भोलेनाथ की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व – आचार्य राजेंद्र महाराज

सक्ती । श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ की पूजा बेलपत्र से करने का विशेष महत्व है । देव शयनी एकादशी होने के बाद संपूर्ण विश्व के कल्याण और पालन करने का दायित्व भगवान शिव ही निर्वहन करते हैं । शिव का अर्थ ही कल्याण होता है , यह बड़े दयावान और मंगलकारी है । शिव शंकर में बेलपत्र समर्पित करने का महत्व बताते हुए भागवत आचार्य राजेंद्र महाराज ने कहा कि – बेलपत्र भगवान शिव को अति प्रिय है , और बेल का वृक्ष साक्षात शिव का ही स्वरूप है , इस दृष्टि से बेल के वृक्ष को तथा बेलपत्र तोड़ते समय कभी भी उसकी शाखा को नहीं काटना चाहिए । बेलपत्र का दर्शन और स्पर्श दोनों ही परम कल्याणकारी है , इस वृक्ष के मूल भाग में सभी तीर्थों का पुण्य रहता है , पूजा अर्चना करना अनंत पुण्य प्रदान करने वाला होता है।
आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने बताया कि भगवान शिव में बेलपत्र चढ़ाने से तीन -तीन जन्मों के पापों का नाश होता है , और कोटि कन्यादान का पुण्य फल भी मिलता है , पूरे सावन महीने बेलपत्र में चंदन या अष्टगंध से राम नाम लिखकर समर्पित करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं , क्योंकि – संपूर्ण विश्व में यदि राम नाम की कोई आदि आचार्य है तो वे स्वयं भगवान भोलेनाथ है , भगवान राम को हुए अपना इष्ट मानते हैं इसीलिए राम नाम से अति प्रेम होने के कारण वे संपूर्ण अंग में उस शव के भष्म को लगाते हैं जिसे लोग राम नाम का उद्घोष करते श्मशान घाट ले जाते हैं ।
पंचाक्षर मंत्र – ओम नमः शिवाय । का उच्चारण करते हुए बेलपत्र को समर्पित करना सभी प्रकार की मनोकामना हो को पूर्ण करने वाला होता है , इसलिए प्रत्येक दिन और सभी सोमवार के दिन भगवान शिव जी का रुद्राभिषेक करते हुए बेलपत्र चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है ।