महामाई दर्री तालाब का पानी हुआ हरा, साफ सफाई की सख्त जरूरत

नगर का प्रसिद्ध महामाई तालाब का अस्तित्व खतरे में, सफाई के नाम पर शून्य
सक्ती । नगर के आदिशक्ति माँ महामाया मंदिर के पास स्थित दर्री तालाब गंदगी व पालिथिन के कारण पूरी तरह से खराब हो गया है जिससे तालाब का पानी हरा दिखाई दे रहा है। इस तालाब के एक ओर माँ महामाया मंदिर, दूसरी ओर सांई मंदिर व संतोषी मंदिर तथा तीसरी मस्जिद स्थित है। इसके कारण यह तालाब सभी धर्म के लोगों के लिए आस्था का केन्द्र भी है। किंतु प्रशासन इस ओर आंख मूंदे हुए है जिससे नागरिकों में भारी रोष देखी जा रही है। ऐसे में जिला प्रशासन सहित नगर पालिका को लोगों की भावनाओं को देखते हुए इस तालाब की अविलंब सुध लेते हुए साफ सफाई कराने की जरूरत है। तालाब के चारों ओर लोगों द्वारा प्लास्टिक के थैले में कचरा भरकर फेंक दिया जा रहा है। इस कचरे के लंबे समय से इकट्ठा होने के कारण तालाब का पानी पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है और यह निस्तारी के लायक नहीं रह गया है। तालाब से बैगापारा सहित आसपास के लोग द्वारा कपड़े आदि धोने का कार्य किया जाता हैं, लेकिन पानी गंदा होने के कारण लोगों ने अब इस तालाब के पानी से कपड़े धोने सहित अन्य कार्य भी बंद कर दिया है। इससे तालाब के समीप रहने वाले लोगों को नहाने सहित निस्तारी समस्या हो रही है। यही नहीं माँ महामाया के दर्शन करने से पहले भक्त इस तालाब से हाथ, पैर, मुँह धोते है जिससे उनके बीमार पड़ने की भी आशंका है।
विदित हो कि नगर का ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व वाला महामाई दर्री तालाब प्रशासन की देखरेख एवं लापरवाही के अभाव मे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड रहा है। जबकि केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार जल सरंक्षण अभियान के नाम पर पानी तरह पैसा बहा रही है लेकिन धरातल पर विभागीय अधिकारियों के द्वारा समय-समयपर मानिटरिंग समुचित कार्य नही होने व इन जल स्रोतों जल संरक्षण नही होने के चलते सूखे पड़े रह जाते है। जिसके चलते क्षेत्र के वन्यजीव व आवारा पशुओं को ग्रीष्मकाल मे भारी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस तालाब का लगातार उपेक्षा होने से इसमें वर्षा जल के बहाव के साथ मिट्टी कंकड़ पत्थर कचरा जमा होता गया और तालाब भर गया जिसकी वजह से इसमें समुचित रूप से जल संरक्षण नही हो पा रहा है। नगर पालिका के द्वारा इसके जीर्णाेद्धार के लिए यहां किसी भी प्रकार का मरम्मत कार्य नहीं करवाया गया। तालाब में पसरी गंदगी जल संरक्षण योजना की विफलता को साबित कर रही है।