जनहित आंदोलन का साजिशी पटाक्षेप बयां कर रहा है कि विपक्ष जनहित के बजाय स्वहित में लीन – अधिवक्ता चितरंजय पटेल

सक्ती – प्रधानमंत्री आवास के हितग्राहियों को मुफ्त में रेत उपलब्ध कराने में सरकार के वादा खिलाफी को लेकर आमरण अनशन पर बैठे चंद्रपुर विधायक राम कुमार यादव का अनशन आज नाटकीय पटाक्षेप हुआ और बिना मुक्कमल आश्वासन व कार्यवाही अपने आका पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उपस्थिति में विधायक ने अपना अनशन तोड़ दिया, तब इस बात को लेकर राजनीतिक फिज़ा में चर्चा ए दौर जारी है।
अंचल की राजनीति में रुचि रखने वाले लोगों का कहना है कि रामकुमार का जनहित में उठाए गए अच्छे कदम का राजनीतिक साजिश चलते फ़जीहत हो गई, क्योंकि प्रदेश के कद्दावर नेता प्रतिपक्ष व शक्ति विधायक डॉ चरण दास महंत का उनके जिले में सरकार के खिलाफ उनके ही पार्टी के विधायक द्वारा उठाए गए जनहित के मुद्दे को लेकर बेरुखी से आमरण अनशन फजीहत होते देख इसका साजिशी पटाक्षेप हुआ।
साफ है कि शक्ति क्षेत्र में महंत के सामने उसके इशारे के बिना किसी के द्वारा कोई भी पहल या नायक बनने की कोशिश का इस तरह फजीहत होना सुनिश्चित है, फिर महंत के क्षेत्र में अनशन तोड़वाने पूर्व मुख्यमंत्री का आना इशारा करता है कि इस आंदोलन की पटकथा शायद भूपेश बघेल के द्वारा लिखी गई हो तथा उनका महंत के घर में शक्ति परीक्षण का असफल प्रयास हो जो प्रदेश में भूपेश और महंत के बीच बहुत कुछ अच्छा नहीं चलने का ही संकेत है ।
ठीक भी है कि राजनीति के महारथी डा महंत, अगर अपने घर में ही उनके आशीर्वाद के बिना किसी को भविष्य की चुनौती बनने से नहीं रोक सके फिर उनकी साख को आघात तो पहुंचता ही, इसलिए आंदोलन का बेड़ा गर्क होने के पहले ही भूपेश के द्वारा नागपुर से आकर विधायक का अनशन तुड़वाना लोगों को दिवाली उत्सव की आड़ में राजनीतिक मजबूरी ही नजर आ रहा है तो वहीं सरकार पक्ष के लोग इस अनशन के लिए विधायक रामकुमार का अपरिपक्व अंदाज मान कर मन ही मन खुश हैं कि बिना फजीहत सरकार के खिलाफ जनहित आंदोलन फूस हो गया। यद्यपि लोग इस त्रिदिवसीय घटनाक्रम से जाग गए हैं कि सरकार के मंत्री की विधान सभा में घोषणा के बावजूद प्रधानमंत्री आवास के हितग्राहियों को उनका हक नहीं मिल रहा है जो भविष्य में जन आंदोलन का विषय होकर सरकार के लिए मुसीबत बन सकता है।
इस संबंध में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उच्च न्यायालय अधिवक्ता चितरंजय सिंह ने कहा कि चंद्रपुर विधायक सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के चक्कर में अपना फजीहत के साथ संदेश दे गए कि विपक्षी कांग्रेस में भी जनहित के बजाय स्वहित की राजनीति चरम पर है तथा लोक हित को लेकर सरकार पर बरसना मगरमच्छी आंसुओं के अलावा कुछ भी नहीं है, इसलिए जनता को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी।