
जहां एक तरफ जिला प्रशासन कुपोषण को दूर करने की बात करता है वहीं दूसरी ओर बच्चों के लिए आया पौष्टिक आहार पशुओं को खिलाया जा रहा है
सक्ती । छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा 8 माह से 3 वर्ष आयु के सामान्य व कुपोषित बच्चों के लिए रेडी टो ईट फूड का निशुल्क वितरण आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से करवाया जाता है। इस खाद्य पदार्थ के पैकेट पर बिक्री के लिए नहीं, क्रय तथा विक्रय दंडनीय अपराध जैसे बातें भी लिखी जाती है । कुपोषण मुक्त बनाने के लिए सरकार करोड़ो रुपये खर्च करने का दावा कर रही है, बच्चों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को भी पोषण आहार देने के लिए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में ‘रेडी टू ईट’ का वितरण किया जा रहा है, लेकिन सक्ती में महिला बाल विकास विभाग के कर्मचारियो के लापरवाही से आंगनबाड़ी केंद्रों में मिलने वाला रेडी टू ईट पशु खा रहे है।
सक्ती क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों सकरेली कला, आमापाली, अंजोरीपाली, चंबरबहार, डोडकी, नवापारा खुर्द, बोरदा, सरवानी, कांदानारा, रगजा , भोथिया ,अडभार , सक्ती के डेयरी फार्म में टीम पहुंची तब इस तरह की दृश्य देखकर हम भी चौक गए। जी हा ये बात बिलकुल सही है कि बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण के चंगुल से बचाने जिस रेडी टू ईट का वितरण किया गया है । वह पशुओं को खिलाया जा रहा है।
अब सवाल यह उठता है की बच्चों को मिलने वाला खाद्य पदार्थ आखिर डेयरी तक कैसे पहुंच रहा है। जाहिर है विभागीय चूक के कारण सरकार की महती योजना पशुओं का आहार बन रही है ।
नौनिहालों को कुपोषण से बचाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा बना किसी शुल्क के रेडी टू ईट का वितरण करवाया जा रहा है । लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण बच्चों सहित महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है । देखना है कि आखिर किसकी गलती के कारण बच्चों को आहार पशुओं तक पहुंचा हर महीने लाखों रुपए का रेडी टू ईट पोषण आहार की बिक्री की जाती है और आने वाले दिनों में इस मामले में शासन-प्रशासन के द्वारा कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ।बच्चों का मिलने वाला खाद्य पदार्थ उक्त डेरी फार्म में कौन पहुंचा रहा है यह जांच का विषय है यह खेल लंबे समय से चला आ रहा है विभागीय अधिकारी भी जानबूझकर मौन साध कर बैठे रहते हैं इस खेल में कौन-कौन शामिल है उनको बेनकाब करना जरूरी है।