सरसीवा में हुआ श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव का शुभारंभ

श्रीमद् भागवत एक अध्यात्म दीप है यह संसार का सबसे श्रेष्ठ सत्कर्म – भागवताचार्य राजेंद्र जी महाराज
सरसीवा । सरसीवा में श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव का शुभारंभ भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ , यज्ञ के प्रथम दिन मंगलाचरण एवं आचार्यों के वेद मंत्रोच्चार के साथ आरंभ हुआ । नगर के मुख्य मार्गो से होते हुए भजन संकीर्तन एवं राधे राधे की जयकारा के साथ वरुण देवता की पूजा की गई।
आचार्य देव कृष्ण एवं उप आचार्य मनोज महाराज द्वारा वेदियो की पूजा संपन्न कराई गई । श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन कथा व्यास भागवत आचार्य राजेंद्र जी महाराज द्वारा भागवत महात्मय का विस्तार से वर्णन कर बताया गया कि श्रीमद् भागवत एक अध्यात्म दीप है यही इस संसार का सबसे श्रेष्ठ सत्कर्म है , साक्षात भगवान श्री कृष्ण जी का वांग्मय स्वरूप जो पंचम वेद के समान है इसी के आश्रय से ही भक्ति के दोनों पुत्र ज्ञान और वैराग्य को तरुण अवस्था मिली उनका जरा अवस्था दूर हुआ , प्रेत योनि में पड़े धुंधकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई और महाराजा परीक्षित को भगवान की शरणागति मिल गई । भागवत केवल पुरुषार्थ का विषय नहीं रहा है यह तो जन्म जन्मांतर के पुण्य खरीद होने पर किसी व्यक्ति को प्राप्त होता है तभी वह श्रीमद् भागवत कथा का यजमान बनता है । आचार्य ने बताया कि भागवत से मनुष्य को भक्ति , ज्ञान वैराग्य और तप का पुण्य फल प्राप्त होता है । भागवत कथा का अधिकारी श्रोता वही होता है जो कथा और व्यथा में अंतर समझ जाता है , मणि और कांच में भी अंतर जानता है । कथा को कभी भी सुनने के लिए ही नहीं सुनना चाहिए बल्कि उसे अपने अंदर आत्मसात करना होगा ।
प्रथम दिवस की कथा में डा. बलदेव , श्रीमती उमा दुबे , गौरी शंकर , श्रीमती सुनीता दुबे , सत्येंद्र श्रीमती अर्चना , शैलेंद्र, श्रीमती माधुरी दुबे , श्रीमती उर्मिला , वैभव श्रीमती कृतिका चौबे , पंडित चंद्रशेखर, श्रीमती कामिनी दुबे , पंडित दिवाकर दुबे , बलदाऊ, श्रीमती सुमन दुबे , चंचल राहुल , श्रीमती नमीता तिवारी सहित सैकड़ों श्रोता उपस्थित थे । श्रीमद् भागवत कथा के आयोजक श्रीमती मीरा राम दुबे एवं मीनाक्षी द्वारा अधिकाधिक संख्या में कथा श्रवण करने की अपील की गई है ।