उपेक्षा का दंश झेल रहा पं. दीनदयाल उपाध्याय गार्डन हो गया राजनीति का शिकार
नगर पालिका ने भी मुंह फेरा

सक्ती – सक्ती शहर के बीचोंबीच स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय गार्डन घोर उपेक्षा का दंश झेल रहा है, जहां पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा धूल खा रही है, वहीं बच्चों के लिए लगाए गए झूले की दुर्दशा अपनी दास्तां खुद बयां कर रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों के एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप से यह राजनीति का शिकार हो गई है।
पं. दीनदयाल गार्डन की दुर्दशा अब किसी से छिपी नहीं है। नगर पालिका सक्ती ने भी अब इससे मुंह फेर लिया है, वहीं बच्चों के लिए लगाए गए झूले जंग खाते टूूटे पड़े हैं। पं. दीनदयाल की जयंती पर जिले के भाजपाइयों ने सफाई अभियान चलाकर इसका कायाकल्प करने की कोशिश जरूर की थी, लेकिन इसके बाद आज तक किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली और यह गार्डन अब खुद अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।
पं. दीनदयाल उपाध्याय गार्डन धीरे धीरे राजनीति की भेंट चढ़ता चला गया। इस गार्डन की दुर्दशा और बदहाली के क्या कहने? अब हालात ये है कि इस गार्डन में गंदगी का जमावड़ा चारों ओर फैला हुआ है। पार्क में बच्चों के लिए सभी सुविधाएं बस नाम की रह गई है। मनोरंजन के सभी साधन धीरे धीरे खराब या फिर टूटते चले गए। शाम होते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी कई बार इस गार्डन में देखने को मिला है, बिना देखभाल के यह गार्डन जल्द ही जंगल का रूप ले लेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है। अब लोग यहां आने से कतराने लगे है।
शहरवासियों ने कई बार इस गार्डन के जीर्णोद्धार के लिए गुहार लगाई लेकिन अब तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली है। राजनीतिकरण का शिकार हुआ यह गार्डन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण अब अपने मूल स्वरूप को खोता जा रहा है। समय रहते इसके जीर्णोद्धार की सख्त आवश्यकता है। शहरवासियों ने नगर पालिका से इसके मरम्मत व जीर्णोद्धार के लिए अपील भी की है।