NSUI अध्यक्ष मयंक सोनी ने युक्तियुक्तिकरण के फैसले को संविधान की भावना के विरुद्ध और बच्चों शिक्षक के मौलिक अधिकारों को साथ खेलवाड़ बताया

सक्ती – भाजपा सरकार के द्वारा शिक्षा व्यवस्था के साथ हो रहे खेलवाड़ के विरुद्ध में सक्ती एनएसयूआई जिला अध्यक्ष मयंक सोनी ने विरोध जताते हुए कहा कि जो सरकार 57000 शिक्षक के भर्ती के वादे करके सत्ता में आया था आज वही छग़ सरकार 45000 से अधिक शिक्षकों के पद खत्म और 4000 से अधिक स्कूलों को बंद करने जा रही है। आपको बता दे छत्तीसगढ सरकार ने 10000 स्कूलों का युक्तिकरण का आदेश जारी किया है जिसे शिक्षा के अधिकार पर हमला बताया जा रहा है सरकार ने “युक्तिकरण” के नाम पर 10000 स्कूल बंद करने की नीति अपनाई है NSUI अध्यक्ष ने आगे कहा कि ये वही सरकार है जो “मोदी गारंटी” में 57000 शिक्षकों की भर्ती की बात कर रही थी जब शिक्षकों की भर्ती की बात थी तो वादे किए गए, लेकिन अब स्कूलों को ही खत्म किया जा रहा है।यह कदम ग्रामीण, गरीब, आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों के शिक्षा के अधिकार पर सीधा हमला है और अब सवाल यह उठता है कि जब स्कूल ही नहीं रहेंगे तो 57000 शिक्षक कहाँ और क्यों भर्ती किए जाएंगे?
मयंक सोनी ने मोदी गारंटी को निभाने की चुनौती देते हुए कहा कि यह स्पष्ट मांग है कि सरकार 57000 शिक्षकों की भर्ती की घोषणा को केवल “चुनावी जुमला” न बनाए भर्ती प्रक्रिया 2008 के सेटअप के अनुसार पारदर्शी ढंग से और बिना किसी छेड़छाड़ किए अगर सरकार में इच्छाशक्ति है तो वह इस भर्ती प्रक्रिया को तत्काल प्रारंभ करे। अगर भाजपा सरकार अपने वादों पर खरा नहीं उतरती, तो यह युवाओं के साथ धोखा और विश्वासघात होगा साथ ही राज्य सरकार द्वारा आयोजित CTET परीक्षा को 1 वर्ष से अधिक समय हो चुका है आज तक परिणाम जारी नहीं किया गया, जिससे हजारों युवा मानसिक और आर्थिक तनाव में हैं सरकार तत्काल परिणाम जारी करे और परिणाम प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाए,देरी के कारणों की लोकसभा में रिपोर्ट पेश किया जाए। मयंक सोनी ने सरकार को असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा बताते हुए कहा कि बिजली विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों और स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों के बिजली बिल चुकाने के लिए नोटिस जारी किया गया है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि सरकार इन स्कूलों को आवश्यक फंड भी उपलब्ध नहीं करा रही है।
क्या बच्चे गर्मी में बिना बिजली के, पंखे और लाइट के बिना पढ़ाई करेंगे यह स्पष्ट है कि सरकार की प्राथमिकता शिक्षा नहीं, केवल आंकड़ेबाजी और दिखावा है।
अन्त में जिला अध्यक्ष मयंक सोनी ने बताया कि युक्तिकरण के नाम पर स्कूल बंद करना केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि कानूनी और संवैधानिक उल्लंघन भी है। भारतीय संविधान की धारा 21-A और ‘मुफ्त और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act, 2009)’ के तहत: “हर बच्चे को 6 से 14 वर्ष की आयु तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना राज्य का दायित्व है।” RTE अधिनियम की धारा 3, 4 और 6 यह स्पष्ट रूप से कहती हैं कि प्रत्येक बच्चे को उसके निकटतम प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश और शिक्षा का अधिकार है। ऐसे में स्कूलों को बंद करना न सिर्फ गरीब और ग्रामीण बच्चों को शिक्षा से वंचित करना है, बल्कि RTE अधिनियम की मूल भावना का उल्लंघन भी है।