से चल रही है। लेकिन हर बार की तरह सक्ती वासियों को सक्ती की ओछी राजनीति की वजह से इन सब से कोसो दूर रहना पड़ रहा है।
बता दें कि सक्ती रियासत मे दशहरे मे रावण का विशालकाय पुतला बनाकर बुधवारी बाजार स्थित मैदान मे खड़ा किया जाता था। जिसे देखने के लिए दूरदराज के इलाकों से विशाल जनसमूह इकट्ठा हुआ करता था। यह दशहरा बड़ी ही धूमधाम से परंपरागत रूप से मनाया जाता था। दशहरे का यह परंपरागत त्यौहार सक्ती रियासत की शान हुआ करता था।
दशहरे के दिन राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की भव्य झांकी राम मंदिर से निकल कर नगर का भ्रमण करते हुए बुधवारी बाजार स्थित मैदान पहुंचती थी, जहां विशालकाय रावण के पुतले का दहन राम के द्वारा छोड़े गए बाणों से किया जाता था। किंतु विगत कुछ वर्षों से सक्ती रियासत मे रावण का पुतला नहीं बनाया जा रहा है ना ही सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसे लेकर आम जनता के मन मे यह बात घर कर गई है कि दशहरे का यह परंपरागत त्यौहार राजनीति की भेंट चढ़ गया है, जिसकी वजह से सक्ती रियासत अपनी परंपरागत पहचान खोता जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो विधानसभा अध्यक्ष एवं सक्ती विधायक चरण दास महंत का सक्ती दौरा लगातार जारी हैं, किंतु उनके द्वारा भी इस विषय में ध्यान नहीं दिया जाना चिंता का विषय हैं। जनता को डर है की सक्ती रियासत कहीं राजनीति का अखाड़ा मात्र ना बनकर रह जाए।