भागवत कथा के तीसरे दिन जिला न्यायालय के सभी न्यायाधीशों ने व्यास पीठ में पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया


सक्ती – सक्ती नगर के समीप ग्राम सोठी मे संगीत मय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया हैं ।कथा के तीसरे दिन व्यास पीठ से कथावाचक आचार्य राजेंद्र जी महाराज , जी ने बताया कि, सत्संग से गृहस्थ जीवन में भगवत कृपा और आनंद की अनुभूति होती है । अपने घर परिवार में ही रहकर , भगवान की भक्ति और , सत्संग किया जा सकता है । कर्दम ऋषि और देवहूति इन दोनों ने अपने गृहस्थ में ही, दिव्य सत्संग किया, और स्वयं भगवान उनके पुत्र बनकरकपिल देव महाराज के रूप में प्रकट हुए ।आचार्य ने बताया कि, आशा ही दुख का कारण बन जाता है, इसलिए किसी से भी, बहुत कुछ आशा और उम्मीद ना करें, भगवान शिव जी की धर्मपत्नी सती को अपने मायके से बड़ी आशा थी कि मेरा बड़ा सम्मान होगा, किंतु दक्ष के कारण सती का सम्मान भी नहीं हुआ , और यज्ञ में भोलेनाथ को स्थान भी नहीं दिया गया, जिसके कारण सती क्रोध करते हुए. अग्नि कुंड में समा गई । नरसिंह विस्तार से वर्णन करते हुए आचार्य ने बताया, कि अपने भक्त की रक्षा करने के लिए भगवान ने, अलौकिक रूप धारण किया और नरसिंह बनकर सनातन धर्म के विरोधी और नास्तिक , हिरण्यकश्यप का वध किया ।आचार्य ने बताया इस कथा के संस्मरण में होली का त्यौहार मनाते हैं, जो रंगों का त्यौहार है और आपस में मित्रता तथा, भगवान के प्रति आस्था का सबसे प्राचीन त्यौहार है, अर्थात यह चौथा मन्वंतर की कथा है ।कथा श्रवण करने प्रतिदिन सैकड़ो श्रोता , कथा पंडाल में आकर, भागवत कथा अमृत के साथ जीवंत झांकियां और सरल दृष्टांत के साथ संकीर्तन का लाभ प्राप्त कर रहे हैं । तीसरे दिन की कथा का श्रवण लाभ जिला एवं सत्र न्यायालय के, न्यायाधीशों ने भी प्राप्त किया । श्रीमद् भागवत कथा के आयोजक, श्रीमती शारदा देवी, शिवकुमार राठौर द्वारा, अधिक से अधिक संख्या में कथा श्रवण करने की अपील की गई है ।