गौ सेवा को समर्पित एक प्रेरणास्रोत: गोरक्षक मयंक ठाकुर


सक्ती – मयंक ठाकुर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एम.एल. जैन विद्यालय से प्राप्त की और फिर बिलासपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। पढ़ाई के उपरांत उन्होंने हर्बलाइफ जैसी प्रतिष्ठित प्राइवेट कंपनी में कार्य किया। बाद में उनका चयन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर के शासकीय पद पर हुआ। लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था। सरकारी नौकरी छोड़ गौ सेवा की ओर सरकारी सेवा में रहते हुए भी जब उन्होंने गौ वंशों की दुर्दशा और गौ तस्करी की बढ़ती घटनाएं देखीं, तो मयंक ठाकुर का मन व्यथित हो उठा। अंततः उन्होंने एक बड़ा निर्णय लिया सरकारी नौकरी छोड़कर स्वयं को पूर्णतः गौ सेवा में समर्पित कर दिया। पिछले 5 वर्षों से, मयंक ठाकुर सक्ती नगर एवं आसपास के क्षेत्रों में गौ माता की सेवा, संरक्षण और तस्करी रोकने के लिए निरंतर संघर्षरत हैं। अपराधियों से संघर्ष गौ सेवा के इस पथ पर उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सक्ती के कुख्यात अपराधी निर्मल रही से उनका आमना-सामना हुआ, वहीं हिस्ट्रीशीटर अनिल साव जैसे असामाजिक तत्वों ने उन पर जानलेवा हमला भी किया। इस हमले में उनके पैरों पर गहरी चोटें आईं, जिनकी पीड़ा आज तक बनी हुई है। फिर भी मयंक ठाकुर डिगे नहीं, वे आज भी अपने साथियों के साथ गौ माता की सेवा में संलग्न हैं। गौ सेवा धाम का सपना मयंक ठाकुर का सपना है कि सक्ति जिला में एक भव्य गौ सेवा हॉस्पिटल की स्थापना हो, जहाँ घायल, उपेक्षित और बीमार गौ वंशों को आधुनिक उपचार और आश्रय मिल सके। वे चाहते हैं कि यह हॉस्पिटल पूरे जिले के लिए एक गौरवपूर्ण केंद्र बने। प्रेरणा स्त्रोत मयंक ठाकुर बताते हैं कि उन्हें गौ सेवा का यह अदम्य प्रहाण उनके पिता स्व. ए. डी. ठाकुर से मिला। साथ ही बिलासपुर की एक युवती, निधि तिवारी, जो स्वयं जीवों के प्रति अत्यंत संवेदनशील और समर्पित हैं, उनके लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं। समाज के लिए संदेश मयंक ठाकुर आज न केवल सक्ती, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में गौरक्षक के रूप में एक प्रतिष्ठित नाम बन चुके हैं। उनका जीवन हम सभी के लिए एक प्रेरणा है कि जब समर्पण सच्चा हो, तो कोई भी राह कठिन नहीं होती। “गौ माता केवल एक पशु नहीं, हमारी संस्कृति, करुणा और श्रद्धा की प्रतीक हैं। उनकी सेवा, हमारा धर्म है।” – मयंक ठाकुर