कुनबे टूट रहे हैं जिनके उन्हें खबर नहीं, तो जियादा तादाद वाली भाजपा को नजर ए इनायत का वक्त कहां… अधिवक्ता चितरंजय पटेल

सक्ती । जांजगीर लोकसभा के नेताओं की बानगी कुछ और है तो वहीं मतदाताओं की तासीर भी कुछ कम नहीं है जो चुनाव के परिणामों में अप्रत्याशित रूप से नजर आता रहा है ।
चलिए! ज्यादा दूर नहीं, विगत विधानसभा चुनाव के दरम्यान नेताओं की हरकतों और मतदाताओं के रुझान पर नजर डालें तो पाएंगे कि उस दरम्यान जिले पुराने ओहदेदार नेताओं ने कभी कांग्रेसी मुख्यमंत्री के सामने तो कभी उप मुख्यमंत्री या फिर राजधानी जाकर दल बदल के दल दल में सराबोर कांग्रेस का हाथ थाम कर कांग्रेस के पक्ष में बड़े बड़े दावे और बयानबाजियां की पर अप्रत्याशित रूप से सरकार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई और दल बदल के दल_दल में बिलबिलाते ये मौसमी राजनीतिक कीट अब लोकसभा चुनाव के आगाज के साथ अपने साथ दल दल में भारतीय जनता पार्टी का कमल खिलाने की लंबी लंबी हांक रहे हैं पर जनता इनका कितना सुन रही थी और अब कितना सुन रही है यह तो आने वाला वक्त याने चुनाव परिणाम ही बताएगा हालांकि भारतीय जनता पार्टी के चतुर सियान इन दलबदलुओं से हटकर अपनी जीत की रणनीति पर काम कर रहे है।
क्यूंकि! चाणक्य ने कहा है और सबको पता है कि जो अपनों के नहीं हुए वो क्या गैरों के काम आयेंगे।
आज भी एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का बयान वायरल होने के बाद सोसल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं जारी है तो इस पर यही कहा जा सकता है कि जिनके कुनबे टूट रहे हैं उन्हें खबर नहीं, तो जियादा तादाद वाली भारतीय जनता पार्टी में किसी पर नजर ए इनायत का वक्त कहां अर्थात किसी पर अब खास नज़र रखने का पल ही नहीं रह गया है वह तो मिशन मोदी याने अबकी बार चार सौ पार, के पथ पर चरैवेति चरैवेति… की राह पर सतत अग्रसर है। क्योंकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्कारों से संस्कारित जिन जनसंघियों के कंधे पर आज देश में सरकार है उन्होने छद्म धर्मनिरपेक्षता की आड़ में काग्रेस की राजनीत करने वालों को चिरकाल से और बहुत करीब से परखा है इसलिए चला चली के बेला में भाजपा अपने नाव पर सवार होने वालों आतुरों के प्रति इतना सावधान जरूर रहेगी कि उनके बोझ से कहीं अपनी नाव ही न डूब जाए…जय श्री राम