सक्ती शहर की मुखर्जी वाटिका एवं मुखर्जी जी के नाम पर स्थापित सामुदायिक भवन को फिर से नाम की पहचान देने की आवश्यकता


सक्ती – पूरे देश भर में 23 जून को भारतीय जन संघ के प्रेरणा स्रोत एवं काश्मीर समस्या के लिए अपना सर्वत्र बलिदान कर देने वाले डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की पुण्यतिथि को जहां बलिदान दिवस के रूप में आयोजित किया जा रहा है, तो वही सक्ती शहर में दशकों पूर्व शहर के गौरव पथ मार्ग पर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के नाम पर नगर पालिका परिषद सक्ती के सामुदायिक भवन के स्थापना की वर्ष 2008 में तत्कालीन भाजपा सरकार में की गई थी, तथा यह सामुदायिक भवन आज जहां लोगों के सार्वजनिक कार्यों में उपयोग होता है, तो वहीं इस भवन में आज तक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की ना हीं प्रतिमा स्थापित की गई, तथा प्रारंभ में जब इस भवन का निर्माण किया गया तो इस भवन के बाहर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सभागार सामुदायिक भवन लिखा गया था, किंतु आज वह नाम भी ओझल हो गया है, एवं विडंबना यह है कि इस सामुदायिक भवन में होने वाले विभिन्न अवसरों पर सरकारी कार्यक्रमों में भी स्थान के नाम पर केवल सामुदायिक भवन ही लिखा जाता है, जबकि इतने बड़े महापुरुष के नाम पर इसका नामकरण किया गया था, किंतु आज कहीं ना कहीं जिला एवम स्थानीय प्रशासन के अधिकारी भी इसकी अवहेलना करते नजर आते हैं वही सक्ती शहर के ही वार्ड क्रमांक- 10 अखराभाटा में दशकों पूर्व जब JBDAV स्कूल के पास डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के नाम पर वाटिका की स्थापना कर इसे मिनी गार्डन के रूप में विकसित किया गया था, तथा शाम के समय यहां शहर वासी तथा मोहल्ले के लोग जाकर जहां एक अच्छे उद्यान का आनंद लेते थे, किंतु दुर्भाग्य यह है कि आज इस वाटिका से भी डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का नाम ही ओझल हो गया है, वहीं विगत वर्ष तो बरसात के समय पूरे मोहल्ले का पानी इस वाटिका के अंदर एकत्रित हो जाता है,जिससे यह वाटिका एक सरोवर के रूप में तब्दील हो गई थी, वर्तमान में वाटिका के अंदर तो साफ-सफाई नियमित हो रही है,एवम लोग यहां आकर शुकुन के पल गुजारते भी है,किंतु यहां से भी मुखर्जी जी का नाम ओझल हो चुका है,तथा आज 23 जून को डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का बलिदान दिवस है एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में है, तथा स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन को चाहिए कि कम से कम इतने बड़े महापुरुष के नाम पर शहर में स्थापित दो बड़े स्थान को पुनः उनकी प्रतिमा लगाकर वहां उनका अच्छे से नामकरण करें,जिससे लोग डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के कार्यों से प्रेरणा ले सकें,किंतु शक्ति शहर की स्थिति देखकर ऐसा लगता है कि कहीं ना कहीं जन प्रतिनिधि भी इस और उदासीन नजर आते हैं,तथा बड़े महापुरुषों के नाम पर होने वाले नामकरण को जहां अच्छे ढंग से प्रचारित करने की दिशा में पहल करनी चाहिए तो उल्टा नजर आता है वहीं भारतीय जनता पार्टी सक्ती के लिए आज का यह मुखर्जी जी का बलिदान दिवस मनाने की सार्थकता कहीं ना कहीं तभी सफल होगी, जब इन दो प्रमुख स्थानों पर पार्टी द्वारा इसके नाम को पुनर्जीवित कर इसे व्यवस्थित करने की दिशा में सार्थक पहल की जा सके, तथा सक्ती शहर में देखा जाए तो विभिन्न संस्थान बड़े महापुरुषों के नाम पर नामकरण किए गए हैं, जिससे लोग कहीं ना कहीं इनसे प्रेरणा लेते हैं, सक्ती शहर के जिला चिकित्सालय एवं सरकारी अस्पताल के सामने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम पर एक उद्यान का भी निर्माण किया गया है,किंतु यह उद्यान भी कहीं ना कहीं आज उपेक्षा का शिकार है, एवं इसके लिए एक अच्छी कार्ययोजना बनाकर इसे व्यवस्थित करने की जरूरत है