राठौर परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का सिघनसरा में हुआ शुभारंभ

सक्ती । सक्ती सिंघनसरा में भव्य कलश यात्रा के साथ श्रीमद् भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ बड़े हर्षोल्लास के साथ किया गया । कथा स्थल भांठापारा भागवत यज्ञ स्थल से मंगला चार के साथ सैकड़ो महिलाओ की भव्य कलश यात्रा निकाली गई जो ग्राम पंचायत सिंघनसरा के मुख्य मार्गो से होते हुए जलाशय में जाकर वरुण देवता की पूजा अर्चना उपरांत वेदियों की पूजा प्रतिष्ठा आचार्यों द्वारा कराई गई प्रथम दिन व्यासपीठ से प्रेमशंकर चौबे ने भागवत कथा महात्म का वर्णन करते हुए बताया कि श्रीमद्भागवत महापुराण कलयुग के दोष और ताप को दूर करने वाला सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म है जो किसी व्यक्ति के पुरुषार्थ के कारण नहीं बल्कि भाग्योदय के कारण मिलता है । इसी सत्कर्म को करने से भक्ति देवी के दोनों बेटे ज्ञान और वैराग्य की जरा अवस्था दूर हुई थी । धुंधकारी भयानक प्रेत योनि से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त किया था । श्राप ग्रस्त राजा परीक्षित को सद्गगति मिली थी । भागवत साक्षात भगवान श्री कृष्ण जी का शब्द रूप में वांग्मय स्वरूप है , वेद रूपी कल्पवृक्ष पर लगा हुआ फल है श्रीमद्भागवत जिसमें कोई छिलका और गुठली नहीं है केवल रस ही रस भरा हुआ है और यह श्री कृष्ण प्रेम और ज्ञान का ।
कथाब्यास पीठ से प्रेमशंकर चौबे ने बताया कि भागवत महापुराण को ही श्रीमद् शब्द से अलंकृत किया गया है , और यही ज्ञान यज्ञ है । सैकड़ों अश्वमेध यज्ञ तथा कई कुंड वाले यज्ञ भी श्रीमद्भागवत महापुराण के 16 वे अंश के समान भी नहीं है । इसके श्रवण लाभ से पूर्वजों को भी भगवतशरण की प्राप्ति होती है , इसलिए श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कई बार करते रहना चाहिए।
श्रीमद् भागवत कथा के शुभारंभ एवं प्रथम दिन ग्राम के सैकड़ों लोगों ने कथा महात्म एवं मधुर संगीत संकीर्तन का पूर्ण आनंद प्राप्त किया , इस अवसर पर यजमान तिलेश्वर सुशीला राठौर रमेश उत्तरा राठौर श्रीराम नीता राठौर टिंकल टिंकल खुश-खुशी डाली बाबू कुणाल एवं समस्त राठौर परिवार उपस्थित थे । श्रीमद् भागवत कथा के आयोजक रमेश उत्तरा राठौर , श्रीराम नीता राठौर द्वारा कथा श्रवण करने हेतु आने का आग्रह किया गया है ।