सक्ती

शिव को प्रसन्न करने सुल्तानगंज से कांवर भरकर देवघर पहुंचा नन्हा अकुल

हर-हर,बम-बम, हर हर महादेव के जयघोष के साथ अनवरत चलते रहे कांवरिये, बाबाधाम पहुंचकर भोलेनाथ का किया जलाभिषेक

सक्ती –  बाबाधाम पवित्र सावन मास में नगर के नन्हे शिवभक्त अकुल अग्रवाल ने सपरिवार कांवड़ भरकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया। बोल बम के उद्घोष के साथ जब कांवर लेकर इनकी टोली रवाना हुई तो इस दौरान पूरा कस्बा हर-हर,बम-बम, हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा। सुल्तानगंज से कांवर में जल भरकर मन में अटूट आस्था के साथ इस नन्हें शिव भक्त के कदम अपनी मंजिल की ओर तेजी से बढ़ते जा रहे थे।
सक्तीनगर के जिंदल वल्र्ड स्कूल में अध्ययनरत आठ वर्षीय अकुल अग्रवाल ने अपने माता-पिता स्वाति अग्रवाल और भोला अग्रवाल (कालू रघुनाथ) के साथ सक्ती से रवाना कांवरियों के जत्थे में शामिल होकर सुल्तानगंज से देवघर (बाबाधाम) की यात्रा 3 दिन में पूरी कर ली। इस दौरान नन्हे शिवभक्त अकुल नंगे पैर कांवड़ लेकर अपने आराध्य देव भगवान भोलेनाथ का जयकारा लगाते हुए उत्साह के साथ यात्रा में शामिल हुए। कंकड़ पत्थर की चुभन भी भगवान भोलेनाथ की भक्ति में लीन नन्हे अकुल का रास्ता नहीं रोक पाई।
विदित रहे कि सक्तीनगर से शिवभक्तों की टोली बाबाधाम के लिए रवाना हुई थी, जिसमें नन्हे शिवभक्त अकुल भी अपने माता-पिता के साथ शामिल हुए। नगर के शिवभक्तों की कांवड़ यात्रा की शुरूआत बिहार के भागलपुर स्थित सुल्तानगंज के उत्तरवाहिनी गंगा तट से हुई। इस यात्रा का करीब सौ किमी का बड़ा भाग बिहार में पड़ता है। इसके बाद झारखंड में करीब 15 किलोमीटर का सफर शिवभक्तों ने तय किया। जिले के कांवरियों के साथ नन्हे शिवभक्त अकुल अग्रवाल ने सुल्तानगंज में गंगा नदी में स्नान किया और यहीं से जल भरा। इसके बाद यहां बाबा अजगैबीनाथ मंदिर में बाबा का दर्शन कर अपनी यात्रा के लिए वे आगे निकल पड़े।


डाक बम और डंडी बम के दर्शन से गदगद हुए अकुल
जिले के कांवरियों का जत्था जब सुल्तानगंज से जल भरकर रवाना हुआ तो डाक बम और डंडी बम के भी दर्शन हुए, जिन्हें देखकर नन्हे अकुल का उत्साह और बढ़ गया। कांवर थामे अकुल ने अनवरत कांवरियों के साथ अपनी यात्रा जारी रखी। ज्ञात रहे कि डाक बम सुल्तानगंज से दौड़ लगाते हुए 24 घंटे में बाबा धाम पहुंच जाते हैं तो वहीं डंडी बम सुल्तानगंज में जल भरने के बाद रास्तेभर दंडवत होकर करीब एक महीने में बाबा धाम पहुंचते हैं।
सक्तीनगर के कांवडिय़ों का जत्था सुल्तानगंज से 13 किलोमीटर चलकर मुंगेर के असरगंज, फिर आठ किमी आगे तारापुर पहुंचा, इसके बाद और सात किमी आगे चलकर रामपुर से आठ किमी आगे कुमरसार और फिर 12 किमी आगे विश्वकर्मा टोला पहुंच गया। इसके आगे बढऩे पर बांका जिला का घुमावदार जलेबिया मोड़ आया, फिर आठ किमी चलने पर सुईया पहाड़ के नुकीले पत्थरों से सामना करते हुए नन्हे अकुल ने हार नहीं मानी। हालांकि, अब यहां सडक़ बन जाने के बाद यात्रा कुछ सुगम अवश्य हुई है, फिर भी नन्हे शिवभक्त हौसला नहीं डगमगाया। इससे आगे अबरखा, कटोरिया, लक्ष्मण झूला, इनरावरन व गोडिय़ारी होते हुए कांवडिय़ों का जत्था झारखण्ड की सीमा में प्रवेश कर गया।
सक्तीनगर के कांवडिय़े दुम्मा में बने गेट से झारखंड में प्रवेश कर 17 किमी चलकर बाबा भोलेनाथ के मंदिर में पहुंचे। गोडिय़ारी से कलकतिया और दर्शनिया होते हुए भी एक रास्ता है। बाबा धाम में शिवगंगा है, जहां कांवडिय़ा ने स्नान किया, उन्होंने डुबकी लगाते हुए बाबा के दर्शन किए तथा संकल्प किए गंगा जल से जलाभिषेक किया।