डूबे पैसों की वापसी को लेकर पूर्व मंत्री नोवेल कुमार वर्मा द्वारा हस्ताक्षर अभियान

सक्ती । लगातार चिटफंड कंपनियों में डूबे पैसों की वापसी को लेकर पूर्व मंत्री नोवेल कुमार वर्मा लोगों से संपर्क कर उनका हस्ताक्षर ले रहें हैं, वहीं जिनका लाखों रुपया डूब गया उनसे मिल साथ मांग रहें हैं उनका ही पैसा उन्हें दिलाने के लिए।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस का वादा था कि सरकार बनते ही जिन गरीबों का पैसा कंपनियों ने डकार लिया है उन्हें वापस दिलाएंगे, सरकार को अब 5 साल पूरे होने जा रहें हैं लेकिन सक्ती और जांजगीर जिले के निवेशकों का खून पसीने की कमाई का अब तक एक पाई भी सरकार ने नहीं लौटाया। वादा खिलाफी तो सरकार ने की है लेकिन पूर्व मंत्री नोवेल वर्मा का कहना है कि राजनीति से परे मेरा केवल एक ही उद्देश्य है कि गरीबों का पैसा उन्हें वापस मिल सके, इसी मुद्दे पर लगातार श्री वर्मा उन लोगों से मिल रहें हैं जिनका पैसा ये कंपनियां खा गई हैं, वहीं उनके द्वारा एक हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है, इसी कड़ी में शुक्रवार को अधिवक्ता संघ मालखरौदा के वकीलों से भी मिले। वैसे वकीलों ने भी बताया कि कैसे कंपनियों द्वारा निवेश के नाम पर पूरी जमा पूंजी ले लिए और फिर भाग गए। वहीं वकीलों सहित अन्य लोगों ने भी अपनी समस्या पूर्व मंत्री के समक्ष रखी। वहीं अधिवक्ता नरसिंह जायसवाल ने तो सीधे सीधे राजस्व अमले पर ही भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि तहसीलदार, आरआई, पटवारी लोगों से अवैध उगाही करते हैं, और काम मे भी विलम्ब करते हैं। वहीं अधिवक्ता संघ अध्यक्ष राकेश यादव ने कहा कि अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय तो सिर्फ एक कोटवार के भरोसे ही चल रहा है, उक्त कोटवार बाबू का भी काम करता है और अधिकारियों के लिए वसूली का भी काम करता है। उत्तरा गवेल का आरोप है कि मालखरौदा थाने में अवैध वसूली चरम पर है, 107, 116 के मुचलका के लिए भी भारी पैसा लिया जा रहा है। डॉ नैन अजगले अधिवक्ता ने बताया कि उनके रिश्तेदारों के लगभग 10 से 12 लाख रुपये चिटफंड कंपनियों में डूब गया है, जिन्हें अब तक कोई राहत नहीं मिली। वहीं कुसुमलता का कहना है कि कांग्रेस के ही लोगों का लाखों रुपया इन कंपनियों में डूब गया, उम्मीद थी कि कुछ तो मिलेगा लेकिन अब तक एक पैसा भी हांथ में नहीं आया, लगातार एजेंटों के दरवाजे जाते हैं लेकिन उनसे भी कोई राहत नहीं मिलती है।
ज्ञात हो कि सिर्फ मालखरौदा ब्लॉक में ही लोगों का 60 करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा निवेशक कंपनियों में डूब गया है, इन्ही पैसों को वापस दिलाने के नाम पर कांग्रेस को चंद्रपुर क्षेत्र की जनता ने भारी मतों से जिताया था, लेकिन अब तक ना तो एक रुपया मिला और ना ही कंपनियों के अधिकारी कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई हुई, जबकि कंपनियों के एजेंटों द्वारा निवेश के नाम पर लिए गए करोडों का बड़ा हिस्सा कमीशन के नाम पर मिला था, कुछ एजेंट तो रातों रात करोड़पति बन गए, लेकिन उन पर भी किसी तरह की कोई कार्रवाई या पूछताछ भी नहीं हुई है।