सरस्वती शिशु मंदिर सक्ती में आंवला नवमी पर आंवला पूजन और सामूहिक स्वल्पाहार का हुआ आयोजन

सनातन संस्कृति की परंपरा को कायम रखने का प्रयास सरस्वती शिशु मंदिर हमेशा से करता रहा है – रामावतार अग्रवाल _मांगेराम अग्रवाल (प्रबंध समिति)
विद्याभारती हमेशा भारतीय धर्म और आस्था के उत्सवों के माध्यम से समाज में समरसता कायम रखने हेतु प्रयासरत है…अधिवक्ता चितरंजय पटेल
सक्ती । पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी को पृथ्वी पर भ्रमण के दरम्यान धरती पर एक साथ भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा करने की इच्छा हुई, तब उन्हें ध्यान आया कि श्री हरि की प्रिय तुलसी और शिव स्वरुप बेल के दोनों के गुण एक साथ आंवले के वृक्ष में होते है। तभी मां लक्ष्मी ने विष्णु और शिव का प्रतीक चिह्न मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की।
तब पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और शिव प्रकट हुए तथा लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराने के बाद स्वयं भी भोजन किया।
इसके बाद ही जन कल्याणार्थ आंवले वृक्ष के पूजन और उसके नीचे भोजन बनाकर सह भोज करने की प्रथा प्रचलन में है ।
इसी के अनुसरण में सरस्वती शिशु मंदिर परिवार सक्ती के द्वारा परिसर में अवस्थित आंवला वृक्ष के पूजन पश्चात स्वल्पाहार का आयोजन किया गया जिसमें सक्ती नगर के साथ ग्रामीण क्षेत्र से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अनुसांगिक संगठनों के लोगों की गरिमामय सहभागिता रही।
इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रबंध समिति के रामावतार अग्रवाल एवम मांगेराम अग्रवाल ने बताया कि सनातन संस्कृति की परंपरा को कायम रखने का प्रयास सरस्वती शिशु मंदिर हमेशा से करता रहा है इसी क्रम में आज पारिवारिक लोगों से भेंट मुलाकात के साथ सभी ने सामूहिक स्वल्पाहार ग्रहण किया।
इन पलों में उपस्थित उच्च न्यायालय अधिवक्ता चितरंजय पटेल ने आयोजन की तारीफ करते हुए कहा कि विद्याभारती हमेशा भारतीय धर्म और आस्था के उत्सवों के माध्यम से समाज में समरसता कायम रखने हेतु प्रयासरत है।
आज इस उत्सव के आयोजनको सफल बनाने प्राचार्य पुरन गिरी गोस्वामी व प्रधानाचार्य बलदाऊ साहू के साथ विद्यालय परिवार लोगों ने सराहनीय भूमिका निभाई ।