नाग पंचमी पर इस मंदिर में जाते हैं हजारों लोग, मान्यता ऐसी मिट्टी खाने से उतर जाता है सांप का जहर

विकासखण्ड जैजैपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत कैथा में बिरितिया बाबा की मंदिर विराजित
सक्ती – विधानसभा जैजैपुर के ग्राम कैथा में मान्यता है कि बिरतिया बाबा मंदिर में सर्पदंश पीड़ितों को नवजीवन मिलता है. इसलिए लोगों की इन पर अगाध आस्था है. क्षेत्र के लोग सर्पदंश से पीड़ितों को लेकर यहां पहुंचते हैं. लोगों का विश्वास है कि यहां की एक चुटकी धूल से ही सर्पदंश से मुक्ति मिल जाती है. मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक के लोग आते है.
जैजैपुर/.सक्ती जिले के जैजैपुर विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत कैथा के बिरतिया बाबा की पावन धरा में नाग पंचमी के दिन बाबा बिरतिया के दर्शन करने के लिए श्रद्घालुओं की भीड़ देखने को मिलती है. वहीं इस दिन श्रद्घालु अपनी मनवांछित फल पाने के लिए सुबह चार बजे से पहुंचने लगते हैं. बिरतिया बाबा मंदिर में नागपंचमी पर हर साल की तरह इस साल भी 21 अगस्त को मेले का आयोजन होगा. कैथा के प्रसिद्ध बिरितिया बाबा मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होगी. इस दौरान यहां मेला में अंचल के श्रद्धालु बड़ी संख्या में जुटेंगे.
यहां मान्यता है कि बिरतिया बाबा मंदिर में सर्पदंश पीड़ितों को नवजीवन मिलता है. इसलिए लोगों की इन पर अगाध आस्था है. क्षेत्र के लोग सर्पदंश से पीड़ितों को लेकर यहां पहुंचते हैं. लोगों का विश्वास है कि यहां की एक चुटकी धूल से ही सर्पदंश से मुक्ति मिल जाती है. मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है. लोक आस्था के इस केंद्र में नागपंचमी के मौके पर विशेष पूजा-अर्चना होती है.
बिरतिया बाबा के संबंध में यह कथा प्रचलित है कि बहुत पहले कैथा गांव के बाहर खेत के एक गड्ढे में नाग देवता के हलक में एक हड्डी फंस गई और नाग ने अपने स्तर से जबड़ा के बीच में फंसी चीज को निकालने का काफी प्रयास किया. नागसांप के जबड़ा से हड्डी बाहर नहीं निकल रहा था. नागसर्प पीड़ा और दर्द से काफी परेशान था. इसी बीच नागसर्प ने बिरतिया बाबा गौटिया को स्वप्न में कहा गांव के बाहर एक गड्ढा में मेरे जबडा में कोई हड्डी फंस गया और मुझे बहुत परेशानी हो रही है. इतनी बात सुनकर गांव के गौटिया नाग सांप के बताए गड्ढा के पास पहुंच गया. नाग देवता गौटिया को दिखाई दिए और सर्प को देखकर गौटिया को डर लगा और नाग सर्प ने कहा कि गौटिया डरने की कोई बात नहीं है और गौटिया ने साहस करके नाग सांप के जबड़े में फंसी हड़्डी को बाहर निकाला.
नागसर्प को दर्द से राहत मिला. इतने में नागसर्प ने गौटिया को कुछ वरदान के लिए कहा इस पर गौटिया कहा कि उसे धन दौलत कुछ नहीं चाहिए. बस इस बात की कृपा दृष्टि हो जाए की इस गांव में सर्प और बिच्छू दंश से पीड़ित लोगों को जीवनदान मिल जाए. नागराज ने बिरतिया बाबा गौटिया को ऐसा ही वरदान दिया.बताते हैं कि इसके बाद से सर्पदंश से पीड़ित लोगों का उपचार यहां होने लगा. कालांतर में बिरतिया बाबा की मौत के बाद गांव में उनके मंदिर की स्थापना कर दी गई. इस मंदिर में पीड़ितों को जीवन दान मिलने लगा. इस मंदिर में क्षेत्र के सर्पदंश पीड़ित लोगों को लाया जाता है. पीड़ित को यहां लिटा कर मंदिर के पास की मिट्टी खिलाकर बदन में लगाया जाता है. इससे सर्पदंश का असर खत्म हो जाता है ऐसा लोगों की मान्यता है.
मंदिर में धूमधाम से बिरतिया बाबा की पूजा
नाग पंचमी के दिन मंदिर में धूमधाम से बिरतिया बाबा की पूजा होती है. अंचल के श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां एकत्र होते हैं. लोग उनकी महिमा का बखान अपने-अपने तरह से करते हैं. इस दौरान यहां मेला भी लगता है. मेले में तरह- तरह की दुकानें सजती है.इस तरह की किवदंती लोगों के आस्था से जुड़ी हुई हैं, हम इसका कोई उचित प्रमाण नहीं देते हैं. डाक्टरों का भी कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को सांप या कोई जहरीला जीव जंतु काटे तो सबसे पहले अपने नजदीकी अस्पताल में इलाज जरूर कराए।