पूरे राष्ट्र के लिए गौरव की बात राम मंदिर निर्माण का मिला सौभाग्य : साध्वी ऋतंभरा

सक्ती – साध्वी ऋतंभरा द्वारा प्रेस वार्ता दौरान साध्वी दीदी मां ऋतंभरा ने कहा कि भारत एक आंतरिक आदर्श के साथ स्थापित है। भारत की मिट्टी का लेप करने से बहुत से रोगों में लाभ मिलता है भारत की मिट्टी रोगों को दूर कर देती है भारत की मिट्टी में भगवान का आशीर्वाद है राम मंदिर हमे तो 500 साल के संघर्ष के बाद राम मंदिर निर्माण का सौभाग्य मिला है पूरे राष्ट्र के लिए यह गौरव की बात है !
इसी प्रकार उन्होंने धर्म और अंधविश्वास के प्रश्न पर कहा कि विश्वास कभी अंधा नहीं होता भोले बाबा के दो नहीं तीन नेत्र हैं विश्वास तो त्रिनेत्र को धारण करता है आप जो भी इस धरती पर ला सकते हैं वह पुरुषार्थ से ही संभव का है , पुरुषार्थ के जमीन पर मेहनत करोगे तो भाग्य की खेती पैदा होगी उन्होंने कहा जब किसी चीज की अति हो जाती है तो उसका दमन करने के लिए किसी महापुरुष का जन्म होता है और समाज मे भोलेपन का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए हिंदू धर्म में कुछ पाखंडी खराब लोग घुस जाते हैं और उसका दुरुपयोग करते हैं और हिंदुओं को बरगला कर अंधविश्वास की पट्टियां आंखों में लगा दी जाती हैं और घंटी गले में बांध दी जाती है !
अब ऐसा नहीं चलेगा अब हिंदू समाज जाग गया है और सोच रहा है देख रहा है समझ रहा है हम सभी समाज के व्यक्तियों द्वारा शिक्षा और विद्या दोनों मिलकर समाज के व्यक्तियों को अंधविश्वासों से निकला जा सकता है वाराणसी ज्ञान व्यापी मथुरा के संबंध में कहा कि मथुरा मे कृष्ण अयोध्या राम और काशी में बाबा विश्वनाथ का भव्य मंदिर बना हम हिंदूओ को इससे गौरव मिलता है इससे सुखद और कुछ नहीं हो सकता दीदी ने कहा मनुष्य धोखा दे सकता है पर जो पत्थर गवाही देंगे वह सच्ची होगी पत्थर अपनी कहानी स्वयं बताएंगे कि हमारे ऊपर कितने कुठाराघात के साथ पापियों ने नष्ट किया अब समय आ गया है समाज को न्याय मिलेगा हिंदुओं को यह अधिकार है कि अपने आराध्य भगवान के जन्म स्थान मुख्य हैं !
दीदी मां ने बताया हर युग में महापुरुष और दानव होते हैं भारत मे 40 हजार से ज्यादा धार्मिक स्थानों पर अधरमियो ने नुकसान पहुंचाया वहां की आस्था को मिट्टी में मिला दिया था । परंतु अब जिस हाथों को मिटा दिया गया था उसे पुनरुक्ति करने के लिए महापुरुष आ गया है धर्म परिवर्तन पर उन्होंने कहा कि यह तो प्रांत की जिम्मेदारी है उनको समझना होगा कि जब धर्मांतरण होता है तो राष्ट्र अंतर हो जाता है इस धरती पर जैन सनातन सिख बौद्ध आर्य समाज वह धर्म है जिनका भारत की मिट्टी में उदय हुआ है कुछ भारत के बाहर से आए भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता नहीं प्रकट कर सकते उनके रक्त में नहीं है ।
वैसे भी लोग रहते हैं धर्मांतरण अगर भय और प्रलोभन से होता है तो यह ठीक नहीं है लोगों की गरीबी सीधेपन का फायदा उठाएंगे तो कालांतर में राष्ट्रअंतरण होगा जो किसी भी दिशा में श्रेष्ठ नहीं है हां अगर कोई किसी से प्रभावित होता है तो व्यक्ति आजाद है अपनी श्रद्धा से वह किसी भी धर्म को मान सकता है लेकिन भय और प्रलोभन दोनों रास्ते बहुत बुरे हैं हम तो कुल देवता ग्राम देवता कुलदेवी और पितरों को मानते हैं और अपने पूर्वज के प्रति अपनी श्रद्धा रखते हैं हर अधर्मी किसी का ब्रेनवाश कर देते है जवानी के बाद जब बुढ़ापे में मनुष्य पहुंचते हैं तो उससे ज्ञात होता है कि भौतिकता सुख नहीं देती आंतरिक सुख ही असली सुख देती है!
कलयुग में जीने के लक्षण के बारे में बताया कि पूरा रास्ता अगर कांटों से भरा है तो हमको जूते पहन लेने में ही भलाई है ऊपर से अगर ओलावृष्टि हो रही हो तो मजबूत छाता लगा कर चलना चाहिए मन मेअच्छे विचार के कवच में रहेंगे तो कलयुग का प्रभाव नहीं पड़ता दोनों काल में कल है एक काल के गाल में चला गया और एक आने वाला काल के गर्भ में है और यह वर्तमान समय जो हमारे पास है उसी में सुख है !
जब आप वर्तमान में जीते हुए अपने कार्य को तन मन से करने पर हमें सुख और एकाग्रता आती है तो काम अच्छा होता भारत मे पशु पक्षी के जीवन को भी महत्व देता है जो सारे संसार को आकर्षित करती है हर घर मे व्यक्ति को शुभ कार्य नियमित हमेशा होते रहना चाहिए उक्त विचार प्रेस वार्ता के माध्यम से साध्वी ऋतंभरा देवी ने व्यक्त किए !