वन विभाग की मनमानी उजागर: डूमरपारा नर्सरी में लक्ष्य के मुकाबले महज दिखावा, कागजों पर ही ‘हरियाली

सक्ती – वन परिक्षेत्र सक्ती अंतर्गत ग्राम डूमरपारा में स्थित नर्सरी में मनरेगा एवं ग्रीन क्रेडिट योजना के तहत पौधों की नर्सरी तैयार करने का कार्य कागजों तक ही सिमटा नजर आ रहा है। मौके पर जब हकीकत जांची गई तो स्थिति बेहद निराशाजनक पाई गई। मनरेगा योजना के तहत 50 हजार पौधों की नर्सरी तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन धरातल पर मात्र लगभग 3 हजार पौधे ही तैयार पाए गए। वहीं ग्रीन क्रेडिट योजना के अंतर्गत 30 हजार पौधों की नर्सरी तैयार करने का दावा भी सिर्फ दस्तावेजों में सिमटा हुआ है। गौर करने वाली बात यह है कि दोनों योजनाओं में स्थानीय ग्रामीणों से कार्य कराए जाने का प्रावधान है, मगर नर्सरी में वर्तमान में जो भी गतिविधियां दिख रही हैं, वो भी चौंकाने वाले हैं। विभाग के सुरक्षा श्रमिक जो कलेक्टर दर पर अलग अलग जगहों पर कार्यरत हैं उनको यहां पौधा लगाने के कार्य में लगाया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा के तहत उन्होंने जो कार्य किया था, उसका भुगतान अब तक नहीं मिला है, जिससे वे अब काम पर नहीं जा रहे हैं। विभाग की कार्यशैली पर तंज कसते हुए ग्रामीणों ने कहा कि “लगता है ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत केवल मां के नाम का ही एक पौधा तैयार हो पाया है, बाकी हजारों पौधे अभी भी फाइलों में ही पत्तियां उगाने की कोशिश कर रहे हैं।” यह कटाक्ष विभाग की कार्यप्रणाली पर सीधा सवाल खड़ा करता है। इस संबंध में जब सक्ती रेंजर से बात करने के लिए उन्हें फोन किया गया तो उन्होंने कॉल रिसीव करना भी उचित नहीं समझा। इससे यह साफ हो जाता है कि न सिर्फ कार्यों में पारदर्शिता की कमी है, बल्कि जवाबदेही का भी घोर अभाव है। ग्रामीणों की आवाज और योजनाओं की जमीनी सच्चाई विभागीय फाइलों के भारी बोझ तले दबती जा रही है, और वन विभाग का यह मनमाना रवैया सरकारी योजनाओं की गंभीर अवहेलना को उजागर कर रहा है।