महाविद्यालय का जर्जर भवन खंडहर में हो रहा तब्दील, जिम्मेदार उच्च शिक्षा विभाग बने अनजान

सक्ती- शासकीय नवीन महाविद्यालय बिर्रा का जर्जर भवन खंडहर में तब्दील हो रहा है। लेकिन जिम्मेदार उच्च शिक्षा विभाग जानबूझकर अनजान बने बैठे हैं। शासकीय नवीन महाविद्यालय बिर्रा जो कभी क्षेत्र का प्रमुख शैक्षणिक केंद्र माना जाता था। आज खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। एक समय था जब इस कॉलेज में छात्रों की भीड़ रहती थी। शैक्षणिक गतिविधियाँ चरम पर होती थीं, और यहाँ से शिक्षा प्राप्त कर कई छात्र उच्च पदों पर पहुँच गए हैं। लेकिन आज शासकीय नवीन महाविद्यालय बिर्रा की जर्जर भवन की स्थिति बेहद खराब एवं चिंताजनक है। गौरतलब है कि जांजगीर चांपा जिला के विकासखंड बम्हनीडीह के अंतर्गत शासकीय नवीन महाविद्यालय बिर्रा अपने उधारी के भवन में संचालित है। कुल 6 कमरे हैं,जहां से प्रत्येक कमरे में छत से पानी टपक रहा है। भवन बहुत ही जीर्ण शीर्ण है। खिड़की दरवाजे टूटे हुए हैं। सांप बिच्छू आए दिन निकलते रहता है।विज्ञान संकाय के सामग्रियों में जंग लग रहा है। इसी प्रकार ग्रंथालय एवं स्पोर्ट का सामान दिमग का भेंट चढ़ रहा है। कुर्सी टेबल, अलमारी एवं सीलिंग पंखा सभी जर्जर स्थिति में है। शासकीय नवीन महाविद्यालय बिर्रा भवन की आस में अपना आंसू बहा रहा है। नवीन भवन के लिए जमीन उपलब्ध हो गई है। केवल बजट भेजने की आवश्यकता है। बजट यदि तुरंत मिलता है तो भवन बनने की प्रक्रिया तुरंत चालू हो जाएगी। इस संबंध में स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं उच्च अधिकारियों से पत्र व्यवहार कई बार किया गया है। इसके बावजूद भी मौखिक चर्चा भी किया जा चुका है। लेकिन आज पर्यंत तक बजट आवंटन प्राप्त नहीं हुआ है। उक्त जर्जर भवन के बारे में प्राध्यापक गण एवं पूर्व छात्रगण शासकीय नवीन महाविद्यालय बिर्रा में पढ़ाने वाले एवं पढ़ने वाले विद्या अध्ययन करने के लिए मजबूर नजर आ रहे हैं। महाविद्यालय अपने स्वयं के भवन हेतु बजट का बाट जोह रहा है। उक्त भवन बहुत पुराना होने के कारण काफी जर्जर हो गया है। जर्जर होने के कारण खंडहर में तब्दील हो रहा है। इधर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है कॉलेज की इमारतें बहुत ज्यादा जर्जर हो चुकी हैं। दीवारों में दरारें आ चुकी हैं, खिड़कियाँ टूट चुकी हैं और छत से पानी टपकता है। बरसात के दिनों में हालात और भी बद से बदतर हो गया है। पुस्तकालय जो कभी ज्ञान का भंडार था। लेकिन अब धूल और दीमकों का घर बन चुका है। प्रयोगशालाओं में आवश्यक उपकरणों की भारी कमी है। खेल का मैदान घास और झाड़ियों से ढक चुका है। इसके बावजूद भेजा कब्जाधारियों का अवैध कब्जा हो गया है। शिक्षकों की संख्या भी दिनोंदिन घटती जा रही है। कई महत्वपूर्ण विषयों के लिए योग्य शिक्षक ही नहीं हैं। जो शिक्षक हैं भी, वे उचित संसाधनों के अभाव में विद्यार्थियों को प्रभावी ढंग से पढ़ाने में असमर्थ हैं। प्रशासन की उदासीनता और बजट की कमी ने कॉलेज को इस स्थिति में ला खड़ा किया है। छात्रों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है। स्थानीय छात्रों का झुकाव अब निजी संस्थानों की ओर बढ़ रहा है। जहाँ बेहतर सुविधाएँ और शिक्षा मिलती है। कई अभिभावक अपने बच्चों को दूर-दराज के शहरों में भेजने को मजबूर हो गए हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से कई बार शिकायतें की गईं। लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। कॉलेज के पूर्व छात्र भी इस स्थिति को लेकर दुखी हैं, लेकिन उनके प्रयास भी अभी तक रंग नहीं ला पाए हैं। अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो यह कॉलेज पूरी तरह से खंडहर बन जाएगा और एक समृद्ध शैक्षणिक संस्थान इतिहास में हमेशा के लिए दफन हो जाएगा। आवश्यक है कि सरकार, प्रशासन और समाज मिलकर इस कॉलेज को फिर से जीवित करें। एक सुव्यवस्थित योजना, पर्याप्त बजट, और ज़िम्मेदार उच्च शिक्षा विभाग के ज़रिए बिर्रा कॉलेज को फिर से शिक्षा का चमकदार और मजबूत केंद्र बनाया जा सकता है बहरहाल कारण चाहे जो भी हो शासकीय नवीन महाविद्यालय बिर्रा का भवन बहुत ज्यादा जर्जर हो चुका है जो खंडहर में तब्दील हो रहा है अगर समय रहते नया भवन नहीं बनाया गया तो उक्त भवन कभी भी भरभरा कर धराशाई हो सकता है। यहां पर अध्ययन कर रहे छात्र-छात्राओं की जान भी जा सकती है। उच्च शिक्षा विभाग शासकीय नवीन महाविद्यालय बिर्रा के भवन को बनाने में ध्यान नहीं दे रहे हैं। जो एक बड़ी दुर्घटना को आमंत्रण कर रहा है। यह बात छात्र-छात्राओं और अभिभावकों के बीच में चर्चा का विषय बना हुआ है। शासकीय नवीन महाविद्यालय बिर्रा में अध्ययनरत छात्र एवं छात्राओं और अभिभावकों ने महाविद्यालय के लिए नए भवन बनवाने की मांग किए हैं।
उच्च अधिकारियों को जर्जर महा विद्यालय भवन के बारे में कई बार पत्राचार किया जा चुका है। नए महाविद्यालय भवन बनवाने की मांग किए हैं।
डॉ बीके डहरिया
प्राचार्य
शासकीय नवीन महाविद्यालय बिर्रा