राठौर परिवार जांजगीर द्वारा आचार्य राजेंद्र महाराज के सानिध्य में भागवत कथा का हुआ शुभारंभ


जांजगीर । नगर के पुरानी बस्ती सड़कपारा में संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह यज्ञ का आयोजन किया गया है , यज्ञ का शुभारंभ भव्य कलश यात्रा के साथ किया गया जिसमें नगर के सैकड़ो महिलाओं एवं नगर वासियों ने भाग लिया ।
यज्ञाचार्यो द्वारा वेद मंत्र उच्चारण के साथ वेदियों की पूजा अर्चना एवं तुलसी परिक्रमा भजन संकीर्तन के साथ प्रतिदिन आध्यात्मिक वातावरण में संपन्न किया जा रहा है । छत्तीसगढ़ अंचल के प्रसिद्ध भागवत कथा वाचक आचार्य राजेंद्र जी महाराज द्वारा सरस एवं दृष्टांत कुशलता के साथ भागवत कथा का रस पान कराया जा रहा है , आचार्य ने बताया कि वेद तथा श्रुतियां सबका कल्याण करने वाली है लेकिन उनका भी कल्याण करने वाला तथा गंगा को भी पवित्र कर दे , ऐसा कोई साधन इस कलयुग में दैहिक दैविक और भौतिक ताप को दूर करने वाला इस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म श्रीमद् भागवत यज्ञ है । इस महापुराण के श्लोक का श्रवण करने से जीवन के शोक दूर होते हैं और मृत्यु मंगलमय होकर सद्गति की कामना पूरी होती है । श्रीमद् भागवत के कथा प्रसंगों में हमारी पौराणिक इतिहास का वर्णन है तथा यह वर्तमान का शोध और भविष्य की योजना भी है । कथा श्रवण से जीवन में परिवर्तन अर्थात आध्यात्म भाव में प्रवेश करते हुए मनुष्य जीवन के आदर्श को स्थापित करना है , क्योंकि मनुष्य जीवन के अन्य सभी गुणों में भक्ति ही सर्वोपरि है ,। अपने धर्म अपनी संस्कृति और सनातन के प्रति आस्था और विश्वास के बिना जीवन की सारी उपलब्धियां मंत्र दिखावा ही है ।
आचार्य द्वारा ऋषि कदम और देवहूति के गृहस्थ जीवन का वर्णन कर बताया गया की ऐसे प्रसंग मनुष्य जीवन से गहरा संबंध रखते हैं , गृहस्थ में पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक एवं मित्र तुल्य है , जिन्हें दुख सुख में अंतरंगता से एक दूसरे का साथ निभाते हुए नित्य भगवान का भजन संकीर्तन और सत्संग करना होगा और यही पति-पत्नी के जीवन का सच्चा मिलन है । संसार की माया तो बड़ी बल वती होती है वह कहीं भी पीछा छोड़ती नहीं है , क्योंकि मनुष्य का मन बड़ा चंचल है , मन हमेशा घटना और बढ़ता रहता है, क्योंकि मन का स्वामी चंद्रमा है जिसकी कलाएं घटती और बढ़ती रहती हैं । मनुष्य का मन ही उसके अपने जीवन का सच्चा दर्पण है , क्योंकि मन ही जानता है कि वह अपने जीवन में कितना श्रेष्ठ कार्य किया है और कितना गलत और पाप भी कर चुका है ।
हमारा मन बिल्कुल उसे चाबी की तरह है जिससे हम किसी ताला को खोलने और बंद भी करते हैं , एक ही चाबी से दोनों काम किया जाता है, ठीक उसी प्रकार हमारा यह मन जब ईश्वर पर अनुरक्त हो जाए तो बैकुंठ का द्वार खोल देता है , और यही मन जब ईश्वर और माता-पिता की सेवा से भागता है तो निश्चित ही व्यक्ति की अवनति और परलोक भी बिगड़ जाता है,
आचार्य राजेंद्र महाराज ने सभी श्रोताओं से आग्रह करते हुए कहा कि किसी भी पुराण के किसी भी प्रसंग का एक ही निष्कर्ष है कि कथा प्रसंगों की प्रेरणा से एक आदर्श व्यक्ति और संस्कारी परिवार के साथ स्वस्थ समाज और उन्नत राष्ट्र का निर्माण किया जा सके ।
प्रतिदिन नगर एवं अन्य स्थानों से सैकड़ो श्रोताओं को कथा रसपान के साथ जीवंत झांकियां एवं संगीत मय संकीर्तन का लाभ मिल रहा है , कथा श्रवण करने श्रीमती कविता खेम देवांगन , श्रीमती मंजू परमेश्वर राठौर , पद्मिनी सोनी , राजेंद्र राठौर (उपायुक्त हाउसिंग बोर्ड छत्तीसगढ़ ) परशुराम श्रीमती वैदेही राठौर , योगेश कुमार श्रीमती आभा राठौर , श्रीमती त्रिवेणी संतोष राठौर , श्रीमती सीमा विनीत राठौर , श्रीमती निकिता सिद्धार्थ राठौर राठौर , डॉ श्रीमती अलका दीपक राठौर , श्रीमती सकुन रघुनंदन राठौर, श्रीमती रोशनी शिवकुमार राठौर एवं अनेक श्रोता उपस्थित थे । श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन राठौर परिवार श्रीमती सरोज , श्रीमती श्यामा विवेक राठौर श्रीमती अंजू आलोक राठौर द्वारा प्रतिदिन आधिकारिक संख्या में कथा श्रवण करने की अपील की गई है ।