सक्ती नगर के सब्जी विक्रेता एवं क्रेता दोनों की स्थिति बदहाल

सक्ती – सक्ती नगर को स्टेट के समय से राजा लीलाधर सिंह ने सुंदर ढंग से बसाने की दिशा में हर चीज के लिए अलग-अलग व्यवस्था बनाई थी सक्ती नगर अपने स्टेट के समय से रौताही बाजार, मवेशी बाजार एवं दैनिक हटरी बाजार प्रसिद्ध था परंतु यह सक्ती नगर के लिए बहुत ही दुर्भाग्य जनक बात है कि धीरे-धीरे यह विलुप्त सा हो गया है जबकि उनकी प्रसिद्धि छत्तीसगढ़ एवं अन्य राज्यों में बहुत दूर-दूर तक फैली हुई थी आज स्थिति यह है कि इन्हें कोई नहीं जानता सक्ती नगर में रौताही बाजार , मवेशी बाजार, दैनिक सब्जी बाजार खत्म हो गया है इसी कड़ी में नगर के हृदय स्थल हटरी चौक मे बहुत बड़ा दैनिक सब्जी बाजार लगा करता था जिसमें दैनिक उपयोग हेतु रसोई की सारी सामग्री, सब्जी ,चावल, गेहूं ,मसाले एवं श्रृंगार की वस्तुएं ,सुहाग भंडार की सामग्री से लेकर सभी जीवन उपयोगी सामग्रियां प्राप्त हो जाती थी हटरी बाजार मे नगर के चारों ओर कोनो कोनो से बच्चे बूढ़े औरतें बेधड़क होकर अपनी दिनचर्या की तमाम जरूरी वस्तुएं खरीदी करती थी उन्हें किसी भी प्रकार से तकलीफ एवं परेशानियों नहीं होती थी परंतु आज नगर का यह प्रसिद्ध दैनिक हटरी बाजार कार स्टैंड मे तब्दील हो चुका है। व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के चलते व्यवसायिक दुकानदार अपनी अपनी दुकान नजूल भूमि में अतिक्रमण कर बनाने से हटरी बाजार का दायरा धीरे-धीरे छोटा होने लगा एवं सब्जी विक्रेताओं से बहस बाजी होने लगी इससे सब्जी विक्रेता परेशान होकर अपनी बैठने का स्थान के लिए प्रशासन में कई बार आवेदन दिया गया परंतु उन्हें कभी भी उचित स्थान नहीं मिला। कभी नगर के गुड़ाखू फैक्ट्री के पास, शनि मंदिर के पास पीला महल के पास, गौरव पथ पर कई जगह उन्होंने अपना स्थान बदला अंत में नगर पालिका प्रशासन द्वारा बुधवारी बाजार में पौनी पसरा के नाम पर सरकार की योजनाओं के तहत लाखों रुपए का खर्च कर उनके लिए बैठने का स्थान बनाया गया लाइटिंग की भी व्यवस्था की गई परंतु पिछले दो सालों से पूरे बुधवारी बाजार मे प्रशासन द्वारा बाजार की समस्त दुकानों को नवीनीकरण कर एवं चौड़ी सड़क कापलेक्स स्टेडियम बनाने हेतु सभी दुकानों को बुलडोजरों से गिरा दिया गया था इससे चारों ओर मकान के मलबा फैल गया था परंतु आज पर्यंत तक इस दिशा में कोई भी कार्य नहीं हो पाया है कहीं पर गिट्टी का ढेर है कहीं पर रेती का ढेर है कहीं पर मिट्टी का ढेर है उसी स्थान पर बैठकर सब्जी विक्रेता अपनी सब्जियां बेच रहे हैं उन्हीं के बगल में मांसाहारी मछली अंडे मुर्गी काट काट कर बेचा जा रहा है वही बगल में विदेशी एवं देसी सरकारी शराब दुकान है जिसमें शराबियों की पूरे समय भीड़ लगी रहती है इन दोनों जगह के बीच सब्जी विक्रेता बैठकर अपनी सब्जियां बेच रहे हैं इस माहौल में सक्ती नगर की महिलाएं जनता बूढ़े बच्चे जाकर सब्जियां खरीदते हैं क्योंकि सब्जियां दैनिक दिनचर्या का हिस्सा है और सभी की मजबूरी है कि ऐसे माहौल में सब्जियां खरीद के लाना पड़ता है अभी बरसात के मौसम में पानी गिरने से चारों ओर पानी जमा होने से कीचड़ हो गया है चारों ओर गंदगी फैल गई है ऐसे में डेंगू एवं डायरिया होने का खतरा बढ़ गया है फिर भी आम जनता की मजबूरी है कि ऐसे माहौल में उन्हें सब्जियां खरीद कर लानी पड़ रही है नगर पालिका प्रशासन राजस्व प्रशासन इन परिस्थितियों को नजरअंदाज करती है इसके लिए उन्होंने कोई भी प्रकार से आज तक इसे बनाने हेतु पहल नहीं किया है जबकि आज सक्ती नगर को जिला बने लगभग 3 साल होने को आ रहे हैं परंतु नगर आज विकास के नाम में शून्य है विकास की बात तो छोड़ो जो है उसका भी अस्तित्व समाप्त होते जा रहा है प्रशासन को इस ओर ध्यान देकर कार्यवाही करनी चाहिए क्योंकि यह पूरे नगर के जनता के लिए उनकी स्वास्थ्य एवं मूलभूत सुविधाओं का सवाल है।