डीजे संचालक नियमों का करे पालन नहीं तो हो सकती है जेल

सक्ती । जिले में डीजे संचालक नियमों का खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। नियम में है कि डीजे संचालकों को रात 10:30 बजे तक ही डीजे बजाने की अनुमति है और वह भी 60 डेसिबल के अंदर और उसमें भी अनुमति की आवश्यकता होती है। अक्सर डीजे संचालक शादी पार्टियों में डीजे लगाते हैं और रात 1 या 2 बजे तक डीजे बजाते हैं और वह भी हाइ डिसेबल पर।
ध्वनि प्रदूषण एक ऐसा प्रदूषण है जिसमें कई गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को और भी बहुत ज्यादा बीमार करने की क्षमता होती है जैसे कि मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति और हार्ट के मरीजों के लिए तो डीजे किसी साइनाइट से कम नहीं है। इसके अलावा स्कूलों में पढ़ाई का माहौल भी खराब होता है। डीजे की शोर में शिक्षक क्या पढ़ा रहे हैं, यह बच्चों को पता ही नहीं चलता है। इसीलिए स्कूल और अस्पताल के आसपास इस पर कड़ाई बरतने के निर्देश हैं। इसे देखते हुए राज्य शासन ने डीजे व स्पीकर बजाने के लिए मापदंड तय कर दिए हैं और रात 10:30 बजे तक निर्धारित आवाज के साथ डीजे या स्पीकर या फिर साउंड बाक्स बजाने की छूट दी गई है और डीजे संचालकों के नियमों का पालन नहीं करने पर संचालक को जेल भी हो सकती है।अगर आप भी डीजे,स्पीकर,साउंड बॉक्स से होने वाले ध्वनि प्रदूषण से परेशान हैं तो आप इसकी शिकायत बिना डरे तत्काल जिला कलेक्टर, एसडीएम,तहसीलदार, एसडीओपी या फिर एस.पी. को शिकायत पत्र या फोन के माध्यम से कर सकते हैं।