सक्ती

परिजनों का आरोप- टीका लगने के बाद बिगड़ी 5 साल की मासूम की तबीयत

सक्ती –   जिले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. 05 वर्षीय बच्ची का टीकाकरण करने के बाद पूरे शरीर में उसका रिएक्शन फैलने का आरोप लगा है. परिजनों ने जब इसकी शिकायत कलेक्टर से की तब प्रशासन हरकत में आया और कलेक्टर ने जांच टीम गठित की। कलेक्टर ने जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया है. फिलहाल बच्ची का इलाज मेडिकल कालेज रायगढ़ में चल रहा है. इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक थाना डभरा के पुलिस चौकी फगुरम अंतर्गत आने वाले ग्राम बांधापाली निवासी रामकुमार बघेल ने कलेक्टर को पत्र लिखकर गुहार लगाई और बताया कि उसकी पोती मानवी उम्र 05 साल पिता मुन्नालाल बघेल 15 अप्रैल को 05 साल की उम्र में लगने वाले टीके को लगवाने के लिए ग्राम बांधापाली में स्थित आंगनबाड़ी में गई थी. वहां टीका लगाया गया टीका लगाने के समय एएनएम वेदमति चौहान आर एच ओ संजय सोनवानी तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता राधाबाई बघेल, मितानीन गीता बाई महेश्वरी, हेम बाई बघेल आंगनबाड़ी सहायिका, तुलसी देवी बघेल मौजूद थे. उक्त टीका एएनएम वेदमती चौहान ने लगाया जिसके बाद से उसकी पोती को दवा का रिएक्शन हो गया। 15 दिनों से मेडिकल कॉलेज रायगढ़ में चल रहा था इलाज, अब रायपुर रिफर – लगभग 15 दिनों से उसका इलाज रायगढ़ के मेडिकल कालेज में भर्ती कर करवाया जा रहा है. बच्चे के पूरे शरीर में फोड़ा हो गया है तथा बच्चे के आँख, कान में भी इन्फेक्शन हो गया है। आंख नहीं खुल रही है। टीका लगाने वाली ए एन एम वेदमती चौहान को पूछने पर परिजनों को किसी भी प्रकार का जवाब नहीं दिया जा रहा है. न ही उनके द्वारा कोई संज्ञान लिया गया. बच्ची के परिजनों ने आशंका व्यक्त की है कि बच्ची को या तो गलत टीका लगा दिया गया है या फिर मात्रा से अधिक डोज दिया गया है, जिससे पूरे शरीर में फोड़ा हो गया है. जिन जिम्मेदारों की उपस्थिति में टीका लगाया गया था किसी ने भी आज तक संज्ञान नहीं लिया. बेटी की परेशानी से क्षुब्ध होकर आखिरकार परिजनों ने कलेक्टर के सामने गुहार लगाई और कहा कि लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए.
कलेक्टर ने की जांच टीम गठित –  मामले की जानकारी जैसे ही कलेक्टर को हुई कलेक्टर ने तत्काल आदेश देते हुए जांच टीम का गठन किया. जिसमें एसडीएम डभरा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग को जांच का जिम्मा देते हुए जांच कर प्रतिवेदन 07 दिवस के भीतर कार्यालय को उपलब्ध कराने कहा है
लापरवाही ने खड़े किए कई सवाल – 
स्वास्थ्य विभाग में किस प्रकार से जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी कार्य कर रहे यह घटना सवाल खड़े कर रही है। जिला बनने के बाद इस प्रकार की घटना होने से सरकारी सिस्टम पर फिर से सवाल खड़े हो गए हैं. 15 दिन से बच्ची बेतहासा दर्द में है लेकिन अभी तक कोई भी जिम्मेदार उसकी तकलीफ जाने नहीं पहुंचा यह एक विडंबना है. विदित हो कि गरीब तथा ग्रामीण क्षेत्र के हजारों की संख्या में टीकाकरण प्रति दिन सरकारी अस्पतालों में होते है ऐसे कर्मचारियों को जिम्मा देना चाहिए जो अनुभवी हो और उन्हें पूर्णरूप से प्रशिक्षित किया गया हो. जिन्हे टीकाकरण की जानकारी हो. लेकिन लापरवाह लोगों के हाथ में जिम्मेदारी दे देने से किसी की जान के साथ में खिलवाड़ किया जा रहा है. अब यह देखना लाज़मी है कि कलेक्टर कब और कैसे इस मामले को अंजाम तक पहुँचाते हैं और दोषियों पर क्या कार्रवाई करते हैं.