सक्ती

भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य राजेंद्र महाराज ने राजा परीक्षित, भीष्म पितामह, शुकदेव कथा का वर्णन करते हुए भक्तगणों को कथा श्रवण कराया


सक्ती – सोठी में राठौर परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन व्यास पीठ से राजेंद्र महाराज ने भागवत कथा ने भीष्म पितामह, राजा परीक्षित, पार्वती और शिव कथा भक्तगणों को श्रवण कराते हुए कहा भीष्म पितामह ने दुष्ट दुर्योधन का भोजन किया था, जिससे उनकी मति में विकृति आ गई. थी शुकदेव परीक्षित संवाद का वर्णन करते हुए कहा राजा परीक्षित वन में चले गए। उनको प्यास लगी तो समीक ऋषि से पानी मांगा। ऋषि समाधि में थे, इसलिए पानी नहीं पिला सके। परीक्षित ने सोचा कि साधु ने अपमान किया है। उन्होंने मरा हुआ सांप उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया। समीक ऋषि के पुत्र ने राजा परिक्षित को शाप दिया कि आज से सातवें दिन तक्षक नाग के डसने राजा कि मृत्यु होगी समीक ऋषि को जब यह पता चला तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परीक्षित हैं और यह अपराध इन्होंने कलियुग के वशीभूत होकर किया है। समीक ऋषि ने परीक्षित को दी तो वह अपना राज्य “अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। वहां बड़े बडे़ ऋषि, मुनि देवता आ पहुंचे और अंत में व्यास नंदन शुकदेव वहां पहुंचे। शुकदेव को देखकर सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया शुकदेव महाराज ने राजा परीक्षित को श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कराया और राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई कथा पश्चात महा आरती प्रसाद ग्रहण कर सैकड़ो श्रद्धालुओं ने पुण्य का लाभ लिया।