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बिर्रा की गलियों में गंदगी का साम्राज्य: करोड़ों की राशि खर्च, फिर भी ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर

बिर्रा की गलियों में गंदगी का साम्राज्य: करोड़ों की राशि खर्च, फिर भी ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर kshititech

बिर्रा /बम्हनीडीह — एक तरफ सरकार ‘स्वच्छ भारत मिशन’ को लेकर करोड़ों खर्च कर रही है, तो दूसरी ओर बम्हनीडीह जनपद का सबसे बड़ा ग्राम पंचायत बिर्रा गंदगी और बदहाली का नमूना बनकर रह गया है। गांव की गलियां बजबजा रही हैं, नालियां कचरे से अटी पड़ी हैं, और गंदा पानी सड़कों पर बहते हुए गांव की बदहाली की गवाही दे रहा है। हैंडपंप के पास बजबजाती गंदगी – दूषित पानी से बीमारियां फैलने का खतरा
गांव में स्थापित हैंडपंपों के आसपास गंदगी का ऐसा आलम है कि लोग वहां से पानी भरने से भी डरते हैं। पीने का पानी दूषित हो चुका है, और ग्रामीणों को बीमारियों का खतरा लगातार मंडरा रहा है। ग्रामीणों की जीवन नरकीय,रोजमर्रा की दिनचर्या भी प्रभावित गांव की गलियों में कीचड़ और बदबू के कारण बच्चों का स्कूल जाना,महिलाओं का बाहर निकलना और बुजुर्गों का चलना फिरना तक मुश्किल हो गया है।नालियों की सफाई न होने के कारण मच्छरों का प्रकोप भी लगातार बढ़ता जा रहा है,जिससे डेंगू मलेरिया जैसे रोगों की आशंका बनी हुई है
हर साल करोड़ों की राशि – फिर भी हालात बदतर क्यों?
पंचायत को स्वच्छता, निर्माण और मूलभूत सुविधाओं के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपये की राशि जारी की जाती है। इसके बावजूद बिर्रा की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। सवाल यह उठता है कि आखिर ये पैसा कहां जा रहा है? क्या ये राशि सिर्फ कागजों में ही खर्च हो रही है?
स्वच्छता के नाम पर खानापूर्ति, ज़मीनी हकीकत बेहद डरावनी
सरकार की ओर से ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत भारी-भरकम बजट दिए जाते हैं। हर साल पंचायत में लाखों-करोड़ों रुपये स्वच्छता कार्यों के नाम पर जारी होते हैं। लेकिन इन पैसों का उपयोग किस तरह हो रहा है, इसकी पोल गांव की गलियों में बहता गंदा पानी खुद खोल रहा है।
1 गांव की अधिकांश नालियां वर्षों से साफ नहीं हुईं।
2 कूड़ेदान या कचरा निष्पादन की कोई व्यवस्था नहीं।
3 पीने के पानी के स्रोतों के पास तक बजबजाती गंदगी।
4 नालियों की सफाई के नाम पर सिर्फ फाइलों में काम।
ग्रामीणों में आक्रोश – मांग की जिम्मेदारों पर कार्रवाई
गांव के रहवासियों में भारी आक्रोश है। वे पूछ रहे हैं – जब पंचायत को करोड़ों की राशि मिल रही है तो फिर गांव में गंदगी क्यों है? नालियां साफ क्यों नहीं होतीं? गलियां कीचड़ और बदबू से क्यों भरी हैं?
प्रशासन मौन – जिम्मेदार कौन?
जनपद पंचायत बम्हनीडीह, जिला पंचायत, स्वास्थ्य विभाग और पंचायत सचिवालय – सबकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। लेकिन अभी तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने मौके पर आकर स्थिति का जायजा नहीं लिया।
ग्रामीणों की मांग:
उच्च स्तरीय जांच कराई जाए कि स्वच्छता के नाम पर राशि कहां खर्च हुई।
पंचायत सचिव, रोजगार सहायक और पूर्व और वर्तमान सरपंच की भूमिका की निष्पक्ष जांच हो।
गांव में तुरंत सफाई अभियान चलाकर स्थिति सुधारी जाए।
दोषियों पर सख्त प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई की जाए।
अब देखना ये है कि क्या प्रशासन इस गंभीर समस्या को गंभीरता से लेकर कोई ठोस कदम उठाता है, या फिर ये मुद्दा भी सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाएगा। बिर्रा की जनता अब चुप बैठने वाली नहीं है उनकी आवाज़ अब बुलंद हो चुकी है।