पिता की वर्दी अब मेरा सपना है दिवंगत आरक्षक की बेटी का वादा SP अंकिता शर्मा से

सक्ती – कुछ मुलाकातें केवल संवाद नहीं होतीं, वे भविष्य की दिशा तय करती हैं। ऐसा ही एक भावुक और प्रेरणादायक क्षण उस समय सामने आया, जब सक्ती जिले की पुलिस अधीक्षक आईपीएस अंकिता शर्मा के कार्यालय में एक छोटी बच्ची अपनी मां के साथ पहुंची। इस बच्ची के पिता पुलिस विभाग मे आरक्षक थे,जिनका एक दुर्घटना में निधन हो गया। दर्द से भरी आंखों मे साहस की चमक लिए जब वह बच्ची एसपी अंकिता शर्मा के सामने बैठी, तो एसपी ने स्नेह पूर्वक पूछा, बड़ी होकर क्या बनना चाहती हो? बच्ची ने बिना एक पल का विराम लिए दृढ़ता से कहा पुलिस अफसर। अंकिता शर्मा मुस्कराईं, बोलीं लेकिन तुम तो पहले से ही पुलिस हो। थोड़ी देर की चुप्पी के बाद वह मासूम बोली नहीं, मैं पुलिस ऑफिसर बनना चाहती हूं। यह सुनकर एसपी शर्मा ने उसका हौसला और भी बढ़ाया तो फिर सिर्फ पुलिस अफसर क्यों? सीधे आईपीएस बनों। बच्ची की आंखों में एक नई चमक आ गई। आईपीएस बनने के लिए क्या करना होगा? बच्ची ने जवाब दिया मेहनत से पढ़ाई करनी होगी।और?बच्ची मुस्कराई कभी हार नहीं माननी होगी। यह संवाद केवल शब्द नहीं थे यह एक वादा था, एक पिता की वर्दी को सम्मान देने का, एक बेटी के सपने को पंख देने का। एसपी अंकिता शर्मा जो स्वयं संघर्ष से निकलीं और अब भारतीय पुलिस सेवा की एक सशक्त पहचान हैं, न केवल प्रशासनिक जिम्मेदारियों में अग्रणी हैं, बल्कि वे बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणा की मूर्ति बन चुकी हैं। अपने कार्यकाल के दौरान वे विद्यार्थियों के बीच सहज रूप से पहुंचती हैं, उनके साथ संवाद करती हैं, उनके सपनों को आकार देने में मदद करती हैं। उन्होंने इस मुलाकात को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा आज वह बच्ची सिर्फ एक निरीह बेटी नहीं रही, वह हमारी ‘बाल आरक्षक’ बन चुकी है। उसके शब्द मेरे दिल में उतर गए – मेहनत से पढ़ाई और कभी हार नहीं माननी। आज जब समाज में कई युवा दिशाहीनता से जूझ रहे हैं, ऐसे में एक मासूम बच्ची की आंखों में आईपीएस बनने का सपना और अंकिता शर्मा जैसी अधिकारी की प्रेरणा – समाज को यह संदेश देती है कि सपनों की उम्र नहीं होती, और परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, हौसलों की उड़ान सब पार कर सकती है। सक्ती एसपी अंकिता शर्मा आज सिर्फ एक अधिकारी नहीं, बल्कि उस उम्मीद की रोशनी हैं, जो नन्हें सपनों को मंज़िल तक ले जाने का रास्ता दिखाती है।